रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने को लेकर बीए, बीएससी और बीकॉम जैसे कोर्सो में भी इंटर्नशिप
2030 तक भारत दुनिया में कामकाजी उम्र के लोगों की जनसंख्या वाला सबसे बड़ा देश होगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश की नई पीढ़ी को बेरोजगारी की मार से बचाने के लिए सरकार अब उन्हें पढ़ाने के साथ हुनरमंद भी बनाएगी। फिलहाल इसे लेकर जो बड़ी पहल की गई है, उसके तहत इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कोर्सों की तर्ज पर बीए, बीएससी और बीकॉम जैसे सामान्य डिग्री कोर्सों में भी अब इंटर्नशिप प्रोग्राम शुरू होंगे।
तीन से छह महीने तक की होगी इंटर्नशिप, कोर्स का ही होगा हिस्सा
यह तीन से छह महीने तक का होगा। हालांकि इससे इन कोर्सों की समयावधि में कोई बदलाव नहीं होगा, बल्कि इंटर्नशिप कोर्स के अंतिम सेमेस्टर का हिस्सा होगा। वहीं छात्रों को मिलने वाली डिग्री में इसका अलग से उल्लेख रहेगा।
यूजीसी ने जारी की गाइडलाइन, शैक्षणिक सत्र 2020-21 से ही कर सकेंगे चालू
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसे लेकर गाइडलाइन भी जारी की है। विश्वविद्यालयों और कालेजों को 2020-21 के शैक्षणिक सत्र से ही इंटर्नशिप युक्त इन विशेष कोर्सों को शुरु करने की अनुमति भी दे दी है। रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने को लेकर सरकार वैसे भी लंबे समय से काम कर रही है, लेकिन हाल ही में आयी नई शिक्षा नीति में जिस तरह से हरेक बच्चे को हुनरमंद बनाने का लक्ष्य रखा गया है, उसके बाद इसकी अहमियत और बढ़ गई है।
रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने को लेकर अंडर ग्रेजुएट कोर्सों को इंटर्नशिप युक्त बनाया गया
यूजीसी के मुताबिक सभी सामान्य अंडर ग्रेजुएट कोर्सों को इंटर्नशिप युक्त बनाने का यह फैसला उद्योगों, उच्च शिक्षण संस्थानों, कौशल परिषदों, एआईसीसीई, फिक्की, सीआईआई आदि से लंबी चर्चा और सलाह के बाद किया गया है। यही वजह है कि इन कोर्सों के साथ छात्रों को उसी क्षेत्र से जुड़ा इंटर्नशिप (प्रशिक्षण) दिलाया है, जो उद्योगों की जरूरत होगी। यूजीसी के मुताबिक इंटर्नशिप युक्त सामान्य डिग्री कोर्सों को शुरू करने को लेकर किसी भी संस्थान पर कोई बाध्यता नहीं होगी, लेकिन रोजगार को लेकर जो मौजूदा चुनौती है, उनमें सभी संस्थानों को इसे अपनाना ही होगा।
इसलिए भी है अहम
युवा पीढ़ी को रोजगार युक्त बनाने जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि देश में कामकाजी उम्र के लोगों की जनसंख्या तेजी से बढ रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक भारत दुनिया में कामकाजी उम्र के लोगों की जनसंख्या वाला सबसे बड़ा देश होगा। ऐसे में यदि इन्हें रोजगार कौशल से नहीं जोड़ा गया तो देश में बेरोजगारों की एक बड़ी फौज खड़ी हो जाएगी। यही वजह है कि नई शिक्षा नीति में भी 2025 तक 50 फीसद लोगों को रोजगारपरक शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।