योगासन और प्राणायाम से तन-मन को रखे निर्मल और निरोगी
सूर्य नमस्कार के साथ ही योग की अन्य विधाओं व आसनों के प्रचार-प्रसार के लिए देश भर में जहां तमाम संस्थाएं तरह-तरह के प्रयास करती है।
रायपुर [पंकज दुबे]। आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने। आयु: प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते।। अर्थात, जो लोग प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं, उनकी आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज बढ़ता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि योगासन और प्राणायाम से तन-मन को निर्मल और निरोगी रखा जा सकता है।
यही वजह है कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर हर कोई योगा करता नजर आएगा। ऐसे में सूर्य नमस्कार के साथ ही योग की अन्य विधाओं व आसनों के प्रचार-प्रसार के लिए देश भर में जहां तमाम संस्थाएं तरह-तरह के प्रयास करती हैं, वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर ने कई कदम आगे बढ़ते हुए एक मिसाल प्रस्तुत की है।
यहां कैनाल लिंकिंग रोड स्थित गौरव पथ पर आदमकद 12 प्रतिमाओं के माध्यम से वर्ष के 365 दिन व चौबीसों घंटे सूर्य नमस्कार का संदेश प्रसारित हो रहा है। गर्मियों में सुबह-शाम तो सर्दियों में दिन चढ़ने पर लोग यहां जुटते हैं और योगासनों पर चर्चा करते हैं। लोग यहां प्रात: बेला में योग साधना भी करते हैं।
पश्चिम बंगाल के कारीगर का हुनर
विभिन्न योग मुद्राओं में खड़ी बारह आदमकद प्रतिमाओं को देखकर लगता है मानों अभी बोल पड़ेंगीं। पश्चिम बंगाल के कारीगर सुकांत ने इन जीवंत प्रतिमाओं को तीन माह में तैयार किया था। इन 12 प्रतिमाओं के निमार्ण के लिए पीडब्ल्यूडी ने लगभग 22 लाख रुपये खर्च किए। सूर्य नमस्कार के लिए प्रेरित कर रहीं इन प्रतिमाओं का अनावरण दो वर्ष पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने किया था।
एक करोड़ लोगों ने किया योग
इस सड़क से गुजरने वाले किसी व्यक्ति की नजर सहसा जब इन प्रतिमाओं पर पड़ती है तो वह मंत्रमुग्ध होकर इन्हें देखता रह जाता है। इन प्रतिमाओं के चेहरे के हाव-भाव भी इतनी बारीकी से उकेरे गए हैं, जो शांति का संदेश देते प्रतीत होते हैं। योग दिवस पर छत्तीसगढ़ शासन, छत्तीसगढ़ योग आयोग व उच्च शैक्षणिक संस्थानों सहित कई संस्थानों के माध्यम से एक करोड़ द्वारा योग करने का लक्ष्य रखा गया है।
सूर्य नमस्कार की 12 मुद्राएं
यहां खड़ी 12 प्रतिमाएं सूर्य नमस्कार के एक चक्र को निम्न क्रम में पूर्ण करती हैं...
चढ़ते क्रम में : प्रणासन, हस्त उत्तानासन, पाद हस्तासन, अश्व संचालनासन, पर्वतासन व अष्टांग नमस्कार
पुन:उतरते क्रम में: भुजंगासन, पर्वतासन, अश्व संचालनासन, पाद हस्तासन, हस्त उत्तानासन व प्रणासन।