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एचसीक्यू पर वैश्विक दुष्प्रचार का ठोस सबूतों और आंकड़ों के साथ जवाब देगा भारत

डाक्टर वीके पॉल ने कहा कि एचसीक्यू को लेकर उपलब्ध वैज्ञानिक जानकारी के आधार पर ही भारत पूरी जिम्मेदारी के साथ कोरोना के मरीजों के इलाज में इसका इस्तेमाल कर रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 12:29 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 12:29 AM (IST)
एचसीक्यू पर वैश्विक दुष्प्रचार का ठोस सबूतों और आंकड़ों के साथ जवाब देगा भारत
एचसीक्यू पर वैश्विक दुष्प्रचार का ठोस सबूतों और आंकड़ों के साथ जवाब देगा भारत

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना के इलाज में हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) की उपयोगिता को लेकर वैश्विक दुष्प्रचार का जवाब ठोस सबूतों और आंकड़ों के साथ दिया जाएगा। आइसीएमआर को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। नीति आयोग के सदस्य और कोरोना को लेकर गठित उच्चाधिकार समूह-एक के प्रमुख डाक्टर वीके पॉल ने कहा कि एचसीक्यू को लेकर उपलब्ध वैज्ञानिक जानकारी के आधार पर ही भारत पूरी जिम्मेदारी के साथ कोरोना के रोकथाम से लेकर इसके मरीजों के इलाज में इसका इस्तेमाल कर रहा है।

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जितनी रिसर्च होगी, उतनी जानकारी सामने आएगी

 विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ट्रायल में एचसीक्यू के स्थगित करने व फ्रांस समेत कुछ देशों में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाए जाने के बारे में पूछे जाने पर डाक्टर वीके पॉल ने कहा कि एचसीक्यू को लेकर सिर्फ विश्व स्वास्थ्य संगठन में ही ट्रायल नहीं हो रहा है, जिसकी चर्चा है। बल्कि कई देश इसको लेकर काम कर रहे हैं, जो अब भी जारी है। उनके अनुसार इसको लेकर जितनी रिसर्च होगी, उतनी जानकारी सामने आएगी। जाहिर इसके रिसर्च को रोकने का कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना एक नया वायरस है, छह महीने पहले था ही नहीं। जाहिर है दुनिया भर में इसका इलाज ढूंढने के लिए कई तरह से रिसर्च हो रहे हैं, एचसीक्यू भी उनमें से एक है। 

एचसीक्यू से जुड़े सभी वैज्ञानिक तथ्यों को सार्वजनिक करेगा आइसीएमआर 

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार आइसीएमआर को पिछले दो महीने के दौरान एचसीक्यू के इस्तेमाल से मिले वैज्ञानिक डाटा को एकत्रित करने को कहा गया है। माना जा रहा है कि आइसीएमआर जल्द ही इन आंकड़ों और इससे मिले सारे वैज्ञानिक तथ्यों को सार्वजनिक करेगा। इसके बाद डब्ल्यूएचओ के सामने इसे पेश कर कोरोना के इलाज में इसके ट्रायल को स्थगित करने के फैसले पर पुनर्विचार के लिए कहा जाएगा। भारत बेवजह बयानबाजी कर इस मुद्दे को तूल देने के पक्ष में नहीं है। इसके बजाय तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर एचसीक्यू को लेकर किये जा रहे दुष्प्रचार को आसानी से दूर किया जा सकता है।

कोरोना के इलाज में एचसीक्यू के कारगर होने की उम्मीद

 डाक्टर वीके पॉल ने कहा कि जबसे हमने इस ड्रग को ध्यान से देखा है। वैज्ञानिकों से इसके बारे में बातचीत की है। इसके बारे में जो भी मालूम है, उससे कोरोना के इलाज में इसके कारगर होने की उम्मीद को अत्यधिक बल मिलता है। उन्होंने कहा कि यह वैज्ञानिक रूप से स्थापित हो चुका है कि एचसीक्यू किस तरह से सेल के भीतर जाकर उसके पीएच को बढ़ाकर उसे एल्कलाइन कर देता है और उसमें वायरस की इंट्री को रोक देता है। यह जानकारी सर्वविदित है। टिश्यू कल्चर में इसके इस इफेक्ट को हर जगह देखा गया है।वीके पॉल ने देश में कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को इसे दिये जाने को सही बताया है। 

 

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