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भारतीय विज्ञानियों ने पिछले साल ही वुहान लैब की तरफ किया था इशारा, वायरस में पाए गए थे चार इंसर्ट

Wuhan lab leak कोरोना वायरस के चीन के वुहान लैब से बाहर आने की संभावना मजबूत होती जा रही है। दुनिया भर के विज्ञानियों की तरफ से इसके समर्थन में लगातार साक्ष्य और तर्क दिए जा रहे हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 08:41 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 11:39 PM (IST)
भारतीय विज्ञानियों ने पिछले साल ही वुहान लैब की तरफ किया था इशारा, वायरस में पाए गए थे चार इंसर्ट
कोरोना वायरस के चीन के वुहान लैब से बाहर आने की संभावना मजबूत होती जा रही है।

नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना वायरस के चीन के वुहान लैब से बाहर आने की संभावना मजबूत होती जा रही है। दुनिया भर के विज्ञानियों की तरफ से इसके समर्थन में लगातार साक्ष्य और तर्क दिए जा रहे हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के विज्ञानियों ने पिछले साल ही कोरोना वायरस के वुहान लैब से लीक होने की तरफ इशारा किया था, लेकिन उनके दावे को खारिज कर दिया गया था।

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विलक्षण समानता का जिक्र

दिल्ली आइआइटी के कुसुम स्कूल आफ बायोलॉजिकल साइंसेज के जीवविज्ञानियों की एक टीम ने 22 पेज का एक शोध पत्र तैयार किया था। मुद्रण से पहले पिछले साल 31 जनवरी को इसका बायोआरसिव पर प्रकाशन हुआ था। इसके मुताबिक विज्ञानियों ने सार्स-कोव-2 और एचआइवी के विभिन्न पहलुओं के बीच विलक्षण समानता का जिक्र किया था।

वायरस की पहचान मुश्किल

विज्ञानियों ने नोवेल कोरोना वायरस के ग्लाइकोप्रोटीन में चार ऐसे इंसर्ट पाए थे, जो किसी दूसरे कोरोना वायरस में नहीं देखे गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इन इंसर्ट के चलते वायरस की पहचान मुश्किल हो जाती है और इंसान की कोशिकाओं में प्रवेश करने के बाद यह तेजी से फैलता है। हालांकि, आलोचना के बाद इस शोध पत्र को साइट से जल्द ही हटा लिया गया था।

वुहान लैब से लीक के समर्थन में ठोस साक्ष्य

वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित अपने तरह का यह पहला अध्ययन था, जिसमें कोरोना वायरस को कृत्रिम तरीके से बनाने की संभावना व्यक्त की गई थी। अब तक विभिन्न विज्ञानियों और विशेषज्ञों ने दमदार साक्ष्यों के आधार पर कहना शुरू कर दिया है कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से लीक हुआ है। एक दिन पहले ही पुणे के विज्ञानी दंपती राहुल बाहुलिकर और मोनाली राहलकर ने ऐसी ही संभावना जताई थी। ये दोनों इंटरनेट पर बने ड्रास्टिक समूह के सदस्य हैं, जो कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने की कोशिशों में जुटा है।

जीनोम संरचना में छेड़छाड़ के लिए कुख्यात रहा है चीन

दरअसल, चीन जानवरों के जीन में बदलाव करने का प्रयोग करने के लिए कुख्यात रहा है। उसने जीन में बदलाव कर बंदरों और खरगोश की नई प्रजातियां तैयार की है। जिस वुहान लैब से कोरोना वायरस के लीक होने की आशंका जताई जा रही है, वहां विज्ञानियों ने जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए जानवरों के जीनोम संरचना में बदलाव कर बंदर और खरगोश समेत एक हजार से अधिक जानवरों की नई नस्लें विकसित की हैं। चीन इस तरह प्रयोग करता है, जिसकी दुनिया के किसी भी देश में अनुमति नहीं है। वैश्विक स्तर पर जैव प्रौद्योगिकी में विकास के बाद से तो चीन इस तरह के प्रयोग में सारी नैतिकता को पीछे छोड़ दिया है।

जीन में बदलाव पर चीन सरकार की नजर

जानवरों के जीन में बदलाव के प्रयोग पर चीन की सत्तारूढ़ पीपुल्स पार्टी की कड़ी निगाह रहती है। वह इसके जरिये नए सैनिक और जैविक हथियार बनाने की कोशिश में रहता है, जिससे बचाव का किसी के पास कोई उपाय नहीं हो। 


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