चीन से रिश्तों पर भारत ने दी नेपाल को चेतावनी
मसलन, वे उन्हीं परियोजनाओं को लगाएंगे जिनकी जरूरत उन्हें होगी। परियोजना लगाने का काम भी वे ही करते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । चीन के साथ अपने द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर कुछ ज्यादा ही गर्मजोशी दिखा रहे नेपाल को भारत ने संकेतों मे चेतावनी दे डाली है।
नेपाल-भारत के आर्थिक रिश्तों पर उद्योग चैंबर सीआइआइ, फिक्की व एसोचैम की तरफ से आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने कहा कि मैं आपको बताना चाहता हूं कि दुनिया में कई देश ऐसे हैं जो अपनी शर्तो पर दूसरों की मदद करते हैं। मसलन, वे उन्हीं परियोजनाओं को लगाएंगे जिनकी जरूरत उन्हें होगी। परियोजना लगाने का काम भी वे ही करते हैं।
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वे जिन शर्तो पर मदद करते हैं वे कई बार दूसरे देशों को काफी भारी पड़ सकती हैं। दूसरी तरफ भारत नेपाल को उन परियोजनाओं में मदद करता है जिसकी उसे जरूरत है ताकि नेपाल आगे चलकर खुद इस तरह की परियोजनाओं को लगा सके। भारत नेपाल की क्षमता को बढ़ाने में विश्वास रखता है ताकि उसे भविष्य में किसी दूसरे देश की जरूरत न पड़े।
खास बात है कि विदेश राज्य मंत्री सिंह ने जिस कार्यक्रम में यह बात कही उसमें नेपाल की राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी भी मौजूद थीं। वह मंगलवार को ही अपनी पहली भारत यात्रा के लिए नई दिल्ली पहुंची हैं। बुधवार को उनकी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पीएम नरेंद्र मोदी समेत अन्य नेताओं से द्विपक्षीय मुद्दों पर बात होगी।
राष्ट्रपति भंडारी के सामने विदेश राज्य मंत्री के संदेश से साफ है कि भारत नेपाल व चीन के बीच बढ़ रहे रिश्तों को लेकर ज्यादा चिंतित है। भारत की चिंताओं के बावजूद नेपाल ने चीन के साथ सैन्य अभ्यास को जारी रखा है। यह अभ्यास पिछले गुरुवार को ही शुरू हुआ है। इसके अलावा चीन ने नेपाल में भारी भरकम निवेश करना शुरू कर दिया है।
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पिछले वित्त वर्ष के पहले नौ महीने के आंकड़े बताते हैं कि नेपाल में आने वाले कुल विदेशी निवेश का 68 फीसद हिस्सा चीन का है। इसको देखते हुए भारत ने भी नेपाल को दी जाने वाली आर्थिक मदद और परियोजनाओं में भागीदारी को बढ़ा दिया है, लेकिन ऐसा लगता है कि नेपाल सरकार भारत के साथ ही अब चीन के दामन को भी पकड़ कर रखना चाहती है।