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भारत को नवंबर में मिल जाएगा गोर्शकोव

रूस से खरीदे गए विमानवाहक पोत गोर्शकोव (अब आइएनएस विक्रमादित्य) के लिए भारत का इंतजार अब कुछ हफ्तों का बचा है। काफी रुकावटों के बाद इस पोत के नवंबर के मध्य में भारत को सौंपे जाने और जनवरी 2014 में नौसेना में इसके विधिवत शामिल किए जाने की पूरी तैयारी है। इससे पहले रक्षा मंत्री एके एंटनी अक्टूबर के दूसरे

By Edited By: Published: Wed, 04 Sep 2013 10:39 PM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2013 10:41 PM (IST)
भारत को नवंबर में मिल जाएगा गोर्शकोव

नई दिल्ली, [जागरण ब्यूरो]। रूस से खरीदे गए विमानवाहक पोत गोर्शकोव के लिए भारत का इंतजार अब कुछ हफ्तों का बचा है। काफी रुकावटों के बाद इस पोत के नवंबर के मध्य में भारत को सौंपे जाने और जनवरी 2014 में नौसेना में इसके विधिवत शामिल किए जाने की पूरी तैयारी है। इससे पहले रक्षा मंत्री एके एंटनी अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में रूस के दौरे पर जाएंगे।

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रक्षा मंत्रालय सूत्रों के अनुसार विमानवाहक पोत को नवंबर के मध्य में भारत को सौंप दिया जाएगा। इसके लिए भारत का एक दल रूस भेजा जाएगा, जो इसे देश लाएगा। सूत्रों ने बताया कि कर्नाटक तट पर स्थित कारवार नौसेना बेस पर आइएनएस विक्रमादित्य को विधिवत भारतीय नौसैनिक बेड़े का हिस्सा बनाया जाएगा। रूस के इस विमानवाहक पोत की खरीद के लिए सौदा 2004 में हुआ था और इसे 2009 तक भारतीय नौसेना में शामिल हो जाना था। हालांकि तकनीकी दिक्कतों और आधुनिकीकरण की लागत में बढ़ोतरी के कारण यह जहाज अभी तक नहीं आ सका। इसकी मूल्यवृद्धि को लेकर 2009 में नियंत्रक महालेखा परीक्षण (कैग) ने सवाल भी उठाए थे।

सूत्रों के अनुसार भारत के लिए नए अवतार में बनाए गए इस विशालकाय युद्धपोत के सभी परीक्षणों का सिलसिला 15 अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाना है। वहीं निर्धारित योजना के अनुसार नवंबर के मध्य में विक्रमादित्य को भारतीय नौसेना के हवाले कर दिया जाएगा। विक्रमादित्य पर इन दिनों बोरित्स सागर में वैमानिक परीक्षण किए जा रहे हैं। इस विमान पर रूसी मिग-28के लड़ाकू विमान तैनात होंगे। गोर्शकोव की आमद से पहले अक्टूबर के मध्य में रक्षा मंत्री एके एंटनी के भी रूस जाने का कार्यक्रम है। एंटनी भारत और रूस के बीच सैन्य और सामरिक तकनीकी सहयोग पर अंतर सरकारी आयोग की बैठक में सह अध्यक्षता करेंगे।

रूस के सेवमेश शिपयार्ड में तैयार किए गए इस जंगी पोत के लिए भारत को 2.34 अरब डॉलर चुकाने पड़े, जो 2004 में हुए सौदे के मुकाबले कई गुना अधिक थे। यह सौदा भारत और रूस के रिश्तों में भी खटास का सबब बना, जब रूसी शिपयार्ड ने 2004 में हुए सौदे में तय कीमत 1.5 अरब डॉलर को बदलने की बात की। साथ ही इसके निर्माण व परीक्षणों के दौरान भी कई शिकायतें उठती रहीं। बीते साल परीक्षण के दौरान इसके बॉयलर में आग लग गई थी जिसके लिए रूसी खेमा भारत की ओर से इंसुलेशन के तौर पर चीन निर्मित ईटों के इस्तेमाल को दोषी करार देता है।

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