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भारतीय संचार सैटेलाइट जीसेट-18 फ्रेंच गुयाना से सफलतापूर्वक लॉन्च

जीसेट-18 को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने डिजायन किया है। इसका उद्देश्य भारत में संचार सेवाओं को बेहतर बनाना है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 06 Oct 2016 03:11 AM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2016 06:41 PM (IST)
भारतीय संचार सैटेलाइट जीसेट-18 फ्रेंच गुयाना से सफलतापूर्वक लॉन्च

बेंगलुरु, प्रेट्र। दक्षिण अमेरिका में स्थित फ्रेंच गुयाना से गुरुवार को देश का सबसे बड़ा संचार उपग्रह जीसैट-18 छोड़ा गया। शक्तिशाली रॉकेट से अंतरिक्ष में छोड़ा गया 3,404 किलोग्राम वजन का यह उपग्रह देश में टेलीविजन, मोबाइल फोन सेवाओं और सूचनाओं के आदान-प्रदान की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक साबित होगा।

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता के लिए वैज्ञानिकों को बधाई दी है। खराब मौसम के चलते एक दिन विलंब से छोड़े गए इस उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए यूरोपीय लांचर का इस्तेमाल किया गया। करीब 32 मिनट के बाद उपग्रह को कक्षा में स्थापित कर दिया गया। उपग्रह का नियंत्रण कर्नाटक के हासन में स्थित मास्टर कंट्रोल सेंटर से जुड़ गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार उपग्रह अच्छे तरीके से कार्य कर रहा है और उससे भेजे जा रहे सिग्नल कंट्रोल रूम को ठीक से मिल रहे हैं।

उपग्रह धरती से 35,888 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपनी कक्षा में घूम रहा है। जीसैट-18 से इसरो के उन 14 संचार उपग्रहों को ताकत मिलेगी जिनसे भारतीय संचार सुविधाएं चलती हैं। नया उपग्रह 15 साल तक भारतीय संचार व्यवस्था को ताकत देने का कार्य करेगा। इसरो के चेयरमैन एएस किरण कुमार ने कहा है कि जीसैट-18 से हमारी महत्वपूर्ण संचार सेवाओं को गति मिलेगी। यह हमारे पुराने हो चुके संचार उपग्रहों पर पड़ रहे बोझ को भी कम करेगा।

इसरो ने उपग्रह का प्रक्षेपण मिशन कंट्रोल सेंटर से देखा। जीसैट-18 यूरोपीय स्पेस एजेंसी द्वारा लांच किया गया 20 वां इसरो का उपग्रह है। भारी उपग्रहों को छोड़ने के लिए इसरो को एरियन-5 किस्म के शक्तिशाली रॉकेट पर निर्भर रहना पड़ता है, जिसके प्रक्षेपण की सुविधा यूरोपीय यूनियन, अमेरिका और रूस के पास है। इसरो ने संचार सुविधाओं के दृष्टिगत दो महत्वपूर्ण उपग्रह जीसैट-17 और जीसैट-11 अगले साल छोड़ेगा। उल्लेखनीय है कि इसरो देश में विभिन्न प्रकार की सुविधाओं के लिए 35 साल से उपग्रह छोड़ रहा है। सबसे पहला उपग्रह एरियन 1 सन 1981 में छोड़ा गया था।

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तस्वीरें: ये हैं भारतीय संचार सैटेलाइट जीसेट-18 की खासियत

जीसेट-18 की खासियत

-जीसेट-18 को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने डिजायन किया है।

-इसका उद्देश्य भारत में संचार सेवाओं को बेहतर बनाना है।

-वर्तमान में संचार सेवाओं के लिए इसरो के पास चौदह सैटेलाइटों का बेड़ा है।

-जीसेट -18 इसरो की बीसवीं सैटेलाइट है जिसे यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी ने लॉन्च किया।

-इसका वजन 3,404 किलोग्राम है,सामान्य सी बैंड के लिए जीसेट 18 में 48 संचार ट्रांसपोंडर लगाए गए हैं।

-जीसैट-18 की अनुमानित परिचालन आयु 15 साल है।

-यह सी-बैंड, विस्तृत सी-बैंड तथा कू-बैंड पर सेवाएं देगा।

-प्रक्षेपण यान से अलग होने के बाद इसरो की कर्नाटक के हसन स्थित मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी उपग्रह को अपने नियंत्रण में ले लेगी।

-इसके बाद तीन बार इसके अक्ष को बदलकर इसे 74 डिग्री पूर्वी देशांतर पर लाया जायेगा।

खराब मौसम की वजह से टला था प्रक्षेपण

पहले इसका प्रक्षेपण बुधवार को किया जाना था लेकिन खराब मौसम के चलते इसे 24 घंटे के लिए टाल दिया गया था। तेज हवाओं की वजह से फ्रेंच गुयाना के कोरू 3,404 किलोग्राम वजन वाले इस उपग्रह का प्रक्षेपण तेज बुधवार तड़के नहीं हो सका था।

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