Move to Jagran APP

प्रवासी मजदूरों को लेकर मुंबई से गोरखपुर जाने वाली ट्रेन पहुंच गई ओडिशा, भारतीय रेलवे भी हुआ हैरान

Indian Railways मुंबई से ट्रेन में बैठे लोग जब सुबह उठकर घर जाने के लिए तैयार हुए तो उन्होंने खुद को गोरखपुर नहीं बल्कि ओडिशा में पाया।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 06:22 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 02:10 AM (IST)
प्रवासी मजदूरों को लेकर मुंबई से गोरखपुर जाने वाली ट्रेन पहुंच गई ओडिशा, भारतीय रेलवे भी हुआ हैरान
प्रवासी मजदूरों को लेकर मुंबई से गोरखपुर जाने वाली ट्रेन पहुंच गई ओडिशा, भारतीय रेलवे भी हुआ हैरान

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। कोरोना संकट काल में लॉकडाउन के चलते देश के विभिन्न शहरों में फंसे प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए शुरू की गईं श्रमिक ट्रेनें भी उनके लिए मुसीबत का सबब बन ही हैं। श्रमिक स्पेशल न सिर्फ देरी से चल रही हैं, बल्कि रास्ता भी भटक रही हैं। इन विशेषष ट्रेनों की दशा और दिशा दोनों ही बिग़़डी दिखाई दे ही हैं। गंतव्य तक पहुंचने में चार-चार दिन का समय लग रहा है। खानपान की व्यवस्था भी दुरस्त नहीं होने की वजह से बच्चों से लेकर ब़़डों तक को बूंद-बूंद पानी को तरसना पड़ रहा है। रेलवे की चुस्ती का आलम यह है कि पश्चिम रेलवे के मुंबई स्थित वसई रोड स्टेशन से 21 मई की शाम 7.20 बजे श्रमिक स्पेशल ट्रेन गोरखपुर के लिए रवाना हुई। लेकिन यह ट्रेन गोरखपुर के बजाय 23 मई को दोपहर ओडिशा के राउरकेला होते हुए झारखंड के गिरिडीह पहुंच गई।

loksabha election banner

जबकि मुंबई से गोरखपुर के सीधे मार्ग में न ओडिशा पड़ता है और न ही झारखंड। इस ट्रेन से यात्रा कर रहे विशाल सिंह कहते हैं कि ट्रेन के मार्ग में बदलाव के बारे में यात्रियों को कोई जानकारी तक नहीं दी गई। रेलवे के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि चलती ट्रेन का रूट बदल दिया गया और यात्रियों को उसकी सूचना तक नहीं दी गई। रूट में बदलाव के अलावा इन विशेषष ट्रेनों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में भी समान्य से बहुत ज्यादा समय लग रहा है। मध्य रेलवे के ही मुंबई के लोकमान्य तिलक टìमनस से जौनपुर के लिए 20 मई की शाम 7.30 बजे निकली विशेषष ट्रेन आज, यानी 23 मई को दोपहर पौने दो बजे जौनपुर से आगे जाकर अकबरपुर में समाप्त हुई। वहां तक पहुंचने में इसे लगभग 67 घंटे लग गए। जबकि सामान्य दिनों में ट्रेनें यह दूरी 30 घंटे में पूरी कर लेती हैं। 21 मई को लोकमान्य तिलक टìमनस से ही सिद्धार्थनगर के लिए निकली एक अन्य विशेषष ट्रेन ने 23 मई को दोपहर बाद तीन बजे झांसी स्टेशन पार किया था। इस ट्रेन को मुंबई से भुसावल पहुंचने में 24 घंटे लग गए थे। जबकि सामान्य दिनों में पुष्पक एक्सप्रेस मुंबई के छत्रपति शिवाजी टìमनस से 24 घंटे में लखनऊ पहुंचा देती है।

रास्ते में खाने-पीने की तकलीफ

श्रमिकों की तकलीफ का आलम यह है कि किस्मत मेहरबान हो गई तो किसी स्वयंसेवी संस्था या आइआरसीटीसी की व्यवस्था में रास्ते में कुछ खाने को मिल जाता है। नहीं तो श्रमिकों के साथ चल रहे बच्चे बूंद--बूंद पानी को भी तरस रहे हैं। शनिवार को अकबरपुर पहुंची ट्रेन में सवार रहे रायबरेली के राजेश कनौजिया ने बताया कि मुंबई के लोकमान्य तिलक टìमनस पर ट्रेन में च़़ढते समय तो पानी की बोतल एवं खाने के पैकेट मिले थे। लेकिन 68 घंटे की बाकी यात्रा काफी कष्टप्रद बीती। रास्ते में किसी गांव के पास ट्रेन रकी और यात्री पानी भरने के लिए वहां दिखाई दे रहे हैंडपंप की ओर लपके तो गांव वालों ने डंडे लेकर दौड़ा लिया। शायद गांव वालों के इस व्यवहार के पीछे कोरोना का डर काम कर रहा था। 21 मई की ट्रेन से सिद्धार्थनगर जा रहे अब्दुल हकीम हाशमी ने बताया कि रास्ते में एक जगह खाने का पैकेट बंटने आया तो वहां लूट मच गई। लेकिन एक अन्य ट्रेन से 22 मई को प्रतापगढ़ पहुंचे सरदार पांडे बताते हैं कि उन्हें रास्ते में खाने-पीने की कोई दिक्कत नहीं हुई। उनकी ट्रेन में 45 घंटे में मुंबई से प्रतापगढ़ पहुंच गई।

रेलवे ने दी सफाई

ट्रेनों के अंपने गंतव्य तक पहुंचने में हो रही देरी एवं रूट बदले जाने का कारण बताते हुए पश्चिम रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी गजानन महतपुरकर कहते हैं कि सभी रूटों पर एक साथ कई श्रमिक विशेषष ट्रेनें चलने के कारण कुछ ट्रेनों के रूट बदलने प़़ड रहे हैं। पश्चिम रेलवे के प्रवक्ता रविंद्र भाकर ने एक बयान में कहा कि सीधे रूट पर भीड़ के कारण रेलवे बोर्ड ने वसई रोड, उधना, सूरत, वलसाड, अंकलेश्वर, कोंकण रेलवे से चलने वाली ट्रेनों को बिलासपुर-झारसुगडा-राउरकेला के रास्ते बिहार भेजने का फैसला किया है।

इटारसी रूट सबसे ज्यादा व्यस्त

पश्चिम मध्य रेलवे के सूत्रों का कहना है कि इन दिनों ट्रेनों की आवाजाही का व्यस्ततम रूट इटारसी और इसके आसपास के स्टेशन बन गए हैं। श्रमिक विशेषष ट्रेनें बिना टाइम टेबल के चल रही हैं।महाराष्ट्र ही नहीं, गुजरात से भी उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर जानेवाली कई ट्रेनों को इटारसी होकर भेजा जा रहा है। इसके कारण इटारसी रूट का बोझ और ब़़ढ गया है। इसलिए भी इटारसी जैसे जंक्शन को जाम की स्थिति का सामना करना प़़ड रहा है। जिसके कारण कुछ ट्रेनों के रूट बदलने पडे़ हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.