सामरिक चुनौतियों से निपटने की तैयार, स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत दूसरे समुद्री परीक्षण के लिए रवाना, जानें इसकी खूबियां
भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत (Indigenous Aircraft Carrier (IAC) विक्रांत (Vikrant) दूसरे समुद्री परीक्षण के लिए रविवार को कोच्चि से रवाना हुआ। अगले साल अगस्त तक इसे नौसेना में शामिल किया जाना है। जानें इसकी खूबियां ...
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत (आइएसी) विक्रांत दूसरे समुद्री परीक्षण के लिए रविवार को कोच्चि से रवाना हुआ। अगले साल अगस्त तक इसे नौसेना में शामिल किया जाना है। देश में बने सबसे बड़े और 40 हजार टन वजनी पोत ने अगस्त में पांच दिवसीय पहली समुद्री यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की थी। तब नौसेना ने कहा था कि युद्धपोत की प्रमुख प्रणालियों का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है। युद्धपोत के निर्माण में 23 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है।
यह हैं खूबियां
- इससे मिग-29 लड़ाकू विमानों का संचालन किया जा सकता है।
- इससे कामोव-31 और एमएच-60आर हेलीकाप्टरों का भी संचालन होगा...
- इस विमानवाहक पोत का वजन 40,000 टन है।
- यह करीब 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है।
- इस पर 30 लड़ाकू विमान और हेलीकाप्टर तैनात किए जा सकते हैं।
- यह मिग-29 लड़ाकू विमानों और केए-31 हेलीकाप्टरों से लैस होगा।
2300 से अधिक कम्पार्टमेंट से लैस
इससे मिग-29 लड़ाकू विमानों, कामोव-31 व एमएच-60आर हेलीकाप्टरों का संचालन किया जा सकता है। इसमें 2300 से अधिक कम्पार्टमेंट हैं, जिन्हें 1700 से अधिक लोगों के रहने के लिए डिजाइन किया गया है। युद्धपोत की लंबाई 262 मीटर, चौड़ाई 62 मीटर और लंबाई 59 मीटर है। इसका निर्माण 2009 में शुरू हुआ था। युद्धपोत कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा बनाया गया है। भारत के पास मौजूदा समय में सिर्फ एक विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य है।
यह सबसे बड़ा स्वदेशी युद्धपोत
यह भारत में बना सबसे बड़ा और विशालकाय युद्धपोत है। यह आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की पहल में एक बड़ा योगदान है। गौरतलब है कि मौजूदा वक्त में भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान की बढ़ती चुनौतियों से निपटने पर जोर दे रही है। जानकारों का कहना है कि इस युद्धपोत के भारतीय सेना में शामिल होने से दुश्मन देशों पर एक बड़ा दबाव बन सकेगा।