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आधुनिक भारत के निर्माता थे पंडित नेहरू, कई वैश्विक ज्‍वलंत मुद्दों को सुलझाने में बने थे सहायक

1962 में चीन से हुए युद्ध को लेकर भले ही पंडित नेहरू के नेतृत्‍व पर सवाल उठते आए हैं लेकिन ये भी सच है कि उन्‍होंने कई वैश्विक ज्‍वलंत मुद्दों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई थी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 11:12 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 07:00 AM (IST)
आधुनिक भारत के निर्माता थे पंडित नेहरू, कई वैश्विक ज्‍वलंत मुद्दों को सुलझाने में बने थे सहायक
आधुनिक भारत के निर्माता थे पंडित नेहरू, कई वैश्विक ज्‍वलंत मुद्दों को सुलझाने में बने थे सहायक

नई दिल्‍ली। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को आधुनिक भारत का रचयिता कहा जाता है। उन्‍होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित करने के साथ ही लगातार तीन पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया था। भारत के स्‍वतंत्रता आन्दोलन के दौरान वे महात्‍मा गांधी सबसे करीबी और सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे थे। 1941 में ही महात्‍मा गांधी ने नेहरू को अपना राजनीतिक वारिस और उत्तराधिकारी घोषित किया था।

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देश के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर उन्‍होंने आधुनिक भारत के निर्माण की पूरी कोशिश की। 1950 में भारतीय संविधान लागू होने के बाद उन्होंने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के एक महत्त्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की। नेहरू को विदेश नीति में, भारत को दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय नायक के रूप में और गुटनिरपेक्ष आंदोलन में एक अग्रणी भूमिका निभाने के लिए भी याद किया जाता है।

देश को विकास के पथ पर लाने के लिए उन्‍होंने योजना आयोग का गठन किया। उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि और उद्योग का एक नया युग शुरु हुआ। उन्‍होंने ही जोसिप बरोज टिटो और अब्दुल गमाल नासिर के साथ मिलकर एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवाद के खात्मे के लिए एक गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत की। इसके अलावा वे कोरियाई युद्ध का अंत करने, स्वेज नहर विवाद सुलझाने और कांगो समझौते को मूर्तरूप देने जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में मध्यस्थ की भूमिका में रहे। इनके अलावा उन्‍होंने पर्दे के पीछे रहते हुए पश्चिम बर्लिन, ऑस्ट्रिया और लाओस के जैसे कई अन्य विस्फोटक मुद्दों के समाधान में भी अहम भूमिका निभाई। उन्हें वर्ष 1955 में भारत के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हुआ था। इसके पीछे 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में उनके असफल नेतृत्‍व को भी माना जाता है। इस युद्ध में भारत को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। यही वजह है कि उनकी आलोचना भी कम नहीं होती आई है। 1978 में आई एक किताब जिसका नाम गांधी टूडे था में इसके लेखक जयप्रकाश नारायण ने लिखा था कि जब आजादी के ठीक पहले कांग्रेस अध्यक्ष बनने की बात थी और माना जा रहा था कि जो कांग्रेस अध्यक्ष बनेगा वही आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री होगा तब भी गांधी ने प्रदेश कांग्रेस समितियों की सिफारिशों को अनदेखा करते हुए नेहरू को ही अध्यक्ष बनाने की दिशा में सफलतापूर्वक प्रयास किया।

इससे एक आम धारणा यह बनती है कि नेहरू ने न सिर्फ महात्मा गांधी के विचारों को आगे बढ़ाने का काम किया होगा, बल्कि उन्होंने उन कार्यों को भी पूरा करने की दिशा में अपनी पूरी कोशिश की होगी, जिन्हें खुद गांधी नहीं पूरा कर पाए। हालांकि, सच्चाई इसके उलट है। किताब में लिखी भूमिका के बावजूद जेपी को उनकी विश्वसनीयता को लेकर कभी कोई संदेह नहीं रहा। वे खुद भी नेहरू के करीबी थे। इसके बावजूद समय-समय पर उन्‍होंने नेहरू की कमियों को भी उजागर किया।

  • उनकी कही वो बातें जो सभी के लिए आज भी प्रेरणास्रोत हैं:-

  • लोकतंत्र अच्छा है. मैं ऐसा इसलिए कहता हूं, क्योंकि अन्य प्रणालियां इससे बदतर हैं।
  • तथ्य, तथ्य हैं और किसी की पसंद से गायब नहीं होते हैं।
  • विफलता तभी होती है, जब हम अपने आदर्शों, उद्देश्यों और सिद्धांतों को भूल जाते हैं।
  • एक महान कार्य में लगन और कुशलतापूर्वक काम करने पर भी भले ही उसे तुरंत पहचान न मिले, अंततः सफल जरूर होता है।
  • लोगों की कला उनके मन का सही दर्पण है।
  • एक पूंजीवादी समाज की शक्तियों को अगर अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो वे अमीर को और अमीर तथा गरीब को और गरीब बना देती हैं।
  • वह व्यक्ति जिसे वो सब मिल जाता है जो वो चाहता था, वह हमेशा शांति और व्यवस्था के पक्ष में होता है।

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