दिवालिया कानून को पुख्ता बनाने के लिए तीन स्तर पर उठेंगे कदम, RBI बदलेगा नियम
पिछले वर्ष तैयार दिवालिया कानून में केंद्र सरकार की तरफ से दो बार संशोधन किये जा चुके हैं। इसके तहत कुछ छोटी छोटी कंपनियों को बैंकों के बकाये कर्ज नहीं चुकाने की वजह से दिवालिया भी घोषित किया जा चुका है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के बैंकों को फंसे कर्जे (एनपीए) से मुक्ति दिलाने के लिए तैयार इंसॉल्वेंसी व बैंक्रप्सी कोड (आईबीसी-दिवालिया कानून) में एक बार फिर बड़े बदलाव की तैयारी है। इस बार बदलाव तीन स्तरों पर हो रहा है ताकि अगले छह महीने के भीतर देश की अर्थव्यवस्था को फंसे कर्जे से मुक्ति दिलाने की एक सुदृढ़ व्यवस्था कायम हो सके। वित्त मंत्रालय की तरफ से गठित 14 सदस्यीय दल जहां आम जनता व विशेषज्ञों से बात करके आईबीसी में बदलाव करने को तैयार वही है रिजर्व बैंक और सेबी को भी कहा गया है कि वे अपने स्तर पर इस कानून को लागू करने में आने वाली अड़चनों को दूर करे।
बाजार नियामक एजेंसी सेबी की तरफ से वित्त मंत्रालय को बताया गया है कि आगामी 28 मार्च को उनके निदेशक बोर्ड में कई ऐसे प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा जो देश में आईबीसी को लागू करने में मददगार साबित होंगे। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, सूचीबद्ध कंपनी में दिवालिया प्रक्रिया शुरु करने पर उसके काम काज में पूरी तरह से बदलाव आ जाता है, ऐसे में सेबी के कई नियमों को बदलना होगा। मसलन, पूंजी बाजार में सूचीबद्ध कंपनी अगर आईबीसी के तहत आती है और उसके दिवालिया करने की प्रक्रिया शुरु की जाती है तो सेबी उसके लिए कुछ डिस्कलोजर्स नियमों में नरमी दे सकती है। इन कंपनियों की परिसंपत्तियों को खरीदने वाली कंपनियों के लिए 25 फीसद हिस्सेदारी शेयर बाजार के जरिए बेचने संबंधी नियमों में कुछ रियायत दी जा सकती है। अगर आईबीसी के तहत ली गई कंपनी सूचीबद्ध है तो उसे शेयर बाजार से अलग करने की प्रक्रिया को भी आसान बनाने की बात सेबी ने कही है।
इसी तरह से रिजर्व बैंक की तरफ से भी दिवालिया कानून की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए बैंकों से जुड़े नियमों में बदलाव किये जाएंगे। यह बदलाव इसलिए भी जरुरी हो गया है क्योंकि आरबीआइ ने हाल ही में फंसे कर्जे (एनपीए) की वसूली के सभी पुराने नियमों को खत्म कर दिया है। अब जिस भी ग्राहक के पर एनपीए बकाया होगा उसके खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई करने का नियम लागू हो जाएगा। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में बहुत सारे मामले दिवालिया कानून के तहत आएंगे। बैंकों को इस प्रक्रिया में सहूलियत देने के लिए आरबीआइ मौजूदा नियमों में कुछ बदलाव करेगा। इन तीन स्तरों पर होने वाले बदलाव के बावजूद सरकारी सूत्रों का कहना है कि आइबीसी के मूल ढांचे में कोई बदलाव नहीं होगा। ये बदलाव दिवालिया की प्रक्रिया को तेज करने के साथ ही इस बात का भी ख्याल रखेंगे कि आम जनता या ग्राहकों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचे।
सनद रहे कि पिछले वर्ष तैयार दिवालिया कानून में केंद्र सरकार की तरफ से दो बार संशोधन किये जा चुके हैं। इसके तहत कुछ छोटी छोटी कंपनियों को बैंकों के बकाये कर्ज नहीं चुकाने की वजह से दिवालिया भी घोषित किया जा चुका है। लेकिन बैंकों की तरफ से प्रस्तावित एक दर्जन बड़ी कंपनियों से इस कानून के तहत कर्ज वसूलने की प्रक्रिया विभिन्न चरणों में है। इन एक दर्जन कंपनियों पर बैंकों के 2.12 लाख करोड़ रुपये की राशि बकाया है।