Harassment allegations on CJI: जांच कमेटी फुल कोर्ट को सौंपेगी अपनी रिपोर्ट
नयी स्पेशल जांच कमेटी विश्वस्नीय लोगों की हो जो कि मामले की गहराई से जांच करे। उसमें शिकायतकर्ता महिला को वकील या सर्पोट व्यक्ति के साथ कार्यवाही में भाग लेने की इजाजत दी जाए।
नई दिल्ली [माला दीक्षित]। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर लगे अमर्यादित आरोपों की जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की आंतरिक जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट फुल कोर्ट को सौंपेगी। कमेटी की जांच फिलहाल जारी है। जांच में व्यस्त होने के कारण तीनों न्यायाधीश फिलहाल अदालत में नहीं बैठ रहे हैं और शुक्रवार को भी तीनों न्यायाधीश अदालत में नहीं बैठेंगे।
इस बात का पता इससे चलता है कि शुक्रवार को कोर्ट नंबर दो जिसमें जस्टिस बोबडे बैठते हैं और कोर्ट नंबर 14 जिसमें जस्टिस इंदिरा बनर्जी को बैठना था रद हो गई हैं और इस बात का नोटिस सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर है।
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट जजों को हलफनामा भेजकर मुख्य न्यायाधीश पर अमर्यादित आचरण के आरोप लगाए हैं। उसका आरोप है कि जब वह मुख्य न्यायाधीश के आवास स्थित दफ्तर में पोस्टेड थी तब उसके साथ दो बार अमर्यादित आचरण हुआ।
इन आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट की फुल कोर्ट बैठक में प्रस्ताव पारित कर तीन सदस्यीय जांच कमेटी को सौंपी गई है। कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के दूसरे नंबर के वरिष्ठतम न्यायाधीश एसए बोबडे, व दो महिला न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी व इंदू मल्होत्रा शामिल हैं। गत मंगलवार को शिकायतकर्ता महिला ने जांच कमेटी पर सवाल उठाते हुए उसकी कार्यवाही में शामिल न होने की घोषणा की थी।
महिला के शामिल न होने की घोषणा के बाद जांच कमेटी ने एकतरफा सुनवाई जारी रखने का फैसला लिया और इसी क्रम में मुख्य न्यायाधीश को कमेटी से मिलने के लिए लेटर आॅॅफ रिक्वेस्ट भेजा गया था। जिसे स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश गुरुवार को कमेटी से मिले और उन्होंने आरोपों के बावत पूछे गए सवालों का कमेटी को जवाब दिया।
मालूम हो कि कानून के मुताबिक उच्च संवैधानिक पदों जैसे प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रपति को सम्मन नहीं भेजा जाता है इन लोगों को लेटर आफ रिक्वेस्ट भेजा जाता है। सूत्र बताते हैं कि चूंकि कमेटी का गठन फुल कोर्ट बैठक से मंजूरी के बाद हुआ था इसलिए कमेटी अपनी रिपोर्ट भी फुल कोर्ट को सौंपेगी।
वैसे बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट की तय इन हाउस जांच प्रक्रिया के मुताबिक कमेटी जांच की रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश को सौंपती है जो कि प्रशासनिक मुखिया होता है। चूंकि यहां आरोप मुख्य न्यायाधीश पर ही हैं इसलिए रिपोर्ट फुल कोर्ट को सौंपी जाएगी।
333 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिख कर की नई जांच कमेटी बनाने की मांग
मुख्य न्यायाधीश पर अमर्यादित आचरण के आरोपों के मामले में गुरुवार को महिला वकीलों और सिविल सोसाइटी के कुल 333 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को खुला पत्र लिख कर मामले की जांच के लिए विशाखा गाइड लाइन के मुताबिक नयी जांच कमेटी बनाने की मांग की है।
पत्र में शिकायतकर्ता महिला के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करते हुए कहा गया है कि शिकायतकर्ता महिला ने वर्तमान जांच कमेटी की कार्यवाही में हिस्सा लेने से इन्कार करने के कारण दिये हैं और उसके बाद कमेटी का एकतरफा सुनवाई जारी रखना सही नहीं है। यह कमेटी ठीक नहीं है, क्योंकि मुख्य न्यायाधीश जांच कर रही कमेटी के तीनों न्यायाधीशों के सीनियर हैं।
इसके अलावा कमेटी न तो कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न कानून के मुताबिक है और न ही विशाखा गाइड लाइन के मुताबिक। कहा गया है कि शिकायतकर्ता महिला के कार्यवाही का बहिष्कार करने के बाद यह जांच कमेटी कानूनी नहीं रह गई है इसलिए इस जांच कमेटी की कार्यवाही रोक दी जाए और विशाखा गाइडलाइन के मुताबिक नयी जांच कमेटी का गठन किया जाए।
नयी स्पेशल जांच कमेटी विश्वस्नीय लोगों की हो जो कि मामले की गहराई से जांच करे। उसमें शिकायतकर्ता महिला को वकील या सर्पोट व्यक्ति के साथ कार्यवाही में भाग लेने की इजाजत दी जाए। इतना ही नहीं जबतक जांच पूरी नहीं होती मुख्य न्यायाधीश कामकाज न करें।