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Lockdown 2.0: कोरोना संकट के समय मजबूती से डटे भारतीय किसान

Lockdown 2.0 कोरोना की मार से जहां सभी तबके परेशान हैं वहीं भारतीय किसान तमाम मुश्किलों के बावजूद लोगों को जरूरी चीजें मुहैया करा रहे हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2020 01:06 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2020 02:58 PM (IST)
Lockdown 2.0: कोरोना संकट के समय मजबूती से डटे भारतीय किसान
Lockdown 2.0: कोरोना संकट के समय मजबूती से डटे भारतीय किसान

कैप्टन विकास गुप्ता। Lockdown 2.0: भारतीय संस्कृति में अन्न और अन्नदाता को ब्रह्मा कहा गया है, जो देश के सभी जीवों के लिए भोजन जुटाते यानी पालन करते हैं, ताकि वे एक स्वस्थ शरीर और आत्मा का विकास कर सकें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले कई वर्षो से किसानों के इन्हीं गुणों का सम्मान करते हुए उनके कल्याण के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं। भारत समेत विश्व के विभिन्न देश इस समय कोरोना महामारी के संक्रमण से जूझ रहे हैं। इस महामारी के प्रकोप से अर्थजगत का कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है।

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कोरोना संक्रमण से देश के कृषकों को भी अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। भारत सरकार समेत सभी राज्य सरकारें, संबंधित विभाग के अधिकारीगण तथा देश का जनसमुदाय इस महामारी को नियंत्रित करने के लिए प्रयासरत है।

भारत में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती होती है। देश में लघु और सीमांत किसान ही ज्यादातर सब्जियों की खेती करते हैं। सब्जियों की खेती में अगर लागत और मेहनत ज्यादा आती है तो मुनाफा भी उसी अनुरूप होता है, लेकिन इस बार मुनाफा तो दूर किसानों की लागत भी ठीक से नहीं निकल पा रही है। इन तमाम मुश्किलों के बावजूद आज भारतीय किसान घर-घर अनाज, सब्जी, फल और दूध समेत अन्य सभी प्रकार की खाद्य सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं, जिसके लिए देश उनका और अधिक ऋणी हो गया है।

देश की सबसे बड़ी मानी जाने वाली दिल्ली की आजादपुर मंडी में प्याज नासिक से आता है तो हरी सब्जियां हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से पहुंचती हैं। लखनऊ की नवीन गल्ली मंडी में कटहल पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से आता था। साथ ही उत्तर प्रदेश का आलू असम से लेकर पड़ोसी देश नेपाल तक जाता है। पुणो और नासिक में होने वाली सब्जियां मुंबई समेत देश के कई भागों और विश्व के अन्य देशों को भी निर्यात की जाती हैं। देश की सप्लाई चेन यानी सब्जियों और फलों की आपूर्ति मुख्य रूप से ट्रकों पर निर्भर है, लेकिन लॉकडाउन में ज्यादातर आवागमन बंद है। यद्यपि केंद्र सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि खाद्य सामग्री से भरे वाहनों को किसी भी कीमत पर नहीं रोका जाए, तथापि इतने बड़े देश में सबके सामने परिवहन की परेशानी है। कई इलाकों में तो इस कार्य के लिए पर्याप्त मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं।

लॉकडाउन के दौरान कई चीजों में इस तरह का बदलाव आया है जिससे लगता है कि आने वाले समय में नई व्यवस्था शुरू हो सकती है। जैसे ट्रांसपोर्टेशन और कोल्ड चेन।वर्तमान संकट के हालात में भारत सरकार ने कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं ताकि कृषि और इससे संबंधित सभी क्षेत्रों की महत्वपूर्ण गतिविधियां निर्धारित सावधानियों का पालन करते हुए जारी रह सकें। किसानों की सुविधा के लिए इन्हें निष्कर्ष के रूप में यहां सूचीबद्ध किया गया है। कृषि और संबंधित गतिविधियां जिन्हें लॉकडाउन में छूट प्राप्त है, उसमें पशु चिकित्सालय, कृषि उत्पादों की सरकारी खरीद में लगे अभिकरण, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद भी सम्मिलित है, ऐसी मंडियां जो कृषि उत्पाद विपणन समितियों द्वारा संचालित हैं या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित हैं।

किसानों एवं कृषि श्रमिकों द्वारा की जाने वाली खेती-बाड़ी गतिविधियां, कृषि मशीनों से संबंधित यंत्रों के संचालन को छूट दी गई है। उर्वरक, कीटनाशक और बीज, उत्पादन और पैकेजिंग करने वाली इकाइयां, फसल कटाई और बोआई से संबंधित मशीनों जैसे कंबाइन हार्वेस्टर, कृषि और बागवानी उपकरणों आदि का अपने राज्य के भीतर या राज्य से बाहर आवागमन। कृषि मशीनों, उपकरणों व औजारों के अतिरिक्त इनके पुजोर्ं के मरम्मत की दुकानें खुली रहेंगी। चाय उद्योग, जिनमें चाय बागान भी शामिल हैं, अधिकतम 50 प्रतिशत श्रमिकों के साथ कार्य कर सकते हैं।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रलय ने सब्जियों और फलों की ढुलाई में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए ऑल इंडिया एग्री ट्रांसपोर्ट कॉल सेंटर बनाया है, ताकि राज्यों के बीच आपसी समन्वय बना रहे। फल, सब्जी, एग्री इनपुट, खाद बीज, कीटनाशक की आपूर्ति जारी रहे। टोल फ्री कॉल सेंटर का नंबर 18001804200 और 1488 है जिसे किसी मोबाइल या लैंडलाइन फोन से मिलाया जा सकता है। कई राज्यों ने लॉकडाउन में किसानों खासकर फसल कटाई और सब्जी उत्पादकों के लिए विशेष छूट का इंतजाम भी किया है। सरकार ने रमजान के मद्देनजर फल, सब्जी, दूध आदि की उपलब्धता का भी पूरा ध्यान रखा है।

कोरोना संकट में किसानों ने देशवासियों का पेट भरने के लिए जिस तरह से अपने बूते तमाम उपायों को जारी रखा उसकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। उन्होंने एक बार पुन: साबित किया है कि संकट के समय भारतीय किसान देश के साथ हमेशा खड़ा रहता है और विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटता। उनकी इन्हीं विशेषताओं के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे संत राजनेता उन्हें तपस्वी और साधक मानते हैं। सही अथोर्ं में भारतीय किसान ही हमारी संत परंपरा के वाहक हैं जो हमेशा अपने से ज्यादा जन कल्याण और समाज के विषय में सोचते हैं और उनकी वही सोच आज भारत सरकार की नीतियों में भी झलकती है।

[अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद]


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