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चालबाज चीन से तनातनी के बीच पश्चिमी मोर्चे को लगातार मजबूत कर रही वायुसेना

अंबाला वायुसेना बेस पर तैनात चिनूक अपाचे व राफेल ऐसे महाबली हैं जो अपनी अचूक मारक क्षमता से लद्दाख के दुर्गम क्षेत्रों की सुरक्षा करने के साथ-साथ दुश्मन के छक्के छुड़ा देंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 09:12 AM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 10:42 AM (IST)
चालबाज चीन से तनातनी के बीच पश्चिमी मोर्चे को लगातार मजबूत कर रही वायुसेना
चालबाज चीन से तनातनी के बीच पश्चिमी मोर्चे को लगातार मजबूत कर रही वायुसेना

नई दिल्‍ली, जेएनएन। चीन व पाकिस्तान जैसे कुटिल पड़ोसियों से निपटने के लिए भारतीय वायुसेना ने डेढ़ साल पहले से पश्चिमी मोर्चे पर अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी है। इसी रणनीति के तहत वेस्टर्न फ्रंट यानी पश्चिमी मोर्चे को अब तक तीन ‘महाबली’ मुहैया कराए गए हैं। चंडीगढ़, पठानकोट व अंबाला वायुसेना बेस पर तैनात चिनूक, अपाचे व राफेल ऐसे महाबली हैं जो अपनी अपार शक्ति और अचूक मारक क्षमता से कश्मीर, लेह व लद्दाख के दुर्गम क्षेत्रों की सुरक्षा करने के साथ-साथ दुश्मन के छक्के छुड़ा देंगे।

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चिनूक : अधिक भार उठाने में माहिर चिनूक हेलीकॉप्टर को मार्च 2019 में 12वीं विंग वायुसेना बेस चंडीगढ़ में शामिल किया गया। यह 11 टन तक भार उठा सकता है। अमेरिका में निर्मित ये हेलीकॉप्टर लेह व लद्दाख जैसे ऊंचे व दुर्गम इलाकों में भारी भरकम साजोसामान ले जाने में सक्षम हैं। इनके जरिये सैनिकों व भारी हथियार के परिवहन के साथ-साथ दुर्गम इलाके में सड़क निर्माण परियोजनाओं में भी मदद मिलेगी। चिनूक में दो रोटर इंजन लगे हैं, जिसके कारण ये किसी भी मौसम और बेहद घनी पहाड़ियों में भी उड़ान भरने में सक्षम हैं। ये छोटे हेलीपैड व सघन घाटियों में भी उतर सकते हैं।

अपाचे : आधुनिक युद्धक क्षमता वाले अपाचे हेलीकॉप्टर को गत वर्ष सितंबर में पठानकोट वायुसेना बेस पर तैनात किया गया। अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा बनाए गए करीब 16 फीट ऊंचे व 18 फीट चौड़े अपाचे हेलीकॉप्टर में दो इंजन लगे हैं और इन्हें चलाने के लिए दो पायलट की जरूरत होती है। इनकी रफ्तार 280 किमी प्रति घंटा है। इन्हें रडार से पकड़ना मुश्किल है। इनसे एंटी टैंक मिसाइलें दागी जा सकती हैं। इनके नीचे लगी राइफल में एक बार में 30एमएम की 1,200 गोलियां भरी जा सकती हैं। अपाचे की रेंज करीब 550 किमी है। ये एक बार में पौने तीन घंटे तक उड़ान भर सकते हैं।

राफेल : अंबाला स्थित वायुसेना की 17वीं स्क्वाड्रन में गुरुवार को शामिल किए गए अत्याधुनिक युद्धक प्रणाली से लैस राफेल विमान चीन व पाकिस्तान को उनकी सीमाओं में घुसकर सबक सिखाने में सक्षम हैं। फ्रांस में निर्मित राफेल की रेंज 3,700 किमी है और वह चार मिसाइलें ले जा सकता है। 2,223 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाला यह लड़ाकू विमान 9,500 किलोग्राम तक भार ढो सकता है। यह कश्मीर, लेह व लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों में उड़ान भरने में बेहद प्रभावी है और रडार को भी आसानी से झांसा दे सकता है। डबल इंजन वाला यह मल्टी रोल लड़ाकू विमान परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है।


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