Move to Jagran APP

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में रेलवे ने एकबार फिर संभाला मोर्चा, चलाएगी ऑक्सीजन एक्सप्रेस, जानें योजना

ऐसे वक्‍त में जब देश के कई राज्यों से ऑक्सीजन की कमी की शिकायते आ रही हैं रेलवे ने लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) और ऑक्सीजन सिलेंडरों को ले जाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस (Oxygen Express) चलाने की योजना बनाई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 06:44 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 12:42 AM (IST)
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में रेलवे ने एकबार फिर संभाला मोर्चा, चलाएगी ऑक्सीजन एक्सप्रेस, जानें योजना
रेलवे ने ऑक्सीजन सिलेंडरों को ले जाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस (Oxygen Express) चलाने की योजना बनाई है।

नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना के बढ़ते संक्रमण और उसके अनुरूप आक्सीजन की आपूर्ति में कमी को पूरा करने के लिए रेलवे ने देश में आक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन चलाने का फैसला किया है। राउरकेला, जमशेदपुर, बोकारो और विशाखापत्तनम के इस्पात संयंत्रों से आक्सीजन लेकर यह ट्रेन मुंबई समेत देश के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचाएगी। इसका ट्रायल भी पूरा कर लिया गया है और सोमवार को मुंबई से पहली ट्रेन आक्सीजन लेने के लिए रवाना हो जाएगी।

loksabha election banner

रो-रो मॉडल पर चलाई जाएगी ट्रेन 

रेल मंत्रालय के अनुसार, आक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन रो-रो (रोल आन, रोल आफ) माडल पर चलाई जाएगी। रो-रो माडल में तरल आक्सीजन से भरे टैंकरों को रेल के फ्लैट डिब्बों के ऊपर चढ़ा दिया जाएगा और गंतव्य पर पहुंचने के बाद उन्हें उतार लिया जाएगा। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आक्सीजन की आपूर्ति तेज करने के लिए रेलवे ने ग्रीन कोरिडोर भी तैयार किया है। यानी आक्सीजन एक्सप्रेस बिना किसी रुकावट के आ-जा सकेगी।

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश ने की थी अपील 

दरअसल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश ने आक्सीजन की भारी कमी को देखते हुए रेलवे से इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था। आक्सीजन आपूर्ति का अभी तक कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद रेलवे ने इसकी संभावनाओं पर काम करना शुरू किया। 

ये थी बड़ी चुनौतियां 

रेलवे के पास अपने वैगन में आक्सीजन ढोने का कोई विकल्प नहीं होने के कारण रो-रो पर विचार किया गया। लेकिन रो-रो में सबसे बड़ी समस्या आक्सीजन ढोने वाले विभिन्न टैंकरों के अलग-अलग साइज और ऊंचाई की थी। रेलवे लाइनों पर बने ओवरब्रिज की ऊंचाई समेत ट्रैक के ऊपर लगे बिजली के तारों में इनके फंसने की आशंका थी। 

टी-1618 टैंकर से होगी आपूर्ति

सभी चुनौतियों पर विचार करने के बाद रेलवे ने टी-1618 टैंकर को इसके लिए फिट पाया। इसके बाद इस टैंकर को रेलवे के फ्लैट डिब्बे पर रखकर ट्रायल भी किया गया। ट्रायल सफल होने के बाद शनिवार को रेलवे बोर्ड के अधिकारियों, राज्यों के ट्रांसपोर्ट कमिश्नरों और संबंधित उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में आक्सीजन आपूर्ति के सभी बिंदुओं पर विचार किया गया। इसके तहत राज्य ट्रांसपोर्ट कमिश्नर टी-1618 टैंकरों की व्यवस्था करेगा। 

रैंप तैयार करेगा रेलवे 

टैंकर को फ्लैट डिब्बे पर चढ़ाने के लिए रेलवे रैंप तैयार करेगा। फिलहाल आक्सीजन एक्सप्रेस महाराष्ट्र में आक्सीजन की आपूर्ति करेगा, लेकिन रेलवे ने सभी जोनल मैनेजरों को राज्यों की ओर से आक्सीजन आपूर्ति की मांग को लेकर सतर्क कर दिया है। जाहिर है, जरूरत के मुताबिक अन्य राज्यों को भी जल्द ही इसकी आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।

टैंकर चालकों को खरीदना होगा टिकट

टैंकरों पर दो लोगों को यात्रा करने की अनुमति होगी जिनमें टैंकर का चालक भी शामिल है। उन्हें यात्रा के लिए द्वितीय श्रेणी (सामान्य) का यात्रा टिकट खरीदना होगा।

4,002 कोच कोरोना केयर फैसिलिटी में तब्दील

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच रेलवे ने अपने 4,002 कोचों को कोरोना केयर कम आइसोलेशन फैसिलिटी में तब्दील किया है ताकि राज्य सरकारों को सहायता उपलब्ध कराई जा सके। इनमें से 94 कोचों को महाराष्ट्र के नंदुरबार में तैनात किया गया है। अन्य कोचों को राज्यों के अनुरोध पर उन्हें आवंटित किया जाएगा।

162 में से 33 आक्सीजन संयंत्रों की स्थापना हुई

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि सरकार ने सभी राज्यों में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में 162 प्रेशर स्विंग एड्सा‌र्प्शन (पीएसए) आक्सीजन संयंत्रों की स्थापना को मंजूरी प्रदान की है। इन संयंत्रों से मेडिकल आक्सीजन क्षमता में 154.19 मीट्रिक टन की बढ़ोतरी होगी। 

59 संयंत्रों की होगी स्थापना 

इन 162 संयंत्रों में 33 की स्थापना हो चुकी है जिनमें से पांच मध्य प्रदेश, चार हिमाचल प्रदेश; तीन-तीन चंडीगढ़, गुजरात व उत्तराखंड; दो-दो बिहार, कर्नाटक व तेलंगाना; एक-एक आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, पुडुचेरी, पंजाब और उत्तर प्रदेश में हैं। 59 संयंत्रों की स्थापना इस महीने के आखिर तक और 80 की स्थापना मई के आखिर तक पूरी हो जाएगी।

रेमडेसिविर की तीन लाख शीशियों की रोज होगी आपूर्ति

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने रविवार को बताया कि दो हफ्ते के भीतर रेमडेसिविर की तीन लाख शीशियों (वायल) की खुले बाजार में आपूर्ति होनी शुरू हो जाएगी। रविवार से 1.5 लाख शीशियों की खुले बाजार में आपूर्ति हो रही है। उन्होंने कहा कि अभी 20 संयंत्रों में रेमडेसिविर का उत्पादन हो रहा है और इसके उत्पादन के लिए केंद्र सरकार ने 20 और संयंत्रों को मंजूरी प्रदान कर दी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.