गिरफ्तारी से पहले छोड़ी आइपीएस की नौकरी
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार से नाराज आइपीएस अफसर जीएल सिंघल ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। सिंघल इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी हैं और 6 मार्च तक सीबीआइ रिमांड पर हैं। सिंघल ने सरकार पर अपने अधिकारी को नहीं बचाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि निर्दोष छूटने के ब
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता।
गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार से नाराज आइपीएस अफसर जीएल सिंघल ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। सिंघल इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोपी हैं और 6 मार्च तक सीबीआइ रिमांड पर हैं। सिंघल ने सरकार पर अपने अधिकारी को नहीं बचाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि निर्दोष छूटने के बाद भी अब उनकी आत्मा वर्दी पहनना गंवारा नहीं करेगी।
गुजरात दंगों व फर्जी मुठभेड़ मामलों को लेकर गुजरात पुलिस की आइपीएस लॉबी दो खेमों में बंटी है। सिंघल मुंबई की खालसा कॉलेज की छात्रा व उसके तीन साथियों को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराने वाली आइपीएस डीजी वणजारा की क्राइम ब्रांच टीम का हिस्सा थे। पिछले महीने गिरफ्तारी के बाद 27 फरवरी को सिंघल ने गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसके नंदा को भेजे पत्र में दर्द बयां करते हुए लिखा है, 'राज्य सरकार व गृह विभाग अपने पुलिस अधिकारी को बचाने में नाकाम रहे हैं। मैं पुलिस अधीक्षक के पद से भारी मन के साथ इस्तीफा देता हूं।' नंदा ने बताया कि उन्हें सिंघल का इस्तीफा तो मिला है, लेकिन उनके हस्ताक्षर सामान्य नहीं हैं। पहले उनके हस्ताक्षर की जांच की जाएगी। फिलहाल वह रिमांड पर हैं और जब एक पुलिस अधिकारी 48 घंटे से ज्यादा की रिमांड पर रह लेता है, तो उसे निलंबित माना जाता है। ऐसे में न तो उसे सेवानिवृत्ति के बाद के लाभ मिल सकते हैं और न ही उसके इस्तीफे का कोई महत्व होता है।
धरपकड़ से पहले सिंघल गांधीनगर में स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात थे। पिछले दो साल में सीबीआइ उनसे कई बार पूछताछ कर चुकी थी। 21 फरवरी को उनकी गिरफ्तारी के बाद सीबीआइ कोर्ट ने उन्हें रिमांड पर सौंपने से इन्कार करते हुए पूछा था कि दो साल की पूछताछ में सीबीआइ ने क्या किया। सीबीआइ की विशेष जज गीता गोपी ने पहली मार्च को सिंघल व पुलिस उपाधीक्षक जेजी परमार को 6 मार्च तक रिमांड पर सौंप दिया था। सीबीआइ सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक परमार, महसाणा के पुलिस उपाधीक्षक तरुण बारोट, पुलिस निरीक्षक भरत पटेल और कमांडो ए. चौधरी को भी गिरफ्तार कर चुकी है। क्राइम ब्रांच के तत्कालीन मुखिया आइपीएस वणजारा, आइपीएस जीएल सिंघल समेत पुलिस के 20 अधिकारी व जवानों ने 15 जून 2004 को इशरत, उसके दोस्त प्रणेश पिगै उर्फ जावेद शेख, अमजद अली व जिशान जौहर को मुठभेड़ में मार गिराया था। उनका दावा था कि लश्कर-ए-तैयबा के यह आतंकी मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने के इरादे से गुजरात आए थे। इशरत की मां की शिकायत के बाद गुजरात हाई कोर्ट ने मामले में विशेष जांच दल का गठन किया था। एसआइटी की रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने 1 दिसंबर, 2011 को मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी।
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