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घंटों बर्फ में चलकर प्रसव पीड़िता को जवानों ने पहुंचाया अस्‍पताल, दिया दो बच्चों को जन्म

चार फीट बर्फ में पैदल चलकर जवानों ने प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को अस्पताल पहुंचाया, पति के फोन करते ही कुछ ही देर में सेना का दल घर आ पहुंचा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 08:28 AM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 05:51 PM (IST)
घंटों बर्फ में चलकर प्रसव पीड़िता को जवानों ने पहुंचाया अस्‍पताल, दिया दो बच्चों को जन्म
घंटों बर्फ में चलकर प्रसव पीड़िता को जवानों ने पहुंचाया अस्‍पताल, दिया दो बच्चों को जन्म

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। ललदेद अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड में गुलशना बेगम अपनी नवजात जुड़वा बच्चियों को देख फूली नहीं समा रही हैं। वह बार-बार भारतीय फौज का शुक्रिया अदा कर रही जिसे खुदा ने फरिश्ता बनाकर भेज दिया था। गुलशना ने बताया कि अगर फौजी नहीं आते तो न मैं जिंदा होती और न मेरी यह लाडलियां।

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बांडीपोर के एक गांव की गुलशना को शनिवार को उस समय घर में प्रसव पीड़ा शुरू हुई। जब पूरे इलाके में चारों तरफ तीन से चार फुट बर्फ की मोटी चादर बिछी हुई थी। डॉक्टर की मदद चाहिए थी। समय बीत रहा था। हालत बिगड़ रही थी। उसके पति को कुछ नहीं सूझा तो उसे अपने गांव से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित सैन्य शिविर का नंबर याद आया।

गुलशना के पति ने सैन्य शिविर में फोन लगाया तो फोन कंपनी कमांडर ने उठाया। सैन्याधिकारी नेे जैसे ही पूछा कौन हैं। गुलशना के पति ने भर्राये गले से बोला कि अगर मेरी पत्नी यूं ही घर में तड़पती रही तो सिर्फ वही नहीं उसके पेट में पल रहा शिशु भी मर जाएगा। फोन सुनने वाले अधिकारी ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि बस कुछ और देर इंतजार करो, तुम्हारे पास पहुंच रहे हैं।

एक सैन्य डॉक्टर और आवश्यक साजो-सामान के साथ जवानों का दल तुरंत मदद के लिए शिविर से निकल पड़ा। तीन से चार फीट बर्फ के बीच करीब सवा दो किलोमीटर पैदल चलते हुए जवान गुलशना के घर पहुंचे। सैन्य डॉक्टर ने उसका मुआयना किया और अपने साथ आए सैन्यकर्मियों को कहा कि वह उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाए।

जवानों ने साथ लाए स्ट्रेचर में गुलशना को लिटाया और दोबारा ढाई किलोमीटर पैदल सफर किया। उसके बाद उन्होंने अपनी एंबुलेंस में गुलशन को बांडिपोर जिला अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने कहा कि दोनों की जान बचाने के लिए उसकी शल्य चिकित्सा जरूरी है। इसलिए उसे श्रीनगर पहुंचाया जाना चाहिए। उसके बाद गुलशन को डॉक्टरों की निगरानी में उसे श्रीनगर पहुंचाया, जहां उसने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया।

डॉक्टर ने कहा कि यह केस बहुत उलझा हुआ था। अगर इसमें थोड़ी और देरी होती तो मां-बच्चे दोनों की जिंदगी खतरे में होती। जिस तरह से यह लोग बता रहे हैं कि सेना के जवानों ने इन्हें वहां से निकाला है, उसे देखते हुए मैं कहूंगी कि सेना के जवानों ने तीन जानें बचाई हैं। बता दें कि सात जनवरी को जिला कुपवाड़ा में भी सेना के जवानों ने जाहिद बेगम नामक गर्भवती महिला को समय रहते अस्पताल पहुंचाकर उसकी और उसके बच्चे की जान बचाई थी।

पुलिसकर्मी भी पीछे नहीं

सोमवार को बारामूला जिले में पुलिस जवान गर्भवती महिला के लिए खुदा के दूत बनकर आए। इन जवानों ने चार किलोमीटर तक बर्फ में चलकर गर्भवती महिला को सुरक्षित जिला अस्पताल पहुंचाया और उसकी जान बचाई।


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