चारों शंकराचार्य एक साथ बैठें तो देश का पंचांग एक सा हो सकता, जानिए इसके लिए क्या करना होगा
अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष-वास्तु सम्मेलन में ज्योतिष विद्वानों ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश का एक पंचांग बनाने के लिए चारों शंकराचार्यो को बैठकर निर्णय करना चाहिए।
राज्य ब्यूरो, उज्जैन।मध्य प्रदेश के उज्जैन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष-वास्तु सम्मेलन में ज्योतिष विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश का एक पंचांग बनाने के लिए चारों शंकराचार्यो को बैठकर निर्णय करना चाहिए। इससे संशय और भ्रांतियां दूर हो सकेंगी। व्रत, त्योहार को लेकर सदैव मत भिन्नता और संशय बना रहता है। उज्जैन को कालगणना का केंद्र मानकर पूरे देश का एक पंचांग बनाया जाना चाहिए।
सम्मेलन में ज्योतिषियों का कहना था कि त्योहार पर सरकारी छुट्टियां घोषित होने के पहले ज्योतिषियों से राय ली जानी चाहिए। गंगा दशमी, बसंत पंचमी, निर्जला एकादशी, दिवाली, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राम नवमी आदि तिथियों के बारे में विस्तृत चर्चा कर निर्णय लिए जा सकते हैं। ज्योतिष मनीषी डॉ. एसएस रावत ने कहा कि देश का पंचांग एक होना चाहिए। तिथियों को लेकर कोई संशय या भ्रांति नहीं होनी चाहिए।
उज्जैन और बनारस का जिक्र
मप्र ज्योतिष परिषद अध्यक्ष एवं आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक ने कहा कि परंपरागत पंचांगकर्ताओं से बातकर व्रत-त्योहारों की स्थिति साफ करनी चाहिए। इसके लिए बनारस और उज्जैन के पंचांगकर्ता से आग्रह करना चाहिए। आचार्य अनिल वत्स के अनुसार हमें एक पंचांग का निर्णय लेना पड़ेगा। शंकराचार्यो का भी धर्म बनता है कि वे तिथियों के बारे में एक मत हों। पंचांग में तिथियों का एकमत से निर्णय हो, इसका अनुमोदन ज्योतिष महासम्मेलन में करना चाहिए। पंचांगकर्ता पं. श्यामनारायण व्यास ने कहा कि उज्जैन को कालगणना का केंद्र मानकर पंचांग का निर्माण करना चाहिए।
जानिए क्या है भारतीय काल गणना पद्धति
प्राय: विश्व में एक जनवरी को नववर्ष का आरंभ माना जाता है लेकिन सनातनी परंपरा में चंद्र गणना आधारित काल गणना पद्धति मानी जाती है। इस आधार पर विक्रम संवत की गणना की जाती है। धर्म शास्त्र के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि का आरंभ किया। चंद्र गणना की पद्धति में चंद्रमा की सोलहों कलाओं के आधार पर दो पक्ष का एक-एक मास माना जाता है। इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने शक क्षत्रपों को परास्त कर विक्रम संवत का आरंभ भी किया था।
संवत 2075 में विश्व में पांच ग्रहण लग रहे हैं। इनमें तीन सूर्य व दो चंद्रग्रहण होंगे । इनमें भारत में सिर्फ एक ही खग्रास चंद्रग्रहण 27 जुलाई 2018 को दृष्य होगा। खास यह कि संवत 2075 में अधिक ज्येष्ठ मास यानी मलमास भी होगा।