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    महा-गजराज युद्धाभ्यास: भारतमाला एक्सप्रेस वे पर गरजे जगुआर और सुखोई, दुश्मन देशों की उड़ी नींद

    Updated: Tue, 11 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    जयपुर में, भारतीय वायुसेना और थल सेना ने भारत-पाकिस्तान सीमा के पास एक संयुक्त युद्धाभ्यास किया। इस अभ्यास में, दुश्मन के काल्पनिक ठिकानों पर हमला किया गया, जिसमें ड्रोन का उपयोग करके जानकारी प्राप्त की गई और गांवों को खाली कराया गया। युद्धाभ्यास में आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया गया, जिसका उद्देश्य रेगिस्तान में सेना की तत्परता को साबित करना था। युद्धाभ्यास 13 नवंबर को समाप्त होगा।

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    भारत-पाक सीमा पर सेना का युद्धाभ्यास

    जागरण संवाददाता, जयपुर। भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट राजस्थान के रेगिस्तान में मंगलवार को भारतीय वायुसेना और थल सेना के जवानों ने आतंकवादियों के काल्पनिक ठिकानों और दुश्मन देश की अग्रिम चौकियों पर एक साथ हमला किया। पहले ड्रोन के माध्यम से दुश्मन की काल्पनिक चौकियों एवं आतंकियों के ठिकानों की जानकारी प्राप्त की गई।

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    इसके बाद ड्रोन से घोषणा कर युद्ध क्षेत्र के आसपास के गांवों को खाली करवाया गया। सैनिकों के घायल होते ही रोबोटिक डाग उपचार सामग्री लेकर मौके पर पहुंचे। युद्धाभ्यास त्रिशूल के दौरान दुश्मन पर आसमान और जमीन दोनों तरफ से हमला किया गया। वायुसेना के हेलीकाप्टर ने टी-90 टैंक को कवर फायर देते हुए आगे बढ़ने में सहायता की।

    भारत-पाक सीमा पर सेना का युद्धाभ्यास

    थल सेना के जवानों को अत्याधुनिक ड्रोन से हथियारों की आपूर्ति की गई। अभ्यास के दौरान बाड़मेर के गांधव में वायुसेना का महा-गजराज युद्धाभ्यास हुआ। इसके तहत भारतमाला एक्सप्रेस वे 925-ए पर लड़ाकू विमान उतरे। 13 दिन तक चलने वाले युद्धाभ्यास में थल सेना की मैकेनाइज्ड और टैंक रेजीमेंट हिस्सा ले रही हैं।

    इसका उद्देश्य यह साबित करना है कि सेना रेगिस्तान में किसी भी परिस्थिति में तेजी से दुश्मन के खिलाफ कदम उठाने में सक्षम है। युद्धाभ्यास के दौरान दक्षिणी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने युद्ध क्षेत्र का निरीक्षण किया। इसका समापन 13 नवंबर को होगा।

    भारत-पाक सीमा पर वायु और थल सेना ने दिखाई ताकत

    ड्रोन से दुश्मन के काल्पनिक ठिकानों की पहचान कर ध्वस्त करने का अभ्यास किया गया। भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट राजस्थान के रेगिस्तान में मंगलवार को भारतीय वायुसेना और थल सेना के जवानों ने आतंकवादियों के काल्पनिक ठिकानों और दुश्मन देश की अग्रिम चौकियों पर एक साथ हमला किया। पहले ड्रोन से दुश्मन की काल्पनिक चौकियों एवं आतंकियों के ठिकानों के बारे में जानकारी की गई। इसके बाद ड्रोन से घोषणा कर युद्ध क्षेत्र के आसपास के गांव खाली करवाए गए। सैनिकों के घायल होते ही रोकोटिक डॉग उपचार की सामग्री लेकर मौके पर पहुंचे।

    युद्धाभ्यास के दौरान दुश्मन पर आसमान और जमीन दोनों तरफ से हमला किया गया। वायुसेना के हेलीकाप्टर ने टी-90 टैंक को कवर फायर देते हुए आगे बढ़ने में मदद की। वहीं थल सेना के जवानों को अत्याधुनिक ड्रोन से हथियारों की आपूर्ति की गई। काल्पनिक युद्ध में रेत के टीलों के बीच टैंक,तोप,हेलीकाप्टर और लड़ाकू विमानों ने एक साथ दुष्मन के ठिकानों पर हमला किया।

    आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन

    बाड़मेर के गांधव में भारतीय भारतीय वायुसेना का महागजराज युद्धाभ्यास हुआ। यह युद्धाभ्यास भारतमाला एक्सप्रेस वे 925-ए पर गांधव इलाके में बनी तीन किलोमीटर लंबी और 33 मीटर चौड़ी आपातकालीन हवाई पट्टी पर हुई। 13 दिन तक चल रहे युद्धाभ्यास में थल सेना से मैकेनाइज्ड और टैंक रेजिमेंट ने हिस्सा लिया।

    इस युद्धाभ्यास का का उद्देश्य यह साबित करना है कि भारतीय सेना रेगिस्तान में किसी भी परिस्थिति में तेजी से दुश्मन के खिलाफ कदम उठाने में समक्ष में है युद्धाभ्यास के दौरान दक्षिणी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने खुद युद्ध क्षेत्र का निरीक्षण किया।

    मंगलवार को युद्धाभ्यास में मुख्य युद्धक टैंक टी-90,पैदल सेना वाहन इंफैंट्री कॉम्बैट वाहन,हमलावार हेलीकापॅटर अपाचे एई-86,स्वदेशी हेलिकाप्टर एएलएच रूद्र एवं लडाकू हेलिकाप्टर एएलएच रूद्र युद्धाभ्यास में शामिल हुए हैं।युद्धाभ्यास के स्वदेशी हथियारों एवं लडाकू विमानों के उपयोग पर अधिक जोर दिया जा रहा है। युद्धाभ्यास का समापन 13 नवंबर को होगा।