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आइएनएस विक्रांत को आखिर होना पड़ेगा नीलाम

आइएनएस विराट/मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। भारतीय नौसेना की सेवा में 36 साल गुजारने वाले विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत को महाराष्ट्र सरकार देश के पहले नौसेना संग्रहालय का रूप देने में असफल साबित हुई है। इसलिए अपनी सेवानिवृत्ति के 16 साल बाद यह पोत नीलामी की कगार पर आ खड़ा हुआ है। आइएनएस विराट पर मंगलवार को पत्रकारों से मुखातिब नौसे

By Edited By: Published: Tue, 03 Dec 2013 10:18 PM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2013 10:20 PM (IST)
आइएनएस विक्रांत को आखिर होना पड़ेगा नीलाम

आइएनएस विराट/मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। भारतीय नौसेना की सेवा में 36 साल गुजारने वाले विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत को महाराष्ट्र सरकार देश के पहले नौसेना संग्रहालय का रूप देने में असफल साबित हुई है। इसलिए अपनी सेवानिवृत्ति के 16 साल बाद यह पोत नीलामी की कगार पर आ खड़ा हुआ है।

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आइएनएस विराट पर मंगलवार को पत्रकारों से मुखातिब नौसेना की पश्चिमी कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल शेखर सिन्हा ने दुख भरे शब्दों में खुलासा किया कि गत 26 नवंबर से इस पोत को खरीदने की इच्छुक पार्टियों ने इसका निरीक्षण शुरू कर दिया है। 14 दिसंबर तक चलने वाले इस निरीक्षण के बाद नीलामी की प्रक्रिया ऑनलाइन शुरू की जाएगी। नीलामी में व्यावसायिक घरानों के अलावा राज्य सरकारें भी भाग ले सकती हैं। इच्छुक पार्टियों को नीलामी पूर्व जमानत राशि के रूप में 3.10 करोड़ रुपये जमा करने होंगे। पोत खरीदने के बाद खरीदार इसे संग्रहालय का रूप भी दे सकते हैं अथवा सेवानिवृत्त हुए अन्य पोतों की तरह तोड़ भी सकते हैं। वाइस एडमिरल शेखर के अनुसार यदि खरीदार इसे नौसेना संग्रहालय का रूप देना चाहेगा तो इस कार्य में नौसेना उसे हर तरह से मदद देने को तैयार रहेगी।

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बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में निर्णायक भूमिका निभाने वाला देश का पहला विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत 1961 में नौसेना में शामिल हुआ था। 31 जनवरी, 1997 को इसकी सेवानिवृत्ति के बाद इसे कबाड़ के रूप में बेचने की बात भी चली थी। लेकिन, केंद्र की तत्कालीन राजग सरकार एवं महाराष्ट्र सरकार ने 213 मीटर लंबे और करीब 2000 टन भार वाले इस पोत को कबाड़ियों के हाथ बेचने के बजाय देश के पहले नौसेना संग्रहालय में बदलने की पहल की थी। तब शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के निर्देश पर इस परियोजना के लिए राज्य की तत्कालीन शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार ने नौसेना को पांच करोड़ रुपये दिए थे। वर्ष 2000 में राज्य की सत्ता में आई विलासराव देशमुख सरकार ने भी इस पोत को पर्यटकों के आकर्षण का नया केंद्र मानते हुए गेटवे ऑफ इंडिया के पास ही नौसेना संग्रहालय के रूप में इसे स्थापित करने की योजना बना ली थी।

महाराष्ट्र सरकार इस विशालकाय पोत का उपयोग नौसेना संग्रहालय के अलावा एक हेलीपैड के रूप में भी करना चाहती थी ताकि परियोजना का खर्च निकाला जा सके। नौसेना हालांकि इस तरह के किसी हेलीपैड को अपने हेली बेस आइएनएस शिक्रा के लिए खतरा मानकर इस पर आपत्ति जता रही थी। इस बीच राज्य सरकार ने वित्तीय मदद के लिए कुछ निजी कंपनियों को भी अपने साथ जोड़ने की कोशिश की। लेकिन, 26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद समुद्री सुरक्षा का मुद्दा अहम होता गया और विक्रांत को नौसेना संग्रहालय में बदलने की योजना खटाई में पड़ती गई। नौसेना नहीं चाहती कि यह विशालकाय पोत उसके पश्चिमी कमांड क्षेत्र में कहीं खड़े-खड़े ही डूब न जाए, इसलिए उसने अब इसे नीलाम करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।

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