भारत के साथ एफटीए चाहता है तुर्की
तुर्की निवेशकों को भरोसा दिलाते हुए मोदी ने कहा कि सरकार उन्हें कारोबार के लिहाज से एक बढि़या माहौल उपलब्ध कराने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आतंकवाद और कश्मीर पर भले ही भारत व तुर्की के बीच बहुत अच्छी केमिस्ट्री न बनी हो लेकिन द्विपक्षीय कारोबार के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बेहतर तालमेल बनता दिख रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति इर्डोगन द्विपक्षीय कारोबारी रिश्तों को कितना महत्व दे रहे हैं इसे इस बात से समझा सकता है कि दोनों ने भारत तुर्की के उद्यमियों के बीच बुलाई गई शीर्षस्तरीय बैठक को संबोधित किया।
दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की संभावना तलाशने पर सहमति बनी है और साथ ही अगले चार वर्षो के भीतर मौजूदा द्विपक्षीय कारोबार 6.5 अरब डॉलर को बढ़ा कर 10 अरब डॉलर करने का लक्ष्य भी तय हुआ है। मोदी ने तुर्की के निवेशकों से आग्रह किया कि भारत की तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था और सरकार की तरफ से जारी कार्यक्रमों का फायदा उठाने के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने सरकार एक नये भारत के निर्माण में जुटी हुई है और देशी विदेशी निवेशकों के लिए यह निवेश करने का एक बहुत ही बढि़या मौका है। खास तौर पर तुर्की की कंस्ट्रक्शन कंपनियों को यहां निवेश करना चाहिए क्योंकि दुनिया भर में उनका नाम है और भारत में इस उद्योग के लिए काफी संभावनाएं हैं।
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तुर्की निवेशकों को भरोसा दिलाते हुए मोदी ने कहा कि सरकार उन्हें हरसंभव मदद देगी और कारोबार के लिहाज से एक बढि़या माहौल उपलब्ध कराने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इर्डोगन ने दोनो देशों के बीच एफटीए करने पर खास जोर दिया ताकि द्विपक्षीय कारोबार को तेजी से बढ़ाया जा सके। उन्होंने स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने के विकल्प को तलाशने का मशविरा भी दिया। इन दोनों विषयों पर बाद में द्विपक्षीय स्तरीय वार्ता में भी विचार किया गया।
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जानकारों की मानें तो इर्डोगन भारत समेत कई देशों की यात्रा पर निकले हैं और इस दौरान उनकी पूरी कोशिश ज्यादा से ज्यादा ध्यान कारोबार बढ़ाने पर है। ताकि घरेलू राजनीति में वह यह दिखा सकें कि देश की आर्थिक खुशहाली के लिए वह बाहर से कारोबार ला रहे हैं। भारत और तुर्की के बीच तीन समझौते हुए हैं।