भारतीय सेना को मिलेंगे 10 लाख नए मल्टीमोड हैंडग्रेनेड, जानें किसके लिए होगा इस्तेमाल
रक्षा मंत्रालय ने आज भारतीय सेना को 10 लाख मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड की आपूर्ति के लिए इकनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड (ईईएल) (सोलर ग्रुप) नागपुर के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। यह सौदा लगभग 409 करोड़ रुपये का है। इन हैंड ग्रेनेड का मारने और शॉक देने के लिए इस्तेमाल होगा।
नई दिल्ली, एएनआइ। रक्षा मंत्रालय ने आज भारतीय सेना को 10 लाख मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड की आपूर्ति के लिए इकनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड (ईईएल), (सोलर ग्रुप) नागपुर के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। यह सौदा लगभग 409 करोड़ रुपये का है। इन हैंड ग्रेनेड का मारने और शॉक देने के लिए इस्तेमाल होगा। ग्रेनेड नए 10 लाख हैंडग्रेनेड मल्टीमोड हैंडग्रेनेड होंगे। इनका इस्तेमाल बस शॉक करने के लिए और घातक हथियार दोनों तरह से किया जा सकेगा।
लोगों को एक गैरघातक ब्लास्ट से चौंकाने के लिए होगा इस्तेमाल
हैंडग्रेनेड में एक कवर होगा, जिसके साथ हैंडग्रेनेड जानलेवा बनेगा। यानी इसका इस्तेमाल दुश्मन के खात्मे के लिए किया जा सकेगा। बिना कवर के यह हैंडग्रेनेड नॉनलीथल होगा यानी घातक नहीं होगा। इसका इस्तेमाल उस परिस्थिति में किया जा सकता है जब सैनिकों को किसी संदिग्ध जगह पर घुसना है और वहां मौजूद लोगों को बस एक गैरघातक ब्लास्ट से चौंकाना है।
फौज में हर राइफलमैन अपने साथ दो ग्रेनेड रखता है। अभी तक जो ग्रेनेड इस्तेमाल हो रहे हैं उनमें काफी शिकायतें आ रही हैं। हालांकि मौजूदा ग्रेनेड को हैंडग्रेनेड और राइफल ग्रेनेड, दोनों तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन जो नए 10 लाख ग्रेनेड मिल रहे हैं वे मल्टी मोड तो हैं लेकिन वे हैंडग्रेनेड की तरह ही इस्तेमाल हो सकेंगे। भारतीय सेना को राइफल ग्रेनेड की भी जरूरत है और नए राइफल ग्रेनेड की खोज अभी जारी है।
7796 करोड़ का सुरक्षित संचार नेटवर्क :सरकारी संस्थान
आइटीआइ ने रक्षा मंत्रालय से 7796 करोड़ रुपये का करार किया है। इसके तहत आइटीआइ को समूचे देश में सेना के लिए रणनीतिक और सुरक्षित संचार नेटवर्क बनाना है। सुरक्षा कैबिनेट कमेटी ने इस संवेदनशील नेटवर्क के लिए मंजूरी दे दी है। आर्मी स्टेटिक स्विच्ड कम्यूनिकेशन नेटवर्क (एस्कॉन) फेज-4 को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के खिलाफ तैयारियों के तौर पर देखा जा रहा है।
आइटीआइ ने बयान जारी करके कहा कि भारतीय सेना को मजबूत करने के लिए दूरसंचार नेटवर्क का अहम योगदान होगा। अगले दस सालों के लिए पूरे देश में सेना के लिए यह सबसे सुरक्षित संचार प्रणाली होगी। वर्ष 2017 में दूरसंचार और रक्षा उपकरण निर्माता कंपनी ने आर्मी स्टेटिक स्विच्ड कम्यूनिकेशन नेटवर्क (एस्कॉन) फेज-4 के लिए सबसे कम की बोली लगाई थी।