Move to Jagran APP

आइएनएएमएएस ने तैयार की पहली स्वदेशी एंटी न्यूक्लियर मेडिकल किट

देश की सुरक्षा में तैनात अर्धसैनिक बलों और पुलिस की सुरक्षा के लिए वैज्ञानिकों ने पहली स्वदेशी एंटी न्यूक्लियर मेडिकल किट तैयार कर ली है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 10:41 AM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 10:41 AM (IST)
आइएनएएमएएस ने तैयार की पहली स्वदेशी एंटी न्यूक्लियर मेडिकल किट
आइएनएएमएएस ने तैयार की पहली स्वदेशी एंटी न्यूक्लियर मेडिकल किट

नई दिल्ली [प्रेट्र]। देश की सुरक्षा में तैनात अर्धसैनिक बलों और पुलिस की सुरक्षा के लिए वैज्ञानिकों ने पहली स्वदेशी एंटी न्यूक्लियर मेडिकल किट तैयार कर ली है। इस किट का निर्माण परमाणु चिकित्सा और संबद्ध विज्ञान संस्थान (आइएनएमएएस) के वैज्ञानिकों ने किया है। इससे परमाणु युद्ध या रेडियोधर्मी विकिरण की वजह से गंभीर रूप के घायल लोगों का इलाज किया जा सकेगा। साथ ही दूसरे लोगों को इनके प्रभाव में आने से रोका जा सकेगा।

loksabha election banner

आइएनएमएएस के वैज्ञानिकों ने 20 वर्षों के निरंतर प्रयासों से इस किट को तैयार किया है। इस किट में करीब 25 सामग्री हैं, जिनका अलग-अलग इस्तेमाल किया जा सकता है। इनमें विकिरण के असर को कम करनेवाले रेडियो प्रोटेक्टर, बैंडेज, गोलियां, मलहम आदि शामिल हैं।

आइएनएमएएस के निदेशक एके सिंह ने बताया कि स्वदेशी रूप से इस किट का निर्माण पहली बार किया गया है। इससे देश को काफी फायदा होगा। अबतक भारत इस किट को सामरिक रूप से उन्नत राष्ट्रों जैसे रूस और अमेरिका से खरीदता था, जिसके लिए भारी कीमत चुकानी होती थी। इसके विकसित होने से अब कम कीमत में ही इलाज मुमकिन हो सकेगा।

आइएनएमएएस के मुताबिक, फिलहाल यह किट सिर्फ अर्धसैनिक बलों और पुलिस वालों के लिए बनाई गई है, जिनको विकिरण का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। इनका इस्तेमाल किसी परमाणु, रासायनिक हमले के दौरान या उसके बाद चलाए जाने वाले बचाव अभियान के दौरान ही किया जाएगा।

संस्थान ने कहा कि कई अर्धसैनिक बल उनके साथ समझौता करने पर विचार कर रहे हैं, ताकि इसकी निर्बाध आपूर्ति हो सके। एके सिंह के मुताबिक फायदेमंद सौदा नहीं होने की वजह से दवा कंपनियां इस तरह की किट विकसित करने की ओर ध्यान नहीं देती हैं।

दवाएं और इंजेक्शन हैं किट में

किट में हल्के नीले रंग की गोलियां हैं, जो रेडियो सेसियम (सीएस-137) और रेडियो थैलियम आदि के असर को लगभग खत्म कर देती हैं। ये खतरनाक रसायन परमाणु बम का हिस्सा होते हैं, जो मानव शरीर की कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं। यह गोली मानव शरीर में प्रवेश करने वाले विकिरणों को पूरी तरह से अवशोषित कर लेने में सक्षम है। इसमें एक एसिड (ईडीटीए) का इन्जेक्शन भी है, जो परमाणु हमले के दौरान यूरेनियम को शरीर में फैलने से रोकता है। इसमें सीए-ईडीटीए द्रव है, जिसे इंजेक्शन के जरिये शरीर में दिया जाता है।

यह भारी तत्वों को शरीर से बाहर निकाल देता है। किट में गामा रे के प्रभाव को कम या खत्म करने के लिए मलहम भी है। इस किट के बारे में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख राजेश मल्होत्रा का कहना है कि यह किट न सिर्फ सैनिकों, बल्कि सभी के लिए फायदेमंद होगी। यह आतंकी हमलों में घायल लोगों की भी मदद कर सकती है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.