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International Womens Day 2020: महिलाओं से संबंधित आपराधिक मामलों में हुई बढ़ोतरी

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट 2018 के अनुसार देश भर में अपहरण के 1.05 लाख मामले सामने आए जबकि 2017 में यह आंकड़ा 95893 था।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sat, 07 Mar 2020 09:00 PM (IST)Updated: Sat, 07 Mar 2020 09:00 PM (IST)
International Womens Day 2020: महिलाओं से संबंधित आपराधिक मामलों में हुई बढ़ोतरी
International Womens Day 2020: महिलाओं से संबंधित आपराधिक मामलों में हुई बढ़ोतरी

नई दिल्ली। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है, ऐसे में यदि महिला अपराधों की बात न की जाए तो कहीं न कहीं कुछ न कुछ कमी सी महसूस होगी। दुनिया की आधी आबादी भी किसी न किसी तरह से अपराध में शामिल रहती है या वो अपराध सहती है। पिछले कुछ साल के NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) को देखें तो किसी प्रदेश में इस तरह के अपराधों में काफी बढ़ोतरी दिखती है तो किसी प्रदेश में इसमें कुछ कमी दिखती है। NCRB या राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने वर्ष 2018 के आपराधिक आंकड़े जारी किए हैं, इससे संबंधित रिपोर्ट को 'भारत में अपराध 2018' के नाम से जारी किया गया था। 

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आंकड़ों के अनुसार साल 2018 में कुल मिलाकर देश में 50.74 लाख अपराध दर्ज किए गए। अगर साल 2018 के आपराधिक मामलों के आंकड़ों की तुलना साल 2017 के आंकड़ों से की जाए तो बीते साल इसमें 1.3% की वृद्धि देखने को मिलती है हालांकि प्रति लाख क्राइम दर 2017 के 388.6 फीसदी से घटकर 2018 में 383.5% रह गई।राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट 2018 के अनुसार देश भर में अपहरण के 1.05 लाख मामले सामने आए जबकि 2017 में यह आंकड़ा 95,893 था। कहा जाए तो साल 2017 की तुलना में वर्ष 2018 में इस तरह के मामलों में 10.3% की वृद्धि दर्ज की गई थी।

NCRB यानी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट 2018 में दर्शाए गए बिंदुओं के मुताबिक इंसान को शारीरिक रूप से प्रभावित करने वाले अपराधों के 10.40 लाख मामले साल 2018 में सामने आए थे। आंकड़ों को देखकर उनकी तुलना की जाए तो यही कहा जा सकता है कि देश में महिलाओं के प्रति अपराध कम नहीं हो रहे हैं, बल्कि बढ़ते जा रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में 50 लाख 07 हजार 44 अपराध के मामले दर्ज किए गए, जिनमें से तीन लाख 59 हजार 849 मामले महिलाओं के खिलाफ अपराध संबंधी हैं।

साल 2015 में महिलाओं के प्रति अपराध के 3,29, 243 मामले दर्ज किए गए। 2016 में इस आंकड़े में 9,711 मामलों की बढ़ोतरी हुई और 3,38,954 मामले दर्ज किए गए। वहीं साल 2017 में ऐसे 20, 895 मामले और बढ़ गए और इस साल 3,59, 849 मामले दर्ज किए गए। यूपी में महिलाओं के प्रति अपराध के मामले सबसे ज्यादा दर्ज हुए हैं और उतनी ही तेजी से बढ़े भी हैं। वहीं, लक्षद्वीप, दमन व दीव, दादर व नगर हवेली जैसे केंद्र शासित प्रदेश और नागालैंड में महिलाओं के प्रति अपराध के सबसे कम मामले दर्ज किए गए हैं। 

यूपी में तेजी से बढ़ी घटनाएं, राजधानी में आई कमी

यूपी में महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज मामलों की संख्या साल 2015 में 35,908 और साल 2016 में 49,262 थी। जबकि साल 2017 में कुल 56,011 मामले दर्ज किए गए। वहीं एनसीआरबी के आंकड़े दिल्ली में काफी हद तक हालात सुधरने की ओर इशारा कर रहे हैं। दिल्ली में महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज मामलों की संख्या साल 2015 में 17,222 और साल 2016 में 15, 310 थी। वहीं 2017 में इन आंकड़ों में कमी आई और 13, 076 मामले दर्ज किए गए। 

एमपी में अपराध बढ़ा, राजस्थान में घटा

यदि एनसीआरबी की रिपोर्ट को देखें तो राजस्थान में भी कुछ हद तक हालात सुधरने की ओर इशारा कर रहे हैं, वहीं मध्य प्रदेश में खराब स्थिति देखने को मिली है। एमपी में महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज मामलों की संख्या साल 2015 में 24, 231 और साल 2016 में 26, 604 थी। वहीं 2017 में 29, 788 मामले दर्ज किए गए थे। राजस्थान में महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज मामलों की संख्या साल 2015 में 28, 224 और साल 2016 में 27, 422 थी। वहीं 2017 में मामलों में कमी आई और 25, 993 मामले दर्ज किए गए थे।

बच्चों के प्रति अपराध

भारत में साल 2016 में 1,06,958 केस दर्ज हुए थे जो साल 2017 में करीब 28 प्रतिशत बढ़कर 1,29,032 हो गए। इस मामले में, उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है, जहां ऐसे मामले साल 2016 की अपेक्षा 19 प्रतिशत ज्यादा दर्ज हुए। उत्तर प्रदेश में कुल 19,145 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि मध्य प्रदेश में 19,038, महाराष्ट्र में 16,918, दिल्ली में 7852 और छत्तीसगढ़ में 6518 मामले दर्ज किए गए थे।

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017 में हत्या के कुल 28,653 मामले सामने आए थे। उत्तर प्रदेश में 2016 की तुलना में यह बहुत कम हुआ है, जबकि बिहार में यह आंकड़ा बढ़ा है हालांकि इसके बावजूद साल 2017 में उत्तर प्रदेश इस मामले में शीर्ष स्थान पर रहा था। इसी समय, केंद्र शासित प्रदेशों में हत्या के सबसे अधिक मामले दिल्ली में दर्ज किए गए थे।  

विशेषज्ञ की राय

महिलाओं में आत्मनिर्भरता आई है जिस तरह से वो हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है उसी तरह से अपने खिलाफ उठने वाली किसी भी आवाज के लिए वो लड़ना भी जान गई है जिससे अपराध में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।

प्रीति गोयल, प्रिंसिपल, सनवैली इंटरनेशनल स्कूल, वैशाली, गाजियाबाद।

आज के समय महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं वो पहले किसी भी तरह से अपराध में शामिल नहीं होती है मगर यदि उन पर किसी तरह का अत्याचार होता है तो वो विरोध करती हैं जिससे अपराध हो जाते हैं।

सीमा जैरथ, प्रिंसिपल, डीएलएफ स्कूल, राजेंद्र नगर, साहिबाबाद


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