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सीरिया में युद्ध लंबा खिंचा तो इससे भारत भी नहीं रह पाएगा बेअसर

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत ने आंतरिक तौर पर सीरिया में उत्पन्न हालात के असर की समीक्षा शुरू कर दी है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 07 Apr 2017 09:49 PM (IST)Updated: Sat, 08 Apr 2017 12:15 PM (IST)
सीरिया में युद्ध लंबा खिंचा तो इससे भारत भी नहीं रह पाएगा बेअसर
सीरिया में युद्ध लंबा खिंचा तो इससे भारत भी नहीं रह पाएगा बेअसर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । सीरिया में अमेरिकी मिसाइल हमले से भारत पर तत्काल असर भले ही न पड़े लेकिन युद्ध लंबा खिंचने से देश की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। भारत ने देर शाम तक इस हमले पर आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। जानकारों का मानना है कि भारत शायद ही किसी भी पक्ष के साथ खड़ा होते दिखना चाहेगा। पूरे मामले पर सोच समझ कर ही भारत अपने पत्ते खोलेगा।

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सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत ने आंतरिक तौर पर सीरिया में उत्पन्न हालात के असर की समीक्षा शुरू कर दी है। युद्ध लंबा खिंचने पर कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। इसका सीधा असर भारत पर पड़ेगा। हाल ही में कच्चे तेल की कीमतों में कमी आई है जिसकी वजह से भारत में भी पेट्रोल व डीजल की कीमतों को घटाया गया है। वैसे सीरिया में कच्चे तेल का उत्पादन कम ही होता है लेकिन पूरे खाड़ी क्षेत्र में युद्ध की स्थिति बन जाने से व यातायात प्रभावित होगा।

ऐसा होने पर कच्चा तेल महंगा हो सकता है। इस डर से ही शुक्रवार को देश के शेयर बाजार में गिरावट का रुख रहा। भारत के लिए चिंता की बात यह है कि उसके अहम तेल निर्यातक देश ईरान के साथ भी तेल खरीद पर विवाद चल रहा है। आगे की रणनीति बनाने के लिए विदेश मंत्रालय व पेट्रोलियम मंत्रालय के बीच विमर्श चल रहा है।

भारत पर दूसरा बड़ा असर इसके निर्यात क्षेत्र पर पड़ सकता है। लेकिन ऐसी स्थिति युद्ध जैसे हालात लंबे समय तक बने रहने पर ही पैदा होगी। लंबे युद्ध से खाड़ी के देशों में अनिश्चितता पैदा होगी। ऐसी स्थिति में वहां रहने वाले भारतीयों को स्वदेश लौटना पड़ेगा। ऐसी स्थिति का सामना भारत पहले कर चुका है। भारत को खाड़ी देशों में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए लंबा अभियान चलाना पड़ा था। सरकार को हर तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए अभी से तैयार रहना होगा।

सीरिया के मामले में भारत आधिकारिक तौर पर वहां बाहरी शक्तियों के शक्ति प्रदर्शन विरोध करता रहा है। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद अपने देश के मामले में भारत से ज्यादा सक्रियता दिखाने की अपेक्षा रखते हैं। इसके लिए सीरिया के विदेश मंत्री वालिद अल मौलीम ने जनवरी, 2016 में भारत की यात्रा भी की थी। उसके बाद भारत के विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने अगस्त, 2016 में सीरिया का दौरा किया था। इस दौरे का अर्थ यह लगाया गया था कि भारत, राष्ट्रपति अल असद के पक्ष में है। लेकिन अभी हालात बदले हुए हैं। भारत को अमेरिका को भी साधना है और रूस भी रणनीतिक लिहाज से अहम है।


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