Move to Jagran APP

facial recognition को दुनिया की सबसे बड़ी पहचान प्रणाली बनाने की पहल

यदि facial recognition योजना लागू हो गई तो संभव है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी पहचान प्रणाली होगी। इसी सप्ताह इसके टेंडर खोले जाने की योजना है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 03:10 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 03:10 PM (IST)
facial recognition को दुनिया की सबसे बड़ी पहचान प्रणाली बनाने की पहल
facial recognition को दुनिया की सबसे बड़ी पहचान प्रणाली बनाने की पहल

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। सरकार अपनी सुरक्षा तकनीक को मजबूत करना चाहती है, इसको लेकर अब नई दिशा में कदम उठाया जा रहा है। सरकार चाहती है कि अब एक ऐसी तकनीक लाई जाए जिससे लापता बच्चों को खोजने में मदद मिले साथ ही साथ जो अपराधी है उनके डेटा भी इस साफ्टवेयर में अपडेट कर दिए जाएं जिससे इनको पकड़ने में आसानी हो सके।

loksabha election banner

मगर दूसरी ओर एक बात ये भी कही जा रही है कि यदि इस तकनीक को लागू किया गया तो इससे लोगों की सूचनाएं लीक होंगी और हैकर्स इसका गलत इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इससे पहले इस तरह की कई साइटों से ऐसे डेटा लीक हो चुके हैं और उनका गलत इस्तेमाल भी हुआ है, इस वजह से इसको लेकर भ्रम की स्थिति भी बनी हुई है। एनसीआरबी(राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) ने इसके लिए टेंडर निकाला है, यदि ये योजना लागू हो गई तो संभव है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी पहचान प्रणाली होगी। इसी सप्ताह इसके टेंडर खोले जाने की योजना है।

कैमरा तकनीक का इस्तेमाल 

यदि ये कैमरा तकनीक लागू हो गई है तो इससे पुलिस बल को काफी मजबूती भी मिलेगी। बदमाशों, आतंकियों, लापता बच्चों और अन्य तरह की सूचनाएं जमा करना आसान हो जाएगा। यदि भारत में ये तकनीक लागू हो जाती है तो इसे दुनिया की सबसे बड़ी पहचान प्रणाली कहा जा सकता है।

कुछ देशों में इस तकनीक पर लगा बैन लगाने का विरोध 

सैन फ्रांसिस्को जैसे देश में चेहरे को पहचानने की तकनीक को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है। वहां इसे बैन कर दिया गया है। दरअसल काले और गहरे रंग वाली महिलाएं और ट्रांसजेंडर की पहचान करने में यह तकनीक कारगर नहीं पाई गई। इसके अलावा भी कई चेहरे ऐसे होते हैं जिनको देखकर महिला, पुरुष या ट्रांसजेंडर कह पाना मुश्किल होता है। ऐसे लोगों के लिए ये तकनीक कारगर होगी या नहीं, ये भी अपने आप में एक सवाल है।

दिल्ली पुलिस को मिली कामयाबी 

बीते साल जुलाई माह में देश के कुछ एयरपोर्टों पर फेशियल रेकग्निशन तकनीक लॉन्च हुई थी, इस तकनीक के ट्रायल के दौरान ही लगभग 3000 लापता बच्चों की पहचान कर ली गई थी। टेक्नोलॉजी साइट कॉम्पेरिटेक ने इसके बारे में एक सर्वे किया था, उस सर्वे के बाद साइट की ओर से एक रिपोर्ट भी जारी की गई, इस रिपोर्ट में दिल्ली और चेन्नई को दुनिया के दो सबसे ज्यादा निगरानी वाले शहरों की रैंकिंग में डाला गया था। क्योंकि यहां पर इस तरह की तकनीक की अधिक डिमांड बताई जा रही है।

