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जी-7 देशों के ढांचागत निर्माण अभियान में भारत बनेगा सहयोगी, साल 2027 तक 600 अरब डालर की राशि खर्च करने की तैयारी

भारत बीआरआइ का विरोध करने वाले सबसे पहले देशों मे से है। खास तौर पर गुलाम कश्मीर के क्षेत्र से होते हुए चीन पाकिस्तान इकोनोमिक कारीडोर को भारत अपनी संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ मानता रहा है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2022 10:26 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2022 11:12 PM (IST)
जी-7 देशों के ढांचागत निर्माण अभियान में भारत बनेगा सहयोगी, साल 2027 तक 600 अरब डालर की राशि खर्च करने की तैयारी
हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत निभा सकता है अहम भूमिका

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका के नेतृत्व में जी-7 देशों ने पूरी दुनिया में ढांचागत परियोजनाओं पर अगले 25 वर्षों में 600 अरब डालर की राशि खर्च करने के कार्यक्रम का ऐलान किया है। इस कार्यक्रम का एक बड़ा हिस्सा हिंद प्रशांत क्षेत्र में और दक्षिण एशियाई व अफ्रीकी देशों में खर्च किया जाएगा। अमेरिका के नेतृत्व में दुनिया के सबसे बड़े सात लोकतांत्रिक व अमीर देशों की तरफ से चलाये जाने वाले इस कार्यक्रम में भारत एक प्रमुख सहयोगी के तौर पर काम करेगा। इसके तहत जो परियोजनाएं लागू होंगी उसमें भारतीय कंपनियों को दूरसंचार, रिनीवेबल इनर्जी, मैन्यूफैक्चरिंग और अत्याधुनिक तकनीक के क्षेत्र में बड़े आर्डर मिलने की संभावना है।

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चीन ने साल 2013 में बीआरआइ कार्यक्रम की कि थी शुरुआत

जी-सात देशों के इस कार्यक्रम को चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव (BRI) कार्यक्रम के मुकाबले विकासशील देशों को लुभाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। चीन ने वर्ष 2013 में बीआरआइ कार्यक्रम की शुरुआत की थी और इसके तहत उसने 70 देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास करने और उन सभी सुविधाओं को चीन से जोड़ने के काम की शुरुआत की थी।

भारत बीआरआइ का विरोध करने वाले सबसे पहले देशों मे से

कई जानकार मानते हैं कि बीआरआइ चीन के जरिए छोटे व मझोले देशों को कर्ज के जाल में फंसाने की मंशा रखता है ताकि आगे चल कर सड़क, रेल, पोर्ट, हवाई अड्डे जैसी परियोजनाओं का इस्तेमाल वह अपनी रणनीतिक फायदे केलिए कर सके। भारत बीआरआइ का विरोध करने वाले सबसे पहले देशों मे से है। खास तौर पर गुलाम कश्मीर के क्षेत्र से होते हुए चीन पाकिस्तान इकोनोमिक कारीडोर को भारत अपनी संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ मानता रहा है। चीन की इस चुनौती को अब जा कर विकसित देशों ने समझा है।

यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि जी-7 के ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी पहले ही भारत के साथ मिल कर दूसरे विकासशील देशों में ढांचागत परियोजना शुरु करने की संभावनाओं पर बात कर रहे हैं। अमेरिका व भारत के बीच बीआरआइ का काट खोजने को लेकर पहले से ही बात हो रही है।

भारत में कुछ परियोजनाएं सीधे तौर पर होंगी लागू

सूत्रों का कहना है कि जी-7 की इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में भारत दो तरह से जुड़ेगा। एक तो भारत में कुछ परियोजनाएं सीधे तौर पर लागू होंगी और दूसरा भारत की मदद से दूसरे देशों में परियोजनाओं को लागू किया जाएगा।

बताते चलें कि अभी पिछले महीने ही भारत, अमेरिका, जापान व आस्ट्रेलिया के प्रमुखों की जापान में हुई बैठक में 12 देशों को साथ मिल कर इंडो पैसिफिक इकोनोमिक फ्रेमवर्क का ऐलान किया गया था। ये देश मौजूदा वैश्विक सप्लाई चेन व्यवस्था का एक सुरक्षित विकल्प बनाने का करेंगे। इस कदम को भी वैश्विक सप्लाई चेन में चीन की चुनौती को समाप्त करने के तौर पर देखा गया था।

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PM Narendra Modi Ji with President of USA Joe Biden , Prime Minister Justin Trudeau of Canada and others during the G7 Summit.

View attached media content - Kiren Rijiju (@kiren.rijiju) 28 June 2022

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PM Narendra Modi to visit UAE today 💠 To pay condolences to former UAE President H.H. Sheikh Khalifa bin Zayed Al Nahyan 💠 To also congratulate the newly elected President of UAE as part of his visit to the Middle East nation

View attached media content - PIB India (@PIB_India) 28 June 2022


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