Move to Jagran APP

नरगिस ने 2008 में डूबो दिए थे म्‍यांमार नौसेना के 25 शिप, तोड़कर रख दी थी कमर, डालें एक नजर

म्‍यांमार की नौसेना में चीन की बड़ी भागीदारी ही है। हालांकि भारत की कोशिश इस भागीदारी को कम करने की है। इसी वजह से भारत म्‍यांमार को उसकी नेवी के लिए पहली सबमरीन इस वर्ष के अंत तक दे देगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 01:13 PM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 02:42 PM (IST)
नरगिस ने 2008 में डूबो दिए थे म्‍यांमार नौसेना के 25 शिप, तोड़कर रख दी थी कमर, डालें एक नजर
भारत ने सिंधुवीर पनडुब्‍बी को रूस से खरीदा था।

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। भारत एक्‍ट ईस्‍ट पॉलिसी के तहत अपने पड़ोसी देश म्‍यांमार से संबंधों को और अधिक मजबूत करने में जुट गया है। इसके तहत भारत म्‍यांमार को एक पनडुब्‍बी आईएनएस सिंधुवीर देगा। विशाखापट्टन के डॉक यार्ड में इस पनडुब्‍बी को म्‍यांमार की जरूरत के हिसाब से तैयार किया जा रहा है। ये सबमरीन वहां की नौसेना को ट्रेनिंग देने के काम आएगी। गौरतलब है कि हाल ही में भारतीय विदेश सविच और सेना प्रमुख ने म्‍यांमार का दौरा किया था। इससे पहले वर्ष 2013 में तत्‍कालीन नौसेना प्रमुख डीके जोशी ने भी म्‍यांमार की यात्रा की थी। हालांकि इन सभी के बावजूद म्‍यांमार की नौसेना में चीन की काफी अहम भूमिका रही है। फिर चाहे वो उसके लिए युद्धपोत तैयार करने में हो या इसके लिए साजो-सामान मुहैया करवाने में, चीन की धमक को साफतौर पर देखा जा सकता है। भारत की कोशिश इसको कम करने की ही है। चीन ने भविष्‍य की रणनीति के तहत ही 1990 में ही म्‍यांमार का नेवी शिपयार्ड हासिल कर लिया था। ये इस क्षेत्र का एक आधुनिक शिपयार्ड भी माना जाता है।

loksabha election banner

आपको बता दें कि म्‍यांमार की समुद्री सीमा 2228 किमी लंबी है। वहीं म्‍यांमार नेवी की बात करें तो इसमें करीब 19 हजार कर्मी हैं। समुद्री सीमा की रक्षा के लिए म्‍यांमार के पास करीब 125 नेवल शिप हैं। 1988 से पहले म्‍यांमार की नौसेना काफी छोटी थी और ये आतंक विरोधी अभियान से जुड़ी थी। बाद में इसका विस्‍तार हुआ। वर्ष 2008 में आए नरगिस चक्रवात से म्‍यांमार नौसेना को सबसे अधिक नुकसान हुआ था। इसकी वजह से म्‍यांमार नौसेना के 25 शिप डूब गए थे जबकि कई कर्मियों की इसकी वजह से मौत तक हो गई थी। थाइलैंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान म्‍यांमार नौसेना के 30 अधिकारी और 250 दूसरे कर्मी लापता हो गए।

म्‍यांमार नौसेना की शुरुआत अमेरिकी मदद के साथ 1950-51 में हुई थी। इसके लिए अमेरिका ने म्‍यांमार को 10 कोस्‍टगार्ड कटर्स मुहैया करवाए थे। ये सब दोनों देशों के बीच शुरू हुए म्‍यूचवल डिफेंस असिसटेंट प्रोग्राम के तहत हुआ था। 1958 में म्‍यांमार ने ब्रिटेन से अलजेरिन-क्‍लास के माइंस्‍वीपर हासिल किए थे। 1960 में म्‍यांमार ने अमेरिका से छह पेट्रोल क्राफ्ट खरीदे। 80 के दशक में म्‍यांमार ने आस्‍ट्रेलिया और सिंगापुर से और पेट्रोल बोट्स खरीदे। इन पर 400 एमएम की बोफोर्स एंटी एयरक्राफ्ट गन खरीदी थी। इसी दशक में म्‍यांमार शिपायार्ड में पेट्रोलिंग बोट्स का निर्माण किया। 90 के दशक में म्‍यांमार ने नेवी के लिए चीन से 6 मिसाइल एस्‍कॉटर्स बोट और दस सबमरीन चेजर खरीदे। इसी दौरान दो अनवर्था क्‍लास कॉरवेट के शिप और चार फास्‍ट अटैक क्राफ्ट हासिल किए।

