रेलवे कर्मियों ने शुरू किया अभियान, कहा- मिले फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा
अखिल भारतीय रेलवे कर्मचारी महासंघ (एआइआरएफ) ने एक बयान जारी कर कहा कि ट्विटर अभियान के जरिये देशभर के रेलवे कर्मचारियों ने खुद को फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा दिए जाने की मांग की है। फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा नहीं मिलने से रेलवे कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए रेलकर्मी कोरोना योद्धा का दर्जा पाने के लिए आंदोलित हो उठे हैं। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआइआरएफ) के आह्वान पर सोमवार को देशभर के रेल कर्मचारियों ने ट्विटर पर अपनी मांग को लेकर अभियान चलाया। रेल कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री, रेल मंत्री और रेलवे अधिकारियों को ट्वीट करके कोरोना के खिलाफ लडाई में योद्धा का दर्जा देने की मांग की है।
एआइआरएफ के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद रेल कर्मचारी ट्रेनों की आवाजाही और जरूरी सामान की ढुलाई सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं। आक्सीजन की कमी दूर करने के लिए आक्सीजन एक्सप्रेस चलाकर कई लोगों की जान बचाई गई। अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए काफी संख्या में रेल कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो गए है, कई लोगों की जान चली गई है।
उन्होंने कहा कि जान की परवाह किए बगैर रेल कर्मचारी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान दे रहे हैं। इसके बावजूद इनकी जायज मांगें नहीं मानी जा रही है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में दूसरे विभागों के कर्मचारियों की तरह रेल कर्मचारियों को योद्धा का दर्जा नहीं दिया जा रहा है। इस वजह से इन्हें टीकाकरण में प्राथमिकता नहीं मिल रही है। यदि किसी रेल कर्मचारी की संक्रमण से मौत हो रही है तो उसके स्वजन को 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद से वंचित किया जा रहा है।