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भारतीय सेटेलाइट एस्ट्रोसैट ने की अंतरिक्ष में दुर्लभ खोज, तीव्र पराबैंगनी किरण का पता लगाया

भारत के पहले मल्टी वेवलेंथ उपग्रह एस्ट्रोसैट (Indian satellite AstroSat) ने एक आकाशगंगा से निकलने वाली तेज पराबैंगनी किरण का पता लगाया है। पढ़ें यह दिलचस्‍प रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 06:03 AM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 07:30 AM (IST)
भारतीय सेटेलाइट एस्ट्रोसैट ने की अंतरिक्ष में दुर्लभ खोज, तीव्र पराबैंगनी किरण का पता लगाया
भारतीय सेटेलाइट एस्ट्रोसैट ने की अंतरिक्ष में दुर्लभ खोज, तीव्र पराबैंगनी किरण का पता लगाया

पुणे, पीटीआइ। भारत के पहले मल्टी वेवलेंथ उपग्रह एस्ट्रोसैट ने एक आकाशगंगा से निकलने वाली तीव्र पराबैंगनी (यूवी) किरण का पता लगाया है। वह आकाशगंगा पृथ्वी से 9.3 अरब प्रकाश वर्ष दूर है। पुणे स्थित इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफीजिक्स (आइयूसीएए) ने सोमवार को बताया कि उसके नेतृत्व में एक वैश्विक टीम ने यह उपलब्धि हासिल की है। उसने कहा, 'भारत के पहले मल्टी वेवलेंथ उपग्रह एस्ट्रोसैट के पास पांच विशिष्ट एक्सरे व टेलीस्कोप उपलब्ध हैं। ये एकसाथ काम करते हैं।'

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एस्ट्रोसैट ने एयूडीएफएस01 नामक आकाशगंगा से निकलने वाली तीव्र पराबैंगनी किरण का पता लगाया है। यह पृथ्वी से 9.3 अरब प्रकाश वर्ष दूर है। एक वर्ष में प्रकाश द्वारा तय की जाने वाली दूरी को प्रकाश वर्ष कहा जाता है, जो लगभग 95 खरब किलोमीटर के बराबर है। तीव्र पराबैंगनी किरण की खोज करने वाली वैश्विक टीम का नेतृत्व डॉ. कनक शाह ने किया। वह आइयूसीएए में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उनकी टीम के शोध का प्रकाशन 24 अगस्त को 'नेचर एस्ट्रोनॉमी' नामक पत्रिका में किया गया है।

वहीं आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ छोटी आकाशगंगाएं मिल्की वे आकाशगंगा की तुलना में 10-100 गुणा अधिक गति से नए तारों का निर्माण करती हैं। बता दें कि ब्रह्मांड की अरबों आकाशगंगाओं में बड़ी संख्या में ऐसी छोटी आकाशगंगाएं हैं जिनका द्रव्यमान मिल्की वे आकाशगंगाओं की तुलना 100 गुणा कम है। दो भारतीय दूरबीनों के जरिए वैज्ञानिकों ने अपने अध्‍ययन में पाया कि इन आकाशगंगाओं के इस विचित्र व्‍यवहार की वजह उनमें अव्यवस्थित हाइड्रोजन का वितरण और आकाशगंगाओं के बीच की टक्कर है।

एआरआईईएस वैज्ञानिकों का कहना है कि हाइड्रोजन किसी भी तारे के निर्माण के लिए जरूरी तत्व है। बड़ी संख्‍या में तारों के निर्माण के लिए आकाशगंगाओं में हाइड्रोजन के उच्च घनत्व की जररूत होती है। वैज्ञानिकों ने नैनीताल के नजदीक 1.3 मीटर के देवस्थल फास्ट ऑप्टिकल टेलीस्कोप और जाइंट मेट्रेवेव रेडियो टेलीस्कोप की मदद से यह अध्ययन किया। अध्ययन के निष्कर्ष ब्रिटेन की रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी की पत्रिका मंथली नोटिस ऑफ रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी में प्रकाशित होंगे। 


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