म्‍यांमार की नौसेना में आधुनिकता की शुरुआत वर्ष 2001 में हुई थी। इसके तहत पुराने जहाजों और इक्‍यूपमेंट्स को बदला गया था। 2012 में म्‍यांमार ने चीन से 053H1 श्रेणी के दो युद्धपोत हासिल किए थे। बाद में इनको दोबारा तकनीक से अपग्रेड किया गया। इसके तहत इसमें HY2 एंटी शिप मिसाइल लगाई गई और नए सेंसर लगाए गए। 2011 में म्‍यांमार ने पहला स्‍वदेशी युद्धपोत नौसेना में शामिल किया, जिसका नाम ऑन्‍ग जेया था। भारत के साथ नौसेना एक्‍सरसाइज में इस शिप को शामिल किया गया था। इसके बाद 2012 में पहला स्‍टील्‍थ फ्रीगेट म्‍यांमार की नौसेना में शामिल हुआ। इसमें भारत, चीन, रूस और पश्चिमी देशों के उपकरण लगे थे। इसके अलावा इसमें Kh-35E एंटी शिप मिसाइल, 76एमएम की ओटो मोलेरा सुपर रेपिड केनन, AK-630 6-बैरल की 30 एमएम बैरल वाला क्‍लोज इन वैपन सिस्‍टम और चीन के बने एएसडब्‍ल्‍यू रॉकेट और टारपीडो लगे थे। इसमें भारत इलेक्‍ट्रानिक के तैयार किए गए राडार लगे थे। म्‍यांमार ने चीन से जमीन पर हवा में मार करने वाली मिसाइलें भी खरीदी हैं।

एक नजर सिंधुवीर सबमरीन पर भी

  • द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के तहत किलो क्‍लास की पनडुब्‍बी सिंधुवीर को इस वर्ष के अंत तक म्‍यांमार को सौंप देगा भारत। ये पनडुब्‍बी लीज पर दी जाएगी। ये पनडुब्‍बी म्‍यांमार नौसेना की पहली पनडुब्‍बी होगी। 
  • 80 के दशक में भारत ने सिंधुवीर को रुस से खरीदा था।
  • विशाखापत्तनम के हिंदुस्‍तान शिपयार्ड में इस प्रशिक्षण पनडुब्बी का पूरी तरह से नवीनीकरण किया जा रहा है।
  • 2325 टन वजनी है सिंधुवीर पनडुब्‍बी
  • पानी के अंदर 31 किमी और सतह पर 19 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चल सकती है सिंधुवीर
  • इसमें कुल 52 क्रू मैंबर्स आ सकते हैं और ये 45 दिनों तक पानी में रह सकती है।
  • ये पनडुब्‍बी अधिकतम 300 मीटर या 980 फीट तक पानी के अंदर जा सकती है। अधिकतम तय गहराई में जाने पर इसका वजन 3076 टन हो जाता है।
  • इसमें टारपीडो के अलावा जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल लगी हैं।
  • म्‍यांमार ने इसका नाम यूएमएस मिन ये थाइन खा थू रखा है।

ये भी पढ़ें:- 

तीखा हुआ ट्रंप का चुनाव प्रचार, कहा- अमेरिकी इतिहास में बिडेन का परिवार है सबसे भ्रष्‍ट 

ट्रंप और बिडेन में से आखिर कौन बना है भारतीयों की पसंद, जानें- सर्वे में किसके नाम पर लगी मुहर

लापरवाह ट्रंप का बेखबर अंदाज! रैली में मास्‍क उतारकर लोगों पर फेंका, ताक पर बचाव के सभी नियम 

दस बिंदुओं में जानें दूसरी बार राष्‍ट्रपति बनने का ख्‍वाब संजोए ट्रंप के कमजोर और मजबूत पक्ष   


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.