अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष: अरुण सी ललाई अरुणिमा
मैंने अपना लक्ष्य तो पा लिया। अब तो अपने जीवन में संघर्ष से जो पाया उससे हर लड़की को सशक्त बनाना है। ताकि हर बेटी अपने पैरों पर खड़ी हो सके। हर दिव्यांग अपने दम पर जीवन का दम भर सके। कोई हादसा या शारीरिक बाधा जीवन की ऊंचाईयों को
नई दिल्ली, [मनु त्यागी]। मैंने अपना लक्ष्य तो पा लिया। अब तो अपने जीवन में संघर्ष से जो पाया उससे हर लड़की को सशक्त बनाना है। ताकि हर बेटी अपने पैरों पर खड़ी हो सके। हर दिव्यांग अपने दम पर जीवन का दम भर सके। कोई हादसा या शारीरिक बाधा जीवन की ऊंचाईयों को रुकने न दे। इसी सोच दृढ़ लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही हैं दिव्यांग पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस : दुनिया डराएगी, पर डरने का नहीं...!!!
-साइकिल पर निकलेगी महिला शक्ति
हाल ही में फोर्ब्स पत्रिका में प्रतिभाशाली युवा शख्सियत की सूची में चयनित अरुणिमा ने जिस गति से अब तक सात महाद्वीपों में से पांच पीक पर चढ़ाई कर तिरंगा फहराया। उसी गति से मार्शल आर्ट-जूड़ो कराटे के जरिये बच्चियों को सशक्त बना रही हैं। ताकि कभी कहीं जरूरत पड़े तो उसका मुंह तोड़ जवाब खुद दे सकें। वर्तमान में उनके खेल फाउंडेशन में 135 बच्चियां मार्शल आर्ट सीख रही हैं और सैंकड़ों लड़कियां सीखकर सशक्त बन चुकी हैं। अरुणिमा ने महिला दिवस के मौके पर सशक्त महिला का संदेश देने के लिए साइकिल यात्रा की भी तैयारी की है। जो लखनऊ से शुरू होकर कन्याकुमारी तक जाएगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश के 15 जिलों से 15-15 बेटियां चुनी गई हैं। जिनकी आयु 25 से 30 वर्ष के बीच है। सभी लड़कियां सामान्य परिवार से चुनी गई हैं। अरुणिमा बताती हैं कि सशक्त नारी की इस साइकिल यात्रा से प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी बेहद उत्साहित हैं। अप्रैल में इस यात्रा की शुरुआत की जाएगी।
-गांवों में स्वास्थ्य की भी चिंता :
अरुणिमा ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हैपेटाइटिस मुक्त गांव की मुहिम भी छेड़ रखी है। जिसकी जिम्मेदारी खुद ही ली हुई है। अपने निवास जिला अंबेडकर नगर में कई गांवों को हैपेटाइटिस विमुक्त कर आदर्श गांव का संदेश देने की तैयारी है। अरुणिमा बताती हैं कि अपने इसी मिशन के तहत एक दिन में तकरीबन एक हजार लोगों को इसका टीका लगाया गया। जिसमें पांच से 60 वर्ष तक उम्र वालों के लिए अपने खर्च से ही टीका खरीदा गया। अब इस मिशन को समग्र प्रदेश के शहरों तक पहुंचाने की तैयारी है। इसमें गाजियाबाद-नोएडा भी शामिल हैं।
-हर बहन को यही संदेश :
अरुणिमा कहती हैं कि हर लड़की में इतना आत्मविश्वास होना चाहिए कि वह अपनी लड़ाई खुद लड़ सके। किसी दूसरे पर आश्रित न रहना पड़े। जब तक आत्मविश्वास मजबूत नहीं होगा तब तक मजबूरी तले ही दबे रहना पड़ेगा। जरूरत है सब महिलाएं एक-दूसरे की शक्ति बने। मसलन जो महिलाएं मिसाल बन चुकी हैं उन्हें अपने स्तर पर ऐसी पहल करनी चाहिए जिससे हर नारी को सशक्त बनाया जा सके। सरकार और प्रशासन की ओर से महिला सुरक्षा के सवाल पर अरुणिमा कहती हैं कि इन दोनों के स्तर पर कुछ प्रयास होंगे तो कुछ हवा में ही रह जाएंगे। वैसे भी हर लड़की की सुरक्षा में पुलिस तैनात होने जैसा भी संभव नहीं है। इससे बेहतर यही है कि हम आपस में ही इतनी मजबूत शक्ति बन जाएं कि हमें किसी की जरूरत ही न पड़े। हालांकि जब किसी महिला के साथ कुछ गलत होता है और वह आवाज उठाती है तो उस वक्त हमारा समाज आंखे मूंदे खड़े रहता है। मेरे साथ ट्रेन हादसे में भी यही हुआ था। लेकिन फिर भी हमें अपने बल पर अपना सुरक्षक बनना ही होगा।
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