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2020 तक भारत को मिलेगा पहला ई-वाहनों को चार्ज करने वाला हाईवे

ग्रेटर नोएडा के परी चौक और दिल्ली के बीच छह और चार्जिंग स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं।

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 04 Jul 2019 08:00 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2019 08:00 PM (IST)
2020 तक भारत को मिलेगा पहला ई-वाहनों को चार्ज करने वाला हाईवे
2020 तक भारत को मिलेगा पहला ई-वाहनों को चार्ज करने वाला हाईवे

नई दिल्ली, पीटीआइ। दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा हाईवे ये भारत का पहला ऐसा हाईवे बनने जा रहा है, जहां इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशनों की भी व्यवस्था की जाएगी। एक अधिकारी ने बताया कि 2020 तक यह हाईवे तैयार हो जाएगा। बताया गया कि यमुना एक्सप्रेसवे (दिल्ली और आगरा के बीच) और राष्ट्रीय राजमार्ग 48 (दिल्ली और जयपुर के बीच) की टोटल दूरी 500 किमी होगी और दो मार्गों पर टोल प्लाजा के पास 18 चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे।

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इ-कॉरिडोर को ASSAR की EODB के तहत सबसे पहले प्रस्तावित किया गया। यह एक निजी अथॉरिटी है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा स्पॉट किया जाता है। ASSAR में राष्ट्रीय प्रोग्राम डायरेक्टर EODB, अभिजीत सिन्हा ने कहा, 'यह परियोजना इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए 500 किमी के एक्सप्रेसवे को इलेक्ट्रिक कॉरिडोर में बदलने के बारे में है। इन कॉरिडोर पर टेस्ट रन इस सितंबर से शुरू होने की उम्मीद है और इन ई-कॉरिडोर को मार्च 2020 में लॉन्च किया जाएगा।'

समाचार एजेंसी पीटीआइ से बातचीत में उन्होंने बताया कि दो मार्गों पर 18 चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। इनमें 8 दिल्ली-आगरा के बीच और 10 दिल्ली-जयपुर के बीच होंगे। अपने वाहनों को चार्ज करने के अलावा, लोग बैटरी भी बदल सकते हैं। बताया गया कि इन स्टेशनों को टोल प्लाजा के पास विकसित किया जाएगा। सिन्हा ने कहा कि हर स्टेशन पर 8 से 10 चार्जर और 20 चार्जिंग प्वाइंट होंगे।

इसके अलावा बताया गया कि एक बार फुल चार्ज होने पर एक एसयूवी जैसा वाहन 180 किमी की यात्रा कर सकता है, उन्होंने कहा कि एक डीसी चार्जर को ऐसे वाहन को पूरी तरह से चार्ज करने में लगभग 1.25 घंटे लगेंगे।

सिन्हा, जो NHEV के प्रोग्राम डायरेक्टर भी हैं, उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा के परी चौक और दिल्ली के बीच छह और चार्जिंग स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं। हमने भूमि की सुविधा के लिए नोएडा प्राधिकरण से इस संबंध में सिफारिश भी की है।

पूरे प्रोजेक्ट की लागत पर, उन्होंने कहा कि सिंगल चार्जिंग स्टेशन विकसित करने में लगभग दो करोड़ रुपये खर्च होंगे और बिजली का शुल्क अतिरिक्त होगा। सिन्हा ने कहा कि अभी सिर्फ ध्यान देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बुनियादी ढांचे के विकास की ओर है।


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