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भारतीय रेल के लिए सबसे सुरक्षित रहा पिछला साल, हादसे की वजह से नहीं गई किसी यात्री की जान

भारतीय रेल के लिए पिछला साल सबसे सुरक्षित रहा। पिछले 15 महीने में किसी यात्री की रेल दुर्घटना में मौत नहीं हुई है।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 11 Jun 2020 06:40 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jun 2020 06:40 AM (IST)
भारतीय रेल के लिए सबसे सुरक्षित रहा पिछला साल, हादसे की वजह से नहीं गई किसी यात्री की जान
भारतीय रेल के लिए सबसे सुरक्षित रहा पिछला साल, हादसे की वजह से नहीं गई किसी यात्री की जान

ई दिल्ली, एएनआइ। भारतीय रेल के लिए पिछला साल सबसे सुरक्षित रहा। पिछले साल रेल हादसे की वजह से किसी भी यात्री की जान नहीं गई। भारतीय रेलवे ने अप्रैल, 2019 से मार्च 2020 के दौरान सुरक्षा को लेकर सबसे बेहतर रिकॉर्ड दर्ज किया है। उसके बाद भी यानी इस साल एक अप्रैल से आठ जून तक भी रेल दुर्घटना में किसी यात्री की मौत नहीं हुई है। यानी पिछले 15 महीने में किसी यात्री की रेल दुर्घटना में  मौत नहीं हुई है।

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एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारतीय रेलवे के 166 साल के इतिहास में पहली बार 2019-2020 में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल हुई। देश में 1853 में पहली रेल चली थी। इसमें यह भी कहा गया कि पिछले 15 महीनों में शून्य यात्री मृत्यु दर रेलवे द्वारा सभी मामलों में सुरक्षा प्रदर्शन में सुधार के लिए निरंतर प्रयासों का परिणाम है।

सुरक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर लगातार किए जा रहे प्रयास

विज्ञप्ति में कहा गया है कि सुरक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर लगातार किए जा रहे प्रयासों से यह सफलता मिली है। सुरक्षा रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। सुरक्षा उपायों में मानवयुक्त क्रॉसिंग को खत्म किया गया है, रेलवे क्रॉसिंग पर पुल बनाए गए हैं और अंडरपास का निर्माण भी कराया गया है। इसके अलावा रेल पटरियों को सही किया गया है और सिंग्नल व्यवस्था को भी दुरुस्त किया गया है।

2019-20 के दौरान 1367 पुलों की मरम्मत की गई

विज्ञप्ति में कहा गया कि रेलवे नेटवर्क पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए 2019-20 में 1309 आरओबी / आरयूबी का निर्माण किया गया था और 2019-20 के दौरान 1367 पुलों की मरम्मत की गई। साल 2019-20 में 5,181 किलोमीटर ट्रैक पर नई पटरियां बिछाई गईं। 2018-19 में 4265 किलोमीटर ट्रैक पर नई पटरियां बिछाई गईं। इस साल लेवल क्रॉसिंग को सिग्‍नलों के जरिये इंटरलॉक किया गया और 84 स्टेशनों की सुरक्षा में सुधार के लिए उनमें मैकेनिकल सिग्नल बजाय  इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल लगाए गए। 2017-18 में एक लाख करोड़ रुपये से शुरू किए गए राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (आरआरएसके) की वजह से यह सब संभव हो सका। अगले पांच इसके तहत  हर साल 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। 

 

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