काश..इससे अच्छा तो पाकिस्तान सरकार हमें दे देती मौत
पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में वर्षो से बंद भारतीय कैदी तिल-तिल मर रहे हैं। अमानवीय व्यवहार और यातनाओं के कारण कई कैदी मानसिक संतुलन खो चुके हैं। भारत सरकार द्वारा प्रभावी कदम न उठाए जाने से वह सजा पूरी होने के बाद भी घर लौटने की उम्मीद छोड़ चुके हैं। इसका खुलासा पाक जेल से सजा काटकर लौटे विनोद
जम्मू, जागरण ब्यूरो। पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में वर्षो से बंद भारतीय कैदी तिल-तिल मर रहे हैं। अमानवीय व्यवहार और यातनाओं के कारण कई कैदी मानसिक संतुलन खो चुके हैं। भारत सरकार द्वारा प्रभावी कदम न उठाए जाने से वह सजा पूरी होने के बाद भी घर लौटने की उम्मीद छोड़ चुके हैं। इसका खुलासा पाक जेल से सजा काटकर लौटे विनोद साहनी को मिले पत्र से हुआ है। विनोद साहनी 1977 से 1988 तक पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में पाकिस्तान के बर्बरतापूर्ण रवैये को सह चुके हैं।
कोट लखपत जेल में बंद एक और भारतीय कैदी की मौत
भारतीय कैदियों ने यह पत्र 27 जून, 2013 को लिखा था, जो कुछ दिन पहले साहनी को मिला। पत्र अहमदाबाद के कुलदीप सिंह यादव और जम्मू के मकवाल के कुलदीप की तरफ से लिखा गया है, जिस पर जेल में बंद 11 कैदियों के हस्ताक्षर हैं। इसके अलावा 17 कैदी और हैं, जो यातनाएं सहकर मानसिक तौर पर बीमार हो चुके हैं। इनमें चार महिला कैदी भी शामिल हैं। जब कैदी पत्र लिख रहे थे तो उस दिन एक भारतीय कैदी जाकिर अहमद की मौत हो गई थी। पाकिस्तान के अमानवीय रवैये से भारतीय कैदी इस कदर दुखी है कि उन्होंने पत्र में लिखा है कि भारत सरकार कम से कम पाकिस्तान सरकार को साफ तौर पर कह दे कि भारतीय कैदियों को मार दिया जाए।
बदला लेने के लिए सरबजीत को मारना चाहते थे
कम से कम यह तिल तिलकर मरने से तो अच्छा होगा। पाकिस्तानी जेलों में बंद भारतीय कैदी पाकिस्तान में भारतीय दूतावास के रवैये से भी खिन्न हैं। कैदियों ने लिखा है कि कई बार भारतीय दूतावास के अधिकारी आए, जेल का दौरा भी किया लेकिन उनकी सुध लेने की बात आयी तो वह कुछ भी नहीं किए। भारत सरकार देशभक्तों का यह हाल कर रही है। हालत यह है कि भारतीय कैदियों का कॉमन ज्यूडिशियल कमीशन से भी विश्वास उठ गया है।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कैदियों में कृपाल सिंह पुत्र दास सिंह, कुलदीप सिंह पुत्र चंडा सिंह, धर्म सिंह पुत्र हकीम सिंह, मुहम्मद फरीद पुत्र नियामत अली, तिलक राज पुत्र राम चंद्र, मकबूल लोन पुत्र मुहम्मद अली, अब्दुल माजिद पुत्र अब्दुल कादिर, शंभु नाथ पुत्र खजान चंद, सुरजा राम पुत्र टिक्कू राम, महेंद्र सिंह पुत्र खुशहाल सिंह और पुनवासी पुत्र कन्हैया लाल का नाम शामिल हैं। भारतीय कैदियों की रिहाई के लिए संघर्ष कर रहे विनोद साहनी का कहना है कि भारत सरकार ने अपने कैदियों को पाकिस्तान के रहमोकरम पर छोड़ दिया है। यही वजह है कि पंजाब के सरबजीत सिंह और जम्मू के चमेल सिंह की पाकिस्तान कोट लखपत जेल में हत्या कर दी गई थी।
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