फेशियल रेकग्निशन देश की जरुरत 

भारत में अभी भी आबादी के हिसाब से यहां पर पुलिसकर्मियों की संख्या नहीं है इस वजह से पुलिस पर काफी दबाव रहता है। सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि फेशियल रेकग्निशन देश की जरुरत है क्योंकि यहां पुलिस की संख्या अभी भी बहुत कम है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र की ओर से एक सर्वे करवाया गया था जिसमें ये निकलकर सामने आया था कि देश में एक लाख नागिरकों पर पुलिस के 144 जवान हैं। यदि बाकी दुनिया के पुलिस सिस्टम से इसकी तुलना करें तो ये दुनिया में सबसे कम अनुपात है।

प्राइवेसी मौलिक अधिकार 

भारत की सर्वोच्च अदालत ने 2017 में पहचान के लिए 'आधार' पर दिए अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था प्राइवेसी (निजता) हर किसी का मौलिक अधिकार है। यदि इस तरह की कोई नीति बनाई जा रही है तो उसके निर्माण के समय राष्ट्रीय सुरक्षा को केंद्र में रखना बहुत जरूरी है। मगर देश की सुरक्षा के लिए अधिकार सीमित किए जाएं ये किसी तरह से ठीक नहीं है इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।

कंपनियों के डेटा में हैकर्स ने लगाई सेंध 

हैकर्स आए दिन कंपनियों के डेटा में सेंध लगाते रहते हैं। हैकर्स कई बड़ी कंपनियों के डेटा में सेंध लगाते रहते हैं, ये हैकर्स पकड़ में भी आ चुके हैं। 2011 के बाद से हर साल इस तरह की चीजें सामने आ रही है कि हैकर्स कंपनियों के डेटा हैक कर उसे बेच दे रहे हैं।

इन-इन बड़ी कंपनियों के डेटा हो चुके हैं चोरी

जेपी मॉर्गन 

जेपी मॉर्गन अमेरिका के बड़े बैंकों में शुमार है। ये बड़ा बैंक भी हैकर्स से अपना डेटा चोरी होने से नहीं बचा पाया। साल 2014 के साइबर अटैक में इस बैंक में खाता रखने वाले लगभग 7.6 करोड़ अमेरिकी लोगों के डेटा चोरी हो गए, इसके अलावा 70 लाख छोटे कारोबारियों को भी हैकर्स ने निशाना बनाया था, इनके भी डेटा चोरी हो गए थे।

लिंक्डइन 

ये नौकरी देने वाला एक प्रोफेशनल प्लेटफार्म है। दुनिया भर के कोनों से लोग इससे जुड़े हुए हैं, यहां अपना प्रोफाइल अपडेट करते हैं। ये प्लेटफार्म भी अपने यहां से डेटा चोरी होने की शिकायत करता है। कंपनी की ओर से बताया गया कि साल 2012 मे नेटवर्क को हैक कर करीब 65 लाख यूजर्स की जानकारी निकाल ली गई। सबसे पहले इसमें रूस के हैकर्स का हाथ होने की बात सामने आ रही थी।

जोमैटो 

आजकल जोमैटो का नाम फोन पर खाना आर्डर करने वाले हर किसी को पता है। इस कंपनी ने भी साल 2017 में डेटा चोरी होने की बात कही थी। कंपनी की ओर से जानकारी दी गई थी कि हैकर्स ने उसके करीब 1.7 करोड़ यूजर्स का डेटा चोरी कर लिया है। इसमें जोमैटो एप का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के ईमेल और पासवर्ड भी शामिल हैं। जोमैटो कंपनी इन दिनों दुनिया के 23 देशों में अपनी सेवाएं दे रही है।

उबर 

आनलाइन टैक्सी की सुविधा देने वाली कंपनी उबर का भी डेटा लीक हो चुका है। कंपनी ने साल 2017 में बताया था कि उनकी एप को लगभग 5.7 करोड़ लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। इन सभी के डेटा को हैकर्स ने साल 2016 में चुरा लिया था। और तो और कंपनी की ओर से ये भी बताया गया था कि हैकर्स ने कंपनी में दर्ज 6 लाख ड्राइवरों के लाइसेंस नंबर भी चुरा लिए है।

