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कूड़ा प्रबंधन पर स्वच्छ इंदौर में होगा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन

इंदौर में 9 से 12 अप्रैल तक चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 27 Mar 2018 09:39 PM (IST)Updated: Tue, 27 Mar 2018 09:39 PM (IST)
कूड़ा प्रबंधन पर स्वच्छ इंदौर में होगा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
कूड़ा प्रबंधन पर स्वच्छ इंदौर में होगा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कूड़ा प्रबंधन को लेकर पूरी दुनिया गंभीर है। इसी विषय पर विचार-विमर्श के लिए देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में 9 से 12 अप्रैल तक चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है, जिसमें एशिया प्रशांत क्षेत्र के कुल 45 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। स्वच्छ पानी, स्वच्छ धरती और स्वच्छ हवा के लिए इस सम्मेलन में मंथन होगा।

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'थ्री आर' के नारे को साकार करने के लिए इसमें रीड्यूश, रीयूज और री साइकिल के उपायों पर चर्चा होगी, ताकि जलवायु को स्वच्छ बनाने में मदद मिले। इसका आयोजन केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय के साथ जापान सरकार का पर्यावरण मंत्रालय संयुक्त रूप से कर रहा है। आयोजन में हाथ बंटाने वाले अन्य संस्थाओं में संयुक्त राष्ट्र का सेंटर फॉर रीजनल डवलपमेंट भी है।

पूरी दुनिया के शहरों में वहां से निकलने वाले कूडे़ की समस्या सबसे गंभीर होती जा रही है। शहरों से हर साल निकलने वाले कूड़ों की मात्रा 1.3 बिलियन टन है, जो वर्ष 2025 तक बढ़कर 2.2 बिलियन टन हो सकती है। इसके प्रबंधन में अगर गंभीरता से विचार नहीं किया गया तो स्वास्थ्य व पर्यावरण पर विपरीत असर पड़ना है। इससे निपटने के लिए 'थ्री आर' (रीड्यूश, री यूज और री साइकिल) के फार्मूले पर विचार किया जाएगा। एशिया प्रशांत देशों के इस संगठन की पहली बैठक वर्ष 2009 में जापान के टोक्यो शहर में हुई थी। यहीं से थ्री यूज की सोच को आगे बढ़ाने का कार्यक्रम शुरु किया गया था। यह आठवां सम्मेलन है।

एशिया प्रशांत देशों के इस सम्मेलन का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन करेंगी। सम्मेलन में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कार्यक्रम के समापन समारोह के अतिथि होंगे। इसमें देश के 106 प्रमुख शहरों के मेयर हिस्सा लेंगे। देश की प्रमुख औद्योगिक संस्थानों के प्रमुख हिस्सा लेंगे। भारत की बड़ी आबादी तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ रही है, जिससे शहरी कूड़े का प्रबंधन और कठिन होने लगा है। भारत के लिए यह एक अच्छा मौका है, जब उसे इसके लिए कुछ नयी तकनीक मिल सकती है।


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