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अफगानिस्तान तक सहायता पहुंचाने में भारत की मदद के लिए ईरान तैयार, पाक सरकार नहीं ले सकी निर्णय

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को ट्वीट किया था ईरानी विदेश मंत्री अब्दुल्लाहियन से व्यापक बातचीत हुई। उनसे कोविड की कठिनाइयों अफगानिस्तान में चुनौतियों चाबहार की संभावनाओं व ईरानी परमाणु मुद्दे की जटिलताओं पर चर्चा हुई।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 06:49 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 06:49 PM (IST)
अफगानिस्तान तक सहायता पहुंचाने में भारत की मदद के लिए ईरान तैयार, पाक सरकार नहीं ले सकी निर्णय
भारत और ईरान के राष्ट्रीय ध्वजों की फाइल पोटो

नई दिल्ली, प्रेट्र। ईरान ने भारत को गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान तक गेहूं, दवाएं व कोविड वैक्सीन पहुंचाने में मदद करने का प्रस्ताव दिया है। पाकिस्तान के सड़क मार्ग के जरिये अफगानिस्तान तक मदद सामग्री पहुंचाने के मुद्दे पर इमरान खान सरकार फिलहाल कोई निर्णय नहीं ले सकी है।

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ईरानी विदेश मंत्रालय के अनुसार, विदेश मंत्री हुसैन आमिर-अब्दुल्लाहियन ने शनिवार को अपने भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर के साथ टेलीफोन पर बातचीत के दौरान अफगानिस्तान में समावेशी सरकार के गठन पर भी बल दिया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अब्दुल्लाहियन ने प्रमुख द्विपक्षीय, क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर जयशंकर के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने ईरान में कोविड टीकाकरण की स्थिति पर भी चर्चा की। जयशंकर ने महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई का जिक्र करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमितों की संख्या में वृद्धि के बीच टीकाकरण अभियान भी तेज गति से आगे बढ़ रहा है। पश्चिमी देशों के साथ परमाणु समझौते और प्रतिबंधों में ढील के मुद्दे पर वार्ता के संबंध में अब्दुल्लाहियन ने कहा कि एक 'अच्छे समझौते' की उम्मीद है।

भारत जीवन रक्षक दवाओं और कोविड-19 टीकों की तीन अलग-अलग खेप अफगानिस्तान भेज चुका है और 50,000 टन गेहूं की आपूर्ति का भी वादा किया था। लेकिन, पाकिस्तान के सड़क मार्ग के जरिये अफगानिस्तान को सहायता पहुंचाने के तौर-तरीके के बारे में इमरान खान सरकार द्वारा फैसला नहीं लिए जाने के कारण अभी गेहूं की आपूर्ति नहीं हो पाई है। भारत के पास ईरान में चाबहार बंदरगाह के जरिये अफगानिस्तान को सहायता भेजने का विकल्प मौजूद है। ईरान व अफगानिस्तान करीब 920 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।

जयशंकर ने शनिवार को ट्वीट किया था, 'ईरानी विदेश मंत्री अब्दुल्लाहियन से व्यापक बातचीत हुई। उनसे कोविड की कठिनाइयों, अफगानिस्तान में चुनौतियों, चाबहार की संभावनाओं व ईरानी परमाणु मुद्दे की जटिलताओं पर चर्चा हुई।' गत वर्ष 15 अगस्त को तालिबान के कब्जे में आने के बाद से अफगानिस्तान के घटनाक्रम को लेकर भारत व ईरान परस्पर संपर्क में हैं। ईरानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने दो महीने पहले अफगान संकट पर भारत द्वारा आयोजित एक क्षेत्रीय सम्मेलन में भी भाग लिया था।


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