आय में गिरावट से परेशान रेलवे ने बड़े पैमाने पर शुरू की खर्चो में कटौती; ये सेवाएं होंगी खत्म
जोनो और डिवीजनों से कहा गया है कि वे अपने सभी खर्चो का नए सिरे से आकलन करें और गैरजरूरी खर्चो को काटने के बाद ही उन्हें बोर्ड भेजें।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। यात्री और माल परिवहन में कमी और आय में गिरावट से परेशान रेलवे ने बड़े पैमाने पर खर्चो में कटौती का अभियान छेड़ा है। आमदनी बढ़ाने के लिए माल भाड़े व यात्री किराये में छूट की स्कीमें लागू करने के बाद अब अनावश्यक पदों को खत्म करने और गैर जरूरी खर्च में कटौती के प्रयास किए जा रहे हैं।
इस संबंध में रेलवे बोर्ड की ओर से सभी महाप्रबंधकों को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश जारी किए गए हैं। उनसे कहा गया है कि वे अपने-अपने जोनों, इकाइयों में खर्चो में कटौती के लिए अभियान चलाएं। इसके लिए बोर्ड की ओर से बाकायदा लक्ष्य दिए गए हैं।
बिना टिकट यात्रा करने वालों के विरुद्ध अभियान
निर्देश के मुताबिक दुबारा सेवा में लिए गए सेवानिवृत्त कर्मचारियों को हटाना, समीक्षा कर फालतू अनुबंधों एवं खरीदारियों पर अंकुश लगाना, बिना टिकट यात्रा करने वालों के विरुद्ध अभियान छेड़ना, समस्त कैटरिंग कर्मियों को पीओएस मशीने उपलब्ध कराना, बिना बिल के भुगतान पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना, स्टोर के सभी आइटमों की समीक्षा करना, सभी डिपो का ऑडिट तथा ईधन के उपयोग में कमी लाना शामिल है। जोनो और डिवीजनों से कहा गया है कि वे अपने सभी खर्चो का नए सिरे से आकलन करें और गैरजरूरी खर्चो को काटने के बाद ही उन्हें बोर्ड भेजें।
खर्चो में कटौती के अलावा और कोई रास्ता नहीं
यात्री और माल परिवहन में गिरावट का अंदाजा रेलवे को पहली तिमाही में ही हो गया था। जिसे थामने के लिए रेलवे बोर्ड ने सितंबर में ग्राहकों के लिए कुछ रियायतों का एलान किया था। इसके तहत माल ढुलाई पर बिजी सीजन सरचार्ज समाप्त कर दिया गया था। जबकि एसी चेयरकार तथा एक्जीक्यूटिव क्लास (सिटिंग) वाली ट्रेनों में खाली सीटें भरने के लिए किराये में 25 प्रतिशत छूट दे दी गई थी। लेकिन दूसरी तिमाही के आंकड़ों पर इसका कोई खास असर नहीं दिखाई देने से खर्चो में कटौती के अलावा रेलवे के सामने और कोई रास्ता नहीं बचा है।
यात्री आय 155 करोड़ रुपये कम
चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाह(जुलाई-सितंबर) में रेलवे को यात्री और माल आय के दोनो मोर्चो में गिरावट का सामना करना पड़ा है। इस दौरान जहां यात्री आय 155 करोड़ रुपये कम हुई, वहीं माल ढुलाई से होने वाली आय में 3901 करोड़ रुपये की कमी देखने में आई है। दूसरी तिमाही में रेलवे को यात्री परिवहन से 13,243.81 करोड़ रुपये तथा माल परिवहन से 25,165.13 करोड़ रुपये में की आय हुई। जबकि इससे पूर्व अप्रैल-जून की पहली तिमाही में यात्री परिवहन से 13,398.92 करोड़ रुपये तथा माल परिवहन से 29066.92 करोड़ रुपये की आय हुई थी।
घटती ढुलाई के कारण वैगन खरीद का लक्ष्य घटा
रेलवे को यात्रियों के बजाय माल ढुलाई से असली कमाई होती है। परंतु इस वर्ष घटती ढुलाई के कारण उसे वैगन खरीद का लक्ष्य घटाना पड़ा है। शुरू में इस वर्ष 10,500 वैगन खरीदने का लक्ष्य था। जिसे पहले 5000 और फिर 1860 करना पड़ा है। स्पष्ट है कि आर्थिक सुस्ती रेलवे पर भारी पड़ रही है।