Indian Railways: आय बढ़ाने के लिए नया फंडा, आम आदमी के लिए भी खुलेंगे रेलवे के 'ऑफिसर रेस्ट हाउस'
कोरोना काल के कारण घाटे में चल रहा रेलवे आय बढ़ाने के लिए नए-नए प्रयोग कर रहा है। इसके तहत अब मंडल के सभी आठ ऑफिसर रेस्ट हाउस की जिम्मेदारी निजी कंपनी को सौंपने की तैयारी चल रही है।
अंजुल मिश्रा, जबलपुर। कोरोना काल के कारण घाटे में चल रहा रेलवे आय बढ़ाने के लिए नए-नए प्रयोग कर रहा है। इसके तहत अब मंडल के सभी आठ ऑफिसर रेस्ट हाउस की जिम्मेदारी निजी कंपनी को सौंपने की तैयारी चल रही है। इससे ऑफिसर रेस्ट हाउस के रखरखाव और हाउसकीपिंग में खर्च होने वाले सालाना 20 लाख रुपये की बचत तो होगी ही, साथ ही वहां से निश्चित आमदनी भी होने लगेगी। जबलपुर मंडल ने इसका मसौदा तैयार कर लिया है,जो निजी कंपनी रेलवे के ऑफिसर रेस्ट हाउस के संचालन का जिम्मा लेगी, वह रेस्ट हाउस के 40 फीसद हिस्सा का उपयोग आम आदमी को ठहरने के लिए कर सकेगी, जबकि 60 फीसद हिस्सा रेलवे के अधिकारियों के लिए आरक्षित रहेगा।
रेलवे बोर्ड देश के सभी जोन और मंडल कार्यालय के अंतर्गत आने वाले ऑफिसर रेस्ट हाउस के संचालन का जिम्मा अब निजी हाथों में सौंपने जा रहा है। इसकी शुरुआत उत्तर रेल जोन के अंतर्गत आने वाले लखनऊ रेल मंडल से हो चुकी है। लखनऊ की तर्ज पर जबलपुर रेल मंडल भी प्रस्ताव तैयार कर रहा है। जल्द ही इसके लिए टेंडर के माध्यम से निजी कंपनी को बुलाया जाएगा।
विदित हो कि रेलवे के ऑफिसर रेस्ट हाउस में अभी तक रेलवे के अधिकारी ही रकते थे। इसमें रेलवे को हर साल मेंटेनेंस में ही करीब 20 लाख रुपये खर्च करना पड़ता था। इतना ही नहीं, इन रेस्ट हाउस की सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों का वेतन भी रेलवे के खाते से जाता रहा, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। हालांकि ऑफिसर रेस्ट हाउस की मॉनिटरिंग का जिम्मा रेलवे के अधिकारियों पर ही होगा।
40 फीसद हिस्से में रुक सकेंगे बाहरी लोग
रेलवे जो मसौदा तैयार कर रहा है, उसके अनुसार ऑफिसर रेस्ट हाउस का 60 फीसद हिस्सा अधिकारियों के रुकने के लिए सुरक्षित रखा जाएगा, जबकि 40 फीसद हिस्से में कंपनी बाहरी लोगों को रुकवाकर किराया वसूल सकती है। आम जनता के ऑफिसर रेस्ट हाउस में ठहरने का किराया निजी कंपनी तय करेगी। इसके अलावा कंपनी खाने- पीने की जो व्यवस्था करेगी, उसका भुगतान अधिकारी और बाहरी लोगों को अपनी जेब से करना होगा।
विज्ञापन करने की भी मिलेगी जगह
हर ऑफिसर रेस्ट हाउस में कंपनी को विज्ञापन करने के लिए भी रेलवे निश्चित जगह देगा। बाहर खुले क्षेत्र में इसके लिए कंपनी को एक हजार से 1500 वर्ग फीट तक जगह दी जा सकती है।
मंडल में यहां हैं ऑफिसर रेस्ट हाउस
- जबलपुर
- पचमढ़ी
- बांधवगढ़
-कटनी
-सतना
-रीवा
-पिपरिया