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Indian Railways: पुराने डीजल इंजनों को हटा नए शक्तिशाली लोको इस्तेमाल करेगी रेलवे

जबसे रेलवे ने शत-प्रतिशत विद्युतीकरण योजना पर अमल शुरू किया है डीजल इंजनों के इस्तेमाल को हतोत्साहित किया जा रहा है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 08:50 PM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 08:50 PM (IST)
Indian Railways: पुराने डीजल इंजनों को हटा नए शक्तिशाली लोको इस्तेमाल करेगी रेलवे
Indian Railways: पुराने डीजल इंजनों को हटा नए शक्तिशाली लोको इस्तेमाल करेगी रेलवे

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रेलवे अपने पुराने डीजल इंजनों को अलविदा कहने जा रही है। इनकी जगह अत्याधुनिक व शक्तिशाली नए डीजल लोको प्रयोग में लाए जाएंगे। ऐसा डीजल की खपत घटाने तथा इलेक्टि्रफिकेशन प्रोजेक्ट को रफ्तार देने के मकसद किया जा रहा है। इसके तहत 31 वर्ष से अधिक पुराने तकरीबन 300 डीजल इंजनों को तत्काल प्रभाव से सेवा से हटाया जा रहा है। इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने सभी जोनो को निर्देश जारी कर दिए हैं।

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जबसे रेलवे ने शत-प्रतिशत विद्युतीकरण योजना पर अमल शुरू किया है, डीजल इंजनों के इस्तेमाल को हतोत्साहित किया जा रहा है। वाराणसी के डीजल इंजन कारखाने में भी अब डीजल इंजनों के बजाय इलेक्टि्रक इंजनो के उत्पादन के साथ-साथ डीजल इंजनों को इलेक्टि्रक इंजनों में बदला जाने लगा है। अधिकारियों ने बताया कि 300 पुराने इंजन सेवा से बाहर होने पर रेल परिचालन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

विद्युतीकरण के मद्देनजर ही मधेपुरा में फ्रांसीसी कंपनी एल्स्टॉम के साथ इलेक्टि्रक लोकोमोटिव फैक्ट्री की स्थापना की गई है। परंतु मढ़ौरा में अमेरिका कंपनी जीई के सहयोग से स्थापित डीजल इंजन कारखाने के उत्पादन को खपाना रेलवे के लिए चुनौती बन गया है।

समझौते के मुताबिक 1200 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित मढौरा कारखाने में दस वर्षो में 1000 डीजल इंजन बनने हैं। इनमें 4500 हार्स पावर के 700 इंजन कारखाने में बनेंगे। जबकि 300 इंजन 6000 हार्स पावर के डब्लूडीजी-6जी इंजन होंगे, जिनका अमेरिका से सीधे आयात का प्रस्ताव है। रेलवे का इरादा पुराने डीजल इंजनों की जगह इन्हीं उच्च शक्ति इंजनों का इस्तेमाल करने का है।

ये पहला मौका होगा जब रेलवे में 6000 हार्सपावर के अत्याधुनिक और अत्यंत शक्तिशाली डब्लूडीजी-6जी इंजनों का इस्तेमाल होगा। अभी रेलवे में प्राय: 2600- 4500 हार्सपावर के डीजल इंजन प्रयोग में लाए जाते हैं। जबकि कुछ 5500 हार्स पावर के इंजन भी हैं।

इसी जून महीने में पहली बार अमेरिका से आयातित शक्तिशाली डब्लूडीजी-जी इंजन का दक्षिण-मध्य रेलवे में परीक्षण किया गया है। इस परीक्षण के बाद ही 300 डब्लूडीजी-6जी इंजनों का आयात कर सेवा में शामिल करने का निर्णय हुआ है।

रेलवे के पास इस समय कुल मिलाकर लगभग 12 हजार इंजन हैं। इसमें 6.5 हजार डीजल इंजन और 5.5 हजार इलेक्टि्रक इंजन हैं। वर्ष 2022 तक सभी रूटों के सौ फीसद विद्युतीकरण के लक्ष्य के तहत डीजल इंजनों की संख्या को क्रमश: घटाते हुए 3000 पर लाने का प्रस्ताव है। इनका इस्तेमाल मुख्यतया सीमावर्ती इलाकों के साथ आपात स्थिति में ट्रेन सेवाओं के संचालन में किया जाएगा।

रेलवे अधिकारियों की माने तो डीजल इंजन की औसत आयु 30 वर्ष होती है। लेकिन ओवरहॉलिंग के बाद इन्हें 5-6 वर्ष और चलाया जा सकता है। पुराने इंजन हटाने के निर्णय से ओवरहॉल किए गए प्राय: सभी इंजन सेवा से बाहर हो जाएंगे और केवल 1-30 वर्ष पुराने इंजन ही बचेंगे। इससे डीजल खपत घटने के साथ-साथ वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी।


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