'फेसबुक और वॉट्सअप के कारण लगभग 1.30 घंटे देरी से सोते और जागते हैं लोग'
एक रिचर्स में यह बात सामने निकलकर आई है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के कारण लोगों के जगने और सोने के समय में कमी आई है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। क्या वॉट्सऐप के कारण आपके सोने का समय बदल गया है? ऐसा केवल आप ही नहीं कह रहे हैं बल्कि बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज द्वारा कराए गए शोध में यह बात निकलकर सामने आई है।
एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित शोध के अनुसार, वॉट्सऐप और फेसबुक के कारण लोग लोग हर दिन लगभग डेढ़ घंटे से ज्यादा देरी से सोने जाते हैं। 2016 में सर्विस फॉर हेल्थ यूज ऑफ टेक्नॉलजी (एसएचयूटी) क्लिनिक द्वारा किए गए शोध से यह जानकारी भी सामने आई है कि लोग इंटरनेट के इस्तेमाल के कारण डेढ़ घंटा देरी से उठते भी हैं।
जनवरी माह के दौरान एक पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में यह बात सामने निकलकर आई है कि अधिकांश लोग सोने के दौरान भी बार अपने फोन अथवा टैबलेट्स को चेक करते हैं। जबकि डॉक्टर कहते हैं है सोने के दौरान अपने मोबाइल या डिवाइस को बंद रखना चाहिए। डॉक्टरों का कहना है कि नींद में बाधा पड़ने या नींद कम लेने से आप हृदय रोग और एंजायटी का शिकार हो सकते हैं। 2015 में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, गुड़गांव के एक निजी अस्पताल का कहना था कि हृदय रोग से पीड़ित 90 प्रतिशत युवा वो हैं जो सहीं तरीके से सो नहीं पाते हैं।
शोधकर्ता और एसएचयूटी क्लिनिक के डॉक्टर मनोज शर्मा ने बताया कि 58.5 प्रतिशत लोगों ने माना कि वे वॉट्सऐप के कारण देर रात जगे रहते हैं। इसके बाद सबसे अधिक लोग फेसबुक (32.6 प्रतिशत) से प्रभावित हैं। वॉट्सऐप के अलावा हाइक का उपयोग करने वालों की संख्या भी काफी है और जीमेल इस्तेमाल करने वालों की संख्या भी 45.3 प्रतिशत है। शर्मा ने बताया कि शोध में शामिल हुए 60 प्रतिशत लोगों ने माना कि वे मोबाइल फोन के साथ डेस्कटॉप, लैपटॉप तथा टैबलेट इस्तेमाल करते हैं, जबकि 42 प्रतिशत ने माना कि वे इंटरनेट का प्रयोग करने के लिए अपना काम बंद कर देते हैं।
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