Indian Railways: जनता कर्फ्यू के दिन भी रेलवे स्टेशनों में उमड़ी भीड़, प्रशासन पर खड़े हुए सवाल
Indian Railways पंजाब उत्तर प्रदेश के लिए स्टेशनों पर सभी जरूरी सावधानियों को ताक पर रखते हुए बड़ी संख्या में भीड़ इकट्ठी हो गई थी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जनता कर्फ्यू के दिन भी खासतौर से बिहार और उत्तर प्रदेश के कई रेलवे स्टेशनों में जिस तरह भीड़ दिखी वह जनता के बीच जागरुकता और प्रशासन की सक्रियता पर सवाल खड़ा करता है। एक तरफ जहां कोरोना से सोशल डिस्टेंसिंग ही सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है, वहीं जनता घबड़ाहट में इसे भूल रही है और नेता अपनी नेतागिरी में। यह भी साफ हो गया है कि राज्य सरकारों के बीच भी समन्वय की कुछ कमी है।
तीन दिन पहले कनिका कपूर के मामले में साफ हो गया था कि पढ़े लिखे अफसर और नेता भी कोरोना को लेकर बहुत सक्रिय नहीं है। शनिवार की रात 12 बजे से रेल संचालन बंद होने की खबरों के बीच मुंबई, पुणे जैसे शहरों से बिहार, पंजाब, उत्तर प्रदेश के लिए स्टेशनों पर सभी जरूरी सावधानियों को ताक पर रखते हुए बड़ी संख्या में भीड़ इकट्ठी हो गई थी।
इसके लिए दोषी कौन
थर्मल चेकिंग भी सिर्फ औपचारिकता रह गई थी। रविवार को जब पूरे देश में जनता कर्फ्यू लागू था और स्थानीय जनता घरों में बंद थी तो इन ट्रेनों से हजारों की संख्या में यात्री अलग अलग शहरों में झुंड बनाकर उतरे थे। सवाल यह है कि इसके लिए दोषी कौन है। जनता, नेता या प्रशासन।
किसी भी तरह घर पहुंचने की कोशिश
कोरोना से भयभीत जनता किसी भी तरह अपने घर पहुंचने की कोशिश करे इसमें असामान्य कुछ नहीं है। लेकिन यह सवाल जरूर है कि आखिर पुणे प्रशासन ने इतने लोगों को स्टेशन पर आने कैसे दिया? संबंधित रेलवे स्टेशन ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया? वहीं यह संशय भी पैदा हो गया है कि कहीं राज्यों के बीच समन्वय तो नहीं है।
प्रधानमंत्री ने जरूर तीन दिन पहले सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग कर केंद्र -राज्य में समन्वय बनाने की कोशिश की थी। लेकिन क्या राज्यों के मुख्यमंत्री भी आपसे में बात कर रहे हैं? क्या कोरोना से प्रभावित पुणे प्रशासन दूसरे राज्यों से आई भीड़ से मुक्ति चाहता था? फिलहाल इसका जवाब किसी के पास नहीं है।