चीन दादागिरी पर अमादा, सिक्किम ही नहीं लद्दाख में भी की गुस्ताखी, लगातार दो दिन झड़पें
तकरीबन तीन वर्ष बाद एक बार फिर चीन के सैनिकों ने भारत की सीमा में अकारण प्रवेश कर सामान्य चल रहे हालात को तनावग्रस्त करने की कोशिश की है।
नई दिल्ली, जेएनएन/एजेंसियां। कोरोना महामारी पर काबू पाने का दावा करने वाले चीन की गुस्ताखियां अब भारत से लगी सीमा पर भी नजर आने लगी हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ ने भारतीय सेना के सूत्रों के हवाले से बताया है कि चीनी सैनिकों ने केवल सिक्किम ही नहीं पूर्वी लद्दाख में भी भारतीय सैनिकों के साथ झड़पें कीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्वी लद्दाख और सिक्किम सेक्टर में चीनी सैनिकों ने लगातार दो दिन पांच और छह मई को भारतीय सैनिकों के साथ हाथापाई की। हालांकि भारतीय सैनिकों ने भी चीनी सैनिकों की गुस्ताखियों का करारा जवाब दिया। एएनआइ के मुताबिक, इन झड़पों में भारत और चीन दोनों के सैनिक जख्मी हुए हैं।
भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश
सरकारी स्तर पर इस बारे में विस्तार से कोई जानकारी तो नहीं दी गई है लेकिन सूत्रों ने बताया कि दोनों सेनाओं के बीच टकराव की यह स्थिति चीन की पैट्रोलिंग पार्टी की तरफ से भारत की सीमा में घुसने की कोशिश के चलते बनी। सिक्किम के नाकु-ला इलाके में पांच मई को चीन के कुछ सैनिकों ने भारतीय सीमा में प्रवेश किया था। भारतीय सैनिकों ने इसका विरोध किया। देखते ही देखते करीब डेढ़ सौ सैनिक एक-दूसरे के सामने आ गए। इस तनातनी ने पथराव का भी रूप ले लिया था। इस टकराव से दोनों तरफ के तकरीबन एक दर्जन सैनिकों के घायल होने की खबर है।
पूरी रात रहा सीमा पर जमावड़ा
इसी तरह की घटना पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग लेक के उत्तर की ओर हुई। यहां तकरीबन पूरी रात टकराव की स्थिति बनी रही थी। करीब 200 सैनिक एक-दूसरे के सामने आ गए थे। यहां तक कि दोनों तरफ से अतिरिक्त टुकड़ियां भी बुला ली गई थीं। हालांकि सूत्रों की मानें तो दोनों ही जगहों पर स्थानीय स्तर पर बातचीत के बाद सैनिकों को समझाबुझाकर अलग किया गया था। उल्लेखनीय है कि सिक्किम के उत्तरी हिस्से में नाकु-ला तकरीबन 5,259 मीटर पर स्थित एक दर्रा है जिस पर चीन बहुत पहले से अपना दावा ठोकता रहा है।
लद्दाख में अगस्त 2017 में हुआ था टकराव
साल 1962 के युद्ध के बाद से कई बार इस क्षेत्र को लेकर चीन ने दावा किया है और इस तरह की झड़पें हुई हैं। दरअसल, स्पष्ट अंतरराष्ट्रीय सीमांकन नहीं होने की वजह से गर्मी के महीनों में अक्सर चीन के सैनिक अतिक्रमण की कोशिश करते हैं, जिससे टकराव की स्थिति बन जाती है। मौजूदा झड़प की उक्त दोनों ही घटनाएं काफी समय बाद हुई हैं। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2017 में भी लद्दाख में पेंगोंग झील में इस तरह की घटना हुई थी जिसके बाद हुई यह पहली घटना है।
ऐसी छोटी झड़पें होती रहती हैं : सेना
भारतीय सेना ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि सीमाएं स्पष्ट नहीं होने के कारण ऐसी अस्थायी और छोटी झड़प होती रहती है। दोनों पक्षों के उग्र हो जाने से सैनिकों को चोट आई है। बातचीत के बाद दोनों पक्ष शांत हो गए हैं। सेनाएं तय प्रोटोकॉल के हिसाब से ऐसे मामले आपसी बातचीत से सुलझा लेती हैं। वहीं थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने (Army Chief Gen Manoj Mukund Naravane) ने कहा है कि वक्त आ गया है कि भारत अपने भूभाग में रणनीतिक अनिश्चितताओं को दूर करने के लिए ठोस फैसला (whole-of-government approach) लिया जाए।
मौजूदा हालात में दबाव बनाने की कोशिश
प्रमुख रणनीतिकार व चीन मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी चीन के इस आक्रामक व्यवहार को कोविड-19 की वजह से उस पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव से जोड़कर देखते हैं। उन्होंने कहा है कि चीन एक तरह से अपने पड़ोसियों को धमकाने की कोशिश कर रहा है कि वे उसके खिलाफ जांच करने की पश्चिमी देशों की मांग का समर्थन ना करें। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि यह तब हो रहा है जब चीन के जहाज जापान नियंत्रित सेनकाकू द्वीप में पिछले दो दिनों से अतिक्रमण कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में अमेरिका ने साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते अतिक्रमण को लेकर अपनी चिंता जताई है।
डोकलाम में बन गई थी गंभीर स्थिति
2017 में दोनों देशों की सेनाओं के बीच डोकलाम (भूटान) में काफी तनाव बढ़ गया था। तकरीबन तीन महीने तक भारत और चीन की सेनाएं एक-दूसरे के सामने कुछ सौ मीटर पर तैनात थीं। दोनों देशों में युद्ध की आशंका तक गहराने लगी थी। डोकलाम में बनी तनातनी की स्थिति के कई महीने बाद अप्रैल, 2018 में चीन के वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की पहली अनौपचारिक बैठक हुई थी। इसमें दोनों नेताओं ने भरोसा और समझ बढ़ाने के लिए बातचीत को मजबूत करने के उद्देश्य से अपनी सेनाओं के लिए स्ट्रेटजिक गाइडेंस जारी करने का फैसला लिया था। पिछले साल तमिलनाडु के मामल्लपुरम में भी मोदी और चिनफिंग के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा हुई थी।
सीमा पर आईबीजी की तैनाती की योजना
चीन यह भी झूठा दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है जबकि हकीकत दुनिया जानती है कि यह भारत अभिन्न अंग है। असल में चीन का अपनी विस्तारवादी नीतियों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जाने का रहा है। एक ओर दुनिया जहां कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है वहीं चीन उकसावे वाली कार्रवाइयों में जुटा हुआ है। चीन की इसी चाल को नाकाम बनाने के लिए भारतीय सेना चीन और पाकिस्तान से लगती सीमा पर इंटिग्रेटेड बैटिल ग्रुप यानी आईबीजी (Integrated Battle Groups, IBGs) की तैनाती की तैयारी में है। सेना प्रमुख भी इसका संकेत दे चुके हैं।