DATA STORY : कोरोना में भारतीय खुद से ज्यादा परिवार, दोस्तों और समाज के लिए चिंतित हैं, जानें- चार बड़ी चिंताएं
मई 2021 की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 64 फीसद लोग अपने लिए परेशान हैं कि कहीं बीमार न पड़ जाएं। वहीं 68 फीसदी लोग परिवार दोस्तों की बीमारी के बारे में सोचते हैं। 68 फीसद सोचते हैं कि वित्तीय समस्या न हो जाए। 73 फीसद समाज के लिए चिंतित हैं।
नई दिल्ली, विनीत शरण। कोरोना काल में आप लोगों को कौन सी बात सबसे ज्यादा परेशान करती है? जब सर्वे में यह सवाल भारतीयों से पूछा गया तो जवाब काफी भावनात्मक मिला। लोगों ने अपनी सेहत से ज्यादा अपने दोस्त, परिवार के सदस्यों और समाज को महत्व दिया। ब्रिटेन की सर्वे एजेंसी यूगव ने यह सर्वे 1500 शहरी भारतीय लोगों के बीच किया है।
मई, 2021 की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 64 फीसद लोग अपने लिए परेशान हैं कि कहीं बीमार न पड़ जाएं। वहीं 68 फीसदी लोग परिवार, दोस्तों की बीमारी के बारे में सोचते हैं। 68 फीसद लोग सोचते हैं कि कहीं कोई वित्तीय समस्या न हो जाए। सबसे ज्यादा 73 फीसद लोग समाज पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव के बारे में चिंतित हैं।
सेहत की चिंता ज्यादा, पैसा की कम
मई 2020 में हुए यूगोव सर्वे से मौजूदा सर्वे से तुलना करें तो अब जहां दो तिहाई लोग परिवार और दोस्तों को लेकर चिंतित हैं, वहीं मई 2020 में कोरोना की पहली लहर में सिर्फ 56 फीसद लोग परिवार/दोस्तों के लिए परेशान थे। यानी लोगों में अपने करीबी लोगों की सेहत को लेकर चिंता काफी बढ़ गई है। वहीं वित्तीय चिंता में गिरावट हुई है। अब के 68 फीसद की तुलना में पहले 71 फीसद लोग वित्तीय संकट को लेकर परेशान थे।
नौकरी से ज्यादा सम्पूर्ण वित्तीय स्थिति का महत्व
हालिया सर्वे में लोगों से नौकरी जाने और शिक्षा पर भी सवाल पूछे गए। 54 फीसद लोगों ने कहा कि उन्हें अपनी नौकरी जाने की चिंता है। वहीं 58 प्रतिशत लोग अपने बच्चों की पढ़ाई में हो रही दिक्कत से परेशान दिखे। मई 2020 के सर्वे में ये दोनों आंकड़े क्रमश: 58 फीसद और 50 फीसद थे। सर्वे से एक और बात निकल कर सामने आती है कि लोगों को नौकरी से ज्यादा चिंता अपनी संपूर्ण वित्तीय स्थिति को लेकर है।
समाज पर लोगों की नजर
भारतीयों की समाज को लेकर चिंता सबसे ज्यादा है। पिछले सर्वे में और इस बार भी सबसे ज्यादा लोग वायरस के चलते समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के लिए सबसे ज्यादा परेशान दिखे। दोनों बार यह आंकड़ा 73 फीसद का रहा है। लोगों की अपनी सेहत की बात करें तो पिछली बार से इस बार चिंता में काफी इजाफा हुआ है। पिछली बार सिर्फ 45 फीसद लोगों ने यह परेशानी व्यक्त की थी, जो इस बार 64 फीसद के आंकड़े पर पहुंच गई है।