मोटापे की वजह से किसी अन्य बीमारी के इलाज का क्लेम देने से मुकर नहीं सकती बीमा कंपनी, जिला उपभोक्ता आयोग का फैसला
भाटिया ने बीमा कंपनी में क्लेम प्रस्तुत किया लेकिन कंपनी ने यह कहते हुए क्लेम निरस्त कर दिया कि ये बीमारियां मोटापे की वजह से हुई हैं। इस पर उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया।
इंदौर, राज्य ब्यूरो। मोटापे की वजह से किसी अन्य बीमारी के इलाज का क्लेम देने से स्वास्थ्य बीमा कंपनी मुकर नहीं सकती। यह निर्णय इंदौर में जिला उपभोक्ता आयोग ने सुनाया है। पालिसीधारक 14 वर्ष से नियमित रूप से प्रीमियम भर रहे थे। पालिसी में मोटापे के इलाज (जैसे बैरियाट्रिक सर्जरी आदि) का प्रविधान नहीं था। पालिसीधारक को फेफड़ों में संक्रमण की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
बीमा कंपनी ने यह कहते हुए क्लेम देने से इन्कार कर दिया कि फेफड़ों का संक्रमण मोटापे की वजह से हुआ है। आयोग ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया कि कंपनी को जितनी रकम की पालिसी थी, उतना भुगतान करना पड़ेगा, क्योंकि मोटापा पहले से था और यह तय नहीं किया जा सकता कि फेफड़ों का संक्रमण मोटापे की वजह से ही हुआ।
जितनी रकम की पालिसी थी, उतना भुगतान करना पड़ेगा
इंदौर निवासी राजेंद्र कुमार भाटिया ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के लिए नेशनल इंश्योरेस कंपनी लिमिटेड से मेडिक्लेम पालिसी ली थी। यह पालिसी वर्ष 2000 से नियमित थी। वह एक लाख 25 हजार रुपये तक क्लेम कर सकते थे। 14 अगस्त, 2013 को भाटिया परिवार के साथ नासिक गए। वहां उन्हें खांसी और सांस लेने में दिक्कत हुई। 22 अगस्त को उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
जांच में पता चला कि उनके फेफड़ों में संक्रमण है। स्थिति में सुधार नहीं होने पर उन्हें मुंबई के एक निजी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। वहां स्लिप स्टडी टेस्ट किया गया। इसमें पाया गया कि भाटिया को स्लिप एप्निया (नींद के दौरान सांस संबंधी समस्या) है। उन्हें मशीन के जरिये आक्सीजन देनी (बाइपेप) पड़ी। इलाज में दो लाख 75 हजार 122 रुपये खर्च हुए।
बीमा कंपनी का दावा, मोटापे की वजह से हुई हैं बीमारियां
भाटिया ने बीमा कंपनी में क्लेम प्रस्तुत किया, लेकिन कंपनी ने यह कहते हुए क्लेम निरस्त कर दिया कि ये बीमारियां मोटापे की वजह से हुई हैं। इस पर उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया। बीमा कंपनी की तरफ से मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें लिखा था कि ये बीमारियां मोटापे की वजह से हुई हैं।
आयोग ने माना कि पालिसी में मोटापे का इलाज कवर नहीं था, लेकिन जिन बीमारियों का इलाज परिवादी ने कराया था, वे मोटापे की वजह से हुई हैं, ऐसा कोई उल्लेख नहीं है। इसलिए आयोग ने आदेश दिया कि जितनी रकम की पालिसी थी, बीमा कंपनी को उतना भुगतान तो करना पड़ेगा।