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Karnataka BJP Politics: कर्नाटक में क्‍या सुरक्षित है CM बीएस येद्दयुरप्पा की कुर्सी ?, दुविधा में केंद्रीय नेतृत्व, लिंगायत समाज बना बड़ा फैक्‍टर

भाजपा नेतृत्व की सोच यह थी कि मुख्यमंत्री का बदलाव कुछ इस कदर हो कि येद्दयुरप्पा से जुडे़ प्रभावी लिंगायत समुदाय की संवेदना न आहत हो। प्रदेश के नेताओं के उतावलेपन ने उस सोच पर पानी फेर दिया।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 07:56 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 08:07 PM (IST)
Karnataka BJP Politics: कर्नाटक में क्‍या सुरक्षित है CM बीएस येद्दयुरप्पा की कुर्सी ?, दुविधा में केंद्रीय नेतृत्व, लिंगायत समाज बना बड़ा फैक्‍टर
कर्नाटक में क्‍या सुरक्षित है CM बीएस येद्दयुरप्पा की कुर्सी । फाइल फोटो।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। यूं तो कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है लेकिन पहले कुछ पार्टी नेताओं के उतावलेपन ने और फिर प्रकृति ने इस प्रक्रिया को थोड़ा थाम दिया है। हालांकि, खुद मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा की ओर से बार-बार संदेश दिया जा रहा है कि आलाकमान के निर्देश का तत्काल पालन होगा। लेकिन जिस तरह कुछ इलाकों मे बाढ़ की स्थिति है और कुछ नेता अपने बयानों के कारण कठघरे में हैं उसके बीच बदलाव को उचित नहीं माना जा रहा है।

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सूत्रों का कहना है कि फिलहाल कोई समय सीमा तय नहीं है। पिछले हफ्ते येद्दयुरप्पा के दिल्ली दौरे और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद उन्होंने विधायक दल की बैठक बुलाई थी उससे माना जाने लगा था कि संभवत: उसी दिन प्रदेश सरकार में नेतृत्व बदलाव की घोषणा भी होगी। लेकिन जिस तरह येद्दयुरप्पा सरकार के कुछ मंत्री, कथित तौर पर प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील समेत कुछ नेताओं के भड़काऊ बयान सामने आए उससे स्थिति बिगड़ गई।

भाजपा नेतृत्व की सोच यह थी कि मुख्यमंत्री का बदलाव कुछ इस कदर हो कि येद्दयुरप्पा से जुडे़ प्रभावी लिंगायत समुदाय की संवेदना न आहत हो। प्रदेश के नेताओं के उतावलेपन ने उस सोच पर पानी फेर दिया। दरअसल वहां कई नेता खुद को मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल मान रहे हैं और दिल्ली की दौड़ भी लगा रहे हैं। येद्दयुरप्पा के समर्थन में लिंगायत धर्मगुरु उतरे तो सरकार के कुछ मंत्रियों ने उनकी भी आलोचना कर दी। यह जानते समझते हुए कि प्रदेश की राजनीति में मठों की खासी भूमिका होती है। रही सही कसर प्रकृति ने पूरी कर दी।

कर्नाटक के कई स्थानों में भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति है। येद्दयुरप्पा की आयु का हवाला तो दिया जा रहा है लेकिन वह खुद सक्रियता के साथ दौरा करने में जुटे और अपने सभी मंत्रियों और विधायकों को भी निर्देश दे दिया कि वे अपने अपने जिलों में राहत बचाव कार्य की निगरानी करें। एक दिन पहले ही वे अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ बंगलुरु स्मार्ट सिटी निर्माण की समीक्षा करने भी पहुंच गए। सरकार के दो साल पूरे होने पर बुलाई गई विधायक दल की बैठक पहले ही स्थगित की जा चुकी है।

संदेश साफ है कि येद्दयुरप्पा को जबरन हाशिए पर नहीं डाला जा सकेगा। हालांकि 2011 से परे इस बार येद्दयुरप्पा कोई हठ नहीं दिखाना चाहते हैं लेकिन पार्टी नेतृत्व को उन्हें न सिर्फ विश्वास में लेना होगा बल्कि ऐसा दिखाना भी होगा। देर सबेर नेतृत्व परिवर्तन होना है लेकिन इसमें येद्दयुरप्पा को शामिल करना होगा। ऐसे में उन कुछ लोगों की बलि भी चढ़ सकती है जिनका बड़बोलापन पूरी योजना पर पानी फेर रहा है।

बतौर मुख्यमंत्री सोमवार को अंतिम दिन संभव

राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शनिवार को कहा कि बतौर मुख्यमंत्री सोमवार को उनका अंतिम दिन हो सकता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के पहले दिन से ही मुझे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करने के दौरान अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से कहा कि उन्हें गर्व है कि शिवमोगा जिले और अपने निर्वाचन क्षेत्र शिकारीपुरा में सर्वांगीण विकास सुनिश्चित कर यहां के लोगों का कर्ज चुकाने का प्रयास किया।

उन्होंने लोगों से कहा कि सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में उनका आखिरी दिन हो सकता है। येद्दियुरप्पा ने हाल ही में कहा था कि केंद्रीय नेतृत्व उन्हें 25 जुलाई को जो काम सौंपेगा उस पर वे 26 जुलाई से काम शुरू कर देंगे।येद्दियुरप्पा की सरकार 26 जुलाई को दो साल पूरे करेगी। येद्दियुरप्पा 1983 में पहली बार शिकारीपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुने गए थे। वे इस सीट से आठ बार चुनाव जीते हैं। मुख्यमंत्री के बड़े बेटे बीवाई राघवेंद्र शिवमोगा लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं।


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