ड्रैगन की आक्रामकता को मुंहतोड़ जवाब, भारत और वियतनाम की नौसेनाओं ने दक्षिण चीन सागर में किया युद्धाभ्यास
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव के बीच भारत (Indian Navy) ने वियतनाम की नौसेना के साथ दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास किया है। चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना अधिकार जताता है और वियतनाम से उसके रिश्ते कटुतापूर्ण हैं।
नई दिल्ली, पीटीआइ। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच भारत ने वियतनाम की नौसेना के साथ दक्षिण चीन सागर में दो दिन अभ्यास किया है। दोनों देशों ने यह अभ्यास समुद्री सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने की नीयत से किया है। दक्षिण चीन सागर पर चीन अपना अधिकार जताता है और वियतनाम से उसके रिश्ते कटुतापूर्ण हैं। भारतीय नौसेना का युद्धपोत आइएनएस किलतान मध्य वियतनाम में आई बाढ़ में फंसे लोगों के लिए राहत सामग्री लेकर गया था।
वह गुरुवार को 15 टन राहत सामग्री लेकर हो ची मिन्ह सिटी के बंदरगाह पर पहुंचा था। शनिवार को जब वह वापस लौट रहा था तब उसने दक्षिण चीन सागर में वियतनाम की नौसेना के साथ मिलकर युद्धाभ्यास किया। दो दिन के इस अभ्यास में दोनों देशों की नौसेनाओं ने एक-दूसरे की खूबियों को समझा-जाना। भारतीय नौसेना ने ट्वीट कर रविवार को इस अभ्यास की जानकारी दी। इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को इस प्रस्तावित अल्प अभ्यास की जानकारी दी थी।
पिछले सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वियतनामी समकक्ष गुएन शुआन फुक के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने पर वर्चुअल मुलाकात में बात की थी। दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते प्रभाव से उसके नजदीकी देश काफी बेचैनी महसूस कर रहे हैं। वे चीन को अकेले रोक पाने में सक्षम नहीं हैं, ऐसे में वे गठबंधन बनाकर चीन के खिलाफ खड़े होने की रूपरेखा बना रहे हैं। इस युद्धाभ्यास का मकसद दोनों देशों के बीच समुद्र में सहयोग को बढ़ाना है।
उल्लेखनीय है कि यह अभ्यास ऐसे समय में हुआ जब चीन साउथ चाइना सी में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है। चीन के इस कदम को लेकर दुनिया में चिंता है और कई देश चीन के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। चीन अपनी विस्तारवादी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। उसकी नौसेना के दो युद्धपोतों ने शनिवार को जापान की जलसीमा में शेंकाकू द्वीप के नजदीक घुसपैठ की। बाद में जापानी तटरक्षकों ने चीनी युद्धपोतों की घुसपैठ पर आपत्ति जताते हुए उनसे वापस जाने को कहा।
इसके बाद तब दोनों युद्धपोत वापस गए। चीन शेंकाकू द्वीप पर अपना दावा जताता है। इससे पहले अक्टूबर में भी चीनी युद्धपोतों ने इलाके में घुसपैठ की थी। आपत्ति जताने के बावजूद वे करीब 50 घंटे तक वहां रहे थे। इसके बाद जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने अपने चीनी समकक्ष से घुसपैठ पर चिंता जताई थी और उसे रोकने का अनुरोध किया था। लेकिन शनिवार की घटना से स्पष्ट हो गया है कि चीन ने जापान के अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया।