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भारतीय-अमेरिकी उद्यमी की भारत को लघु परमाणु रिएक्टर देने की पेशकश

बताया जा रहा है कि नई पीढ़ी के छोटे परमाणु रिएक्टर 160 मेगावाट के उत्पादन के लिए हल्के पानी की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं और ये परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों का भविष्य हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 09 Oct 2017 09:17 AM (IST)Updated: Mon, 09 Oct 2017 09:17 AM (IST)
भारतीय-अमेरिकी उद्यमी की भारत को लघु परमाणु रिएक्टर देने की पेशकश
भारतीय-अमेरिकी उद्यमी की भारत को लघु परमाणु रिएक्टर देने की पेशकश

वॉशिंगटन, एजेंसी। एक भारतीय-अमेरिकी उद्यमी ने फास्ट ट्रैक लघु परमाणु रिएक्टरों की वकालत करते हुए कहा कि वे किफायती हैं और इन्हें दो साल के अंदर तैयार किया जा सकता है। बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए अमेरिकी कंपनियों वेस्टिंगहाउस और जनरल इलेक्ट्रिक से चल रही बातचीत या तो अधर में है या फिर बेहद सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ रही है।

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न्यूजर्सी स्थित एसएमआरएलएलसी और होल्टेक इंटरनेशनल के संस्थापक तथा सीईओ कृश सिंह ने हाल में दिए एक साक्षात्कार में कहा कि नई पीढ़ी के छोटे परमाणु रिएक्टर 160 मेगावाट के उत्पादन के लिए हल्के पानी की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं और ये परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों का भविष्य हैं। ये ज्यादा सुरक्षित और किफायती भी हैं।

न्यूजर्सी के गवर्नर क्रिस क्रिस्टीज ने पिछले महीने कैमडेन में लाखों डॉलर की उत्पादन इकाई का उद्घाटन किया था। सिंह ने कहा कि नए एसएमआर रिएक्टरों के लिए महज कुछ एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि इसके वातानुकूलित होने की वजह से इसे रेगिस्तान में भी स्थापित किया जा सकता है। परंपरागत रिएक्टरों में शीतलन के लिए काफी मात्रा में पानी की आवश्यकता पड़ती है, जबकि इसके लिए ऐसा नहीं करना पड़ता। एक छोटे परमाणु रिएक्टर को बनाने में करीब एक अरब डॉलर की लागत आती है। उन्होंने कहा कि अगर इसे भारत में बनाया जाए तो यह लागत और कम होगी।

मोदी को लिखा खत, भारत में निर्माण की जताई इच्छा
कंपनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एसएमआर 160 पर एक खत लिखा है और मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में इसे बनाने की पेशकश की। भारत की ऊर्जा समस्याओं के लिए इस रिएक्टर को श्रेष्ठ समाधान बताते हुए उन्होंने कहा, आप बड़े पैमाने पर इन रिएक्टरों को बनाकर उन्हें देशभर में वितरित कर सकते हैं।

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