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सेना ने रूस यूक्रेन युद्ध से लिया सबक; सेटेलाइट आधारित संसाधनों की तैयारियों का किया अभ्यास, हाइटेक हथियारों के इस्तेमाल पर फोकस

भारतीय सेना ने भविष्य में हाइटेक स्पेस वार की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए कमर कस ली है। सेना ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सेना ने जुलाई के अंतिम हफ्ते में अपनी संचालन तैयारियों का अभ्यास किया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 05 Aug 2022 10:04 PM (IST)Updated: Sat, 06 Aug 2022 03:09 AM (IST)
सेना ने रूस यूक्रेन युद्ध से लिया सबक; सेटेलाइट आधारित संसाधनों की तैयारियों का किया अभ्यास, हाइटेक हथियारों के इस्तेमाल पर फोकस
स्पेस वार की चुनौतियों से निपटने को भारतीय सेना ने अपनी क्षमता को परखना शुरू कर दिया है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

संजय मिश्र, नई दिल्ली। भविष्य में हाइटेक स्पेस वार (उपग्रह आधारित युद्ध) की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना ने अपनी क्षमता बढ़ाने को गति दे दी है। इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सेना ने जुलाई के अंतिम हफ्ते में अपने सभी सेटेलाइट आधारित सैन्य संसाधनों की संचालन तैयारियों का अभ्यास किया। बेहद गोपनीय 'एक्स-स्काइलाइट' अभ्यास में देश के सभी सेटेलाइट युद्ध संसाधनों की संचालन तैयारियों का परीक्षण किया गया।

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रूस-यूक्रेन युद्ध से लिया सबक

भारतीय सेना रूस-यूक्रेन युद्ध में सेटेलाइट से लेकर हाइटेक हथियारों के इस्तेमाल का भी अध्ययन कर रही है। रक्षा सूत्रों के अनुसार, उपग्रह संचार अभ्यास का मकसद भारतीय सेना की सेटेलाइट आधारित संचालन तैयारियों को परखना था। सेना ने सेटेलाइट संचार प्रणालियों को गतिशील कर स्पेस में सैन्य खतरों के कई आयामों को रखते हुए उनका मुकाबला करने की तकनीकी और आपरेशनल क्षमताओं का सफल परीक्षण किया।

उपग्रह संचार सैन्य संसाधनों को किए एक्टिव

25 से 29 जुलाई के बीच हुए इस अभ्यास के क्रम में 200 से अधिक सेटेलाइट प्लेटफार्म पर सेना ने अपने सभी उपग्रह संचार सैन्य संसाधनों को 100 प्रतिशत सक्रिय किया। इनमें स्टैटिक टर्मिनल, परिवहन योग्य वाहन माउंटेड टर्मिनल, मैन-पोर्टेबल और छोटे फार्म फैक्टर मैन-पैक संचार टर्मिनल शामिल हैं। सेना के साथ इसमें इसरो और अंतरिक्ष तथा जमीनी क्षेत्रों में संचार प्रणालियों से जुड़ी कई एजेंसियों ने हिस्सा लिया।

उत्तरी सीमा की तैयारियों को परखा

भारत के लिए चीन से लगी उत्तरी और पाकिस्तान से जुड़ी पश्चिमी सीमा हमेशा संवदेनशील रही है। सूत्रों ने बताया कि इसके मद्देनजर उत्तरी सीमा के सेटेलाइट आधारित सैन्य संसाधनों की तैयारियों को विशेष रूप से परखा गया। वायुसेना और नौसेना की तरह सेना के पास इस समय अपना सेटेलाइट नहीं है।

सेना का मल्टीबैंड सेटेलाइट जीसैट-7बी होगा लांच

दिसंबर 2025 तक सेना का मल्टीबैंड सेटेलाइट जीसैट-7बी लांच हो जाएगा। इस सेटेलाइट से सेना की न केवल अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों के लिए सामरिक संचार की जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि दूर से संचालित विमान, हथियारों और अन्य महत्वपूर्ण मिशनों में इसका फायदा मिलेगा।

प्रशिक्षण देने पर जोर

सूत्रों के अनुसार, सेना अपने कर्मियों को उपग्रह संचार के सभी पहलुओं का प्रशिक्षण देने पर जोर दे रही है। सेना ने यूक्रेन युद्ध के दौरान स्टारलिंक सेटेलाइट व साइबर और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रभावों का विस्तृत अध्ययन किया है। इसमें विश्वसनीय उपग्रह संचार की प्रभावी क्षमता सामने आई है।

सैन्य संचार और इलेक्ट्रानिक वारफेयर पर फोकस

अध्ययन का फोकस सैन्य संचार और इलेक्ट्रानिक वारफेयर पर था। इसके निष्कर्षों को सेना ने विशेषज्ञों के सामने रखा है। भविष्य की जरूरत को देखते हुए स्माल फार्म फैक्टर हैंड हेल्ड सिक्योर सेटेलाइट फोन, सेटेलाइट आइओटी और सेटेलाइट हाइ स्पीड डेटा बैकबोन के विकास पर सेना का जोर है।

क्वांटम कंप्यूटिंग की दिशा में बढ़ना अहम

सेना अपने संचार नेटवर्क की सुरक्षा और इसका प्रभावी संचालन सुनिश्चित करने के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग का आधार मजबूत कर रही है। संचार नेटवर्क पर धावा बोलकर गोपनीय सूचना हासिल करने की दुश्मन के पास संभावना न हो, इसके लिए क्वांटम कंप्यूटिंग की दिशा में बढ़ना अहम है।

क्वांटम लैब स्‍थापित कर रही सेना

इसका एक और फायदा सेना को यह भी होगा कि क्रिप्टोग्राफिक सिस्टम को कुछ ही मिनटों में क्वांटम कंप्यूटर के जरिये क्रैक किया जा सकेगा। इससे दुश्मन के गोपनीय संचार को भी पकड़ा जा सकेगा। ऐसी क्षमता किसी देश की संवेदनशील प्रणालियों के लिए बड़ा हथियार होगी। सेना क्वांटम कंप्यूटिंग का ढांचा विकसित करने के लिए अपना क्वांटम लैब भी स्थापित कर रही है। इससे सेना के सूचना योद्धा दुश्मन के संचार तंत्र को पंगु करने में पूरी तरह दक्ष होंगे।


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