पिज्जा हट 

पिज्जा खाने के शौकीन जो लोग अपनी डिटेल इनकी साइटों पर अपलोड कर देते हैं, हैकर्स को यहां से डेटा चोरी करने में आसानी होती है। पिज्जा हट ने साल 2017 में अपनी वेबसाइट और ऐप के हैक होने की बात स्वीकार कर ली थी। कंपनी की ओर से बताया गया था कि इस डेटा चोरी में यूजर्स की निजी जानकारी को निशाना बनाया गया।

ईबे (E-Bay) 

E-Bay ई -कॉमर्स कंपनी है। इस कंपनी से खरीदारी करने वाले लोग यहां पर अपनी डिटेल देते हैं। इस कंपनी की ओर से भी साल 2014 में डेटा चोरी होने का मामला दर्ज कराया था। कंपनी की ओर से जानकारी दी गई थी कि हैकर्स ने उनकी कंपनी के लगभग 14.5 करोड़ यूजर्स के नाम, पता और डेट ऑफ बर्थ के डेटा चोरी कर लिए हैं। कंपनी ने ये भी बताया कि हैकर्स ने कंपनी में ही काम करने वाले तीन लोगों के नाम का इस्तेमाल किया। इनके नाम से कंपनी के सर्वर में जगह बनाई, वो यहां 229 दिनों तक बने रहे और इतने लोगों के डेटा चोरी कर लिए।

सर्च इंजन याहू 

इंटरनेट सर्च इंजन याहू भी हैकर्स की चपेट में आ चुका है। कंपनी ने साल 2017 में यह बात मानी कि 2013 के दौरान कंपनी के करीब तीन अरब एकाउंट पर हैकर्स ने सेंध लगाई थी। इससे पहले साल 2016 में प्रभावित एकाउंट्स की संख्या एक अरब तक बताई गई थी उसके बाद 2017 में यह संख्या बढ़कर तीन अरब तक पहुंच गई।

बीमा कंपनी बूपा के भी डेटा चोरी 

भारत में बीमा कंपनी मैक्स काम कर रही है। इसी कंपनी के साथ बूपा भी काम कर रही है। बूपा कंपनी की ओर से भी ये जानकारी दी गई कि वो भी डेटा चोरी का शिकार बन चुकी है। ब्रिटेन की इस कंपनी से जुड़े 5 लाख लोगों की बीमा योजनाओं की जानकारी हैकर्स ने चुरा ली थी। ये भी बताया गया कि ब्रिटेन में करीब 43 हजार लोग इस डेटा चोरी से प्रभावित हुए थे। उसके बाद ये जानकारी सार्वजनिक हो पाए।

प्लेस्टेशन नेटवर्क 

कई कंपनियां गेमिंग प्लेस्टेशन बनाती हैं। इन कंपनियों के भी डेटा चोरी होने की शिकायतें आ चुकी हैं। सोनी प्लेस्टेशन नेटवर्क से डेटा चोरी होने की घटना भी चौंकाने वाली थी। साल 2011 में प्ले स्टेशन से डेटा चोरी किए गए। हैकर्स ने साल 2011 में 7.7 करोड़ प्लेस्टेशन यूजर्स के एकाउंट हैककर उनके डेटा चोरी कर लिए। इस हैकिंग से कंपनी पर बहुत बुरा असर पड़ा। एक महीने तक कंपनी की साइट डाउन रही, साथ ही कंपनी को 17.1 करोड़ का नुकसान भी हुआ था।

कंसल्टेंसी फर्म डेलॉयट 

एक कंसल्टेंसी फर्म है इसका नाम डेलॉयट है। ये कंपनी दुनिया की बड़ी कंसल्टेंसी फर्म में शुमार है, ये भी हैकर्स से बच नहीं पाई। इस चोरी का अमेरिकी ग्राहकों पर असर पड़ने की बात सामने आई थी। इसमें कुछ गुप्त ई मेल, निजी योजनाएं और डॉक्युमेंट्स को चुराया गया था। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.