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चीन के मुकाबले भारतीय वायुसेना की बढ़ेगी मारक क्षमता, जल्द मिलेंगे और 10 राफेल विमान

भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता और मजबूत होने जा रही है। एक महीने के भीतर वायु सेना के बेड़े में और 10 राफेल लड़ाकू विमान शामिल हो जाएंगे। इससे राफेल विमानों के दूसरे स्क्वाड्रन के गठन का रास्ता भी साफ हो जाएगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 28 Mar 2021 06:56 PM (IST)Updated: Mon, 29 Mar 2021 09:53 AM (IST)
चीन के मुकाबले भारतीय वायुसेना की बढ़ेगी मारक क्षमता, जल्द मिलेंगे और 10 राफेल विमान
वायु सेना के बेड़े में और 10 राफेल लड़ाकू विमान शामिल हो जाएंगे

 नई दिल्ली, एएनआइ। भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता और मजबूत होने जा रही है। एक महीने के भीतर वायु सेना के बेड़े में और 10 राफेल लड़ाकू विमान शामिल हो जाएंगे। इससे राफेल विमानों के दूसरे स्क्वाड्रन के गठन का रास्ता भी साफ हो जाएगा। नए विमानों के आने से वायु सेना में राफेल की संख्या 21 हो जाएगी। इससे पहले वायु सेना के अंबाला बेस में 17 स्क्वाड्रन में 11 लड़ाकू विमान शामिल हो चुके हैं। 

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पहले तीन और अगले महीने के आखिर तक मिलेंगे सात फाइटर जेट

सरकार से जुड़े वरिष्ठ सूत्रों ने एएनआइ को बताया, 'तीन राफेल लड़ाकू विमान दो से तीन दिन में फ्रांस से सीधे उड़ान भरकर भारत पहुंचेंगे, जिन्हें आसमान में ही मित्र वायु सेना द्वारा ईंधन दिया जाएगा। इसके बाद अगले महीने के दूसरे पखवाड़े में सात से आठ लड़ाकू विमान और उनके ट्रेनर वर्जन मिलेंगे। इसके साथ ही हमारी मारक क्षमता और बढ़ जाएगी।'

भूटान की सीमा के पास हाशिमारा एयर बेस पर बनेगा राफेल का दूसरा स्क्वाड्रन

सूत्रों ने बताया कि फ्रांस से ये सारे विमान अंबाला एयर बेस पर पहुंचेंगे। वहां से इनमें से कुछ को हाशिमारा भेजा जाएगा, जहां राफेल लड़ाकू विमानों के दूसरे स्क्वाड्रन के गठन की प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी है। बता दें कि एक स्क्वाड्रन में 15 से 18 विमान होते हैं। हाशिमारा वायु सेना स्टेशन बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में भारत-भूटान सीमा के करीब है। भारत ने 2016 में फ्रांस के दासौ एविएशन के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा किया था। इस साल अप्रैल के आखिर तक इनमें से 50 फीसद विमान भारत आ जाएंगे। 

 वायुसेना के आपरेशंस के लिए हाशिमारा एक सामरिक बेस है क्योंकि यह भूटान और चुंबी घाटी के नजदीक है। चुंबी घाटी में ही भारत, भूटान और चीन के बीच का ट्राई-जंक्शन और डोकलाम स्थित है जहां 2017 में चीन की सेना के साथ काफी लंबा गतिरोध चला था। उक्त ट्राई-जंक्शन तीनों ही देशों के लिए चिंता का सबब है।


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