प्रथम विश्व युद्ध के भारतीय सैनिकों की प्रेम कहानी पर डॉक्यूमेंट्री
प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना की ओर से लड़ने वाले भारतीय सैनिकों की दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानियों पर एक डॉक्यूमेंट्री तैयार की जा रही है। इसे पेरिस में भारतीय फिल्म निर्माता और उपन्यासकार विजय सिंह तैयार कर रहे हैं। फीचर फिल्म 'मेडेमोइसेले फ्रांस प्लेयोर' (मिस फ्रांस इज इन टीयर्स) में युद्ध में भाग ले
नई दिल्ली। प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना की ओर से लड़ने वाले भारतीय सैनिकों की दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानियों पर एक डॉक्यूमेंट्री तैयार की जा रही है। इसे पेरिस में भारतीय फिल्म निर्माता और उपन्यासकार विजय सिंह तैयार कर रहे हैं।
फीचर फिल्म 'मेडेमोइसेले फ्रांस प्लेयोर' (मिस फ्रांस इज इन टीयर्स) में युद्ध में भाग लेने वाले 14 लाख भारतीय सैनिकों और सिविल कर्मियों के अनजाने पहलुओं को समेटने का प्रयास किया गया है। विजय सिंह ने कहा, 'युद्ध के दौरान सैनिकों ने बहुत सी मुश्किलों, दुर्घटनाओं और बीमारियों का सामना किया। यह डॉक्यूमेंट्री ब्रिटिश सेना और अस्पतालों में उनकी विशेष परिस्थितियों को समेटने का प्रयास है।' सिंह इससे पहले 'जय गंगा' और 'वन डॉलर करी' जैसी फीचर फिल्मों का निर्माण कर चुके हैं। उन्होंने कहा, 'भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन पहले विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के योगदान को बेहद कम लोग जानते हैं। कहा जा सकता है कि शायद कोई नहीं जानता है।' उन्होंने कहा कि कैंपों में बहुत से भारतीय सैनिकों और उनकी सेवा में लगी फ्रांस की नर्सो के बीच प्रेम हो गया था। फिल्म के नाम के बारे में उन्होंने कहा कि एक कैंप से भारतीय सैनिकों के युद्ध के लिए रवाना होते समय एक फ्रेंच महिला ने 'मिस फ्रांस इन टीयर्स' का इश्तहार दिया था। भारतीय सैनिकों के रहन-सहन, पहनावे और आदतों से फ्रेंच लोग बहुत प्रभावित थे। अपने अनुभवों पर सैनिकों के लिखे करीब 600 पत्रों को हरियाणा अकेडमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर में सहेज कर रखा गया है। फ्रांस में भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए 2015 में एक समारोह का आयोजन भी किया जाएगा।
याद किए गए भारतीय सैनिक
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को प्रथम विश्व युद्ध की 100वीं वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर युद्ध में भाग लेने वाले दस लाख से भी अधिक भारतीय सैनिकों के साहस और बलिदान को भी याद किया गया।
'लर्निग फ्रॉम वार टू बिल्ड पीस' नाम से इस कार्यक्रम को परमानेंट मिशंस ऑफ फ्रांस एवं जर्मनी के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। भारत तथा अन्य 25 देश कार्यक्रम के सह प्रायोजक थे